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'''निर्मल''' [[आदिलाबाद ज़िला]], [[आंध्र प्रदेश]] में स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। पहले यह मूलत: वेल्मा लोगों के अधिकार में था। 18वीं शती के पश्चार्ध में द्वितीय निज़ाम के सेनापति मिर्ज़ा इब्राहीम बेग़ जफ़रुलद्दौला, जिसका उपनाम 'धौंसा' था, ने इस पर अधिकार कर लिया था। | '''निर्मल''' [[आदिलाबाद ज़िला]], [[आंध्र प्रदेश]] में स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। पहले यह मूलत: वेल्मा लोगों के अधिकार में था। 18वीं शती के पश्चार्ध में द्वितीय निज़ाम के सेनापति मिर्ज़ा इब्राहीम बेग़ जफ़रुलद्दौला, जिसका उपनाम 'धौंसा' था, ने इस पर अधिकार कर लिया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=501|url=}}</ref> | ||
*मिर्ज़ा इब्राहीम बेग़ जो एक अमीर था, उसने यहाँ एक दुर्ग बनवाया था। | *मिर्ज़ा इब्राहीम बेग़ जो एक अमीर था, उसने यहाँ एक दुर्ग बनवाया था। |
06:40, 23 जुलाई 2012 का अवतरण
निर्मल आदिलाबाद ज़िला, आंध्र प्रदेश में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। पहले यह मूलत: वेल्मा लोगों के अधिकार में था। 18वीं शती के पश्चार्ध में द्वितीय निज़ाम के सेनापति मिर्ज़ा इब्राहीम बेग़ जफ़रुलद्दौला, जिसका उपनाम 'धौंसा' था, ने इस पर अधिकार कर लिया था।[1]
- मिर्ज़ा इब्राहीम बेग़ जो एक अमीर था, उसने यहाँ एक दुर्ग बनवाया था।
- दुर्ग का निर्माता निज़ाम हैदराबाद की सेवा में नियुक्त एक फ़्राँसीसी इंजीनियर था।
- अमीर की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्रों ने बगावत कर दी और निज़ाम ने दुर्ग पर अधिकार करके निर्मल को हैदराबाद रियासत में मिला लिया।
- 17वीं शती की ज़ामा मस्जिद और इब्राहीम बाग़ निर्मल के ऐतिहासिक स्थान हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 501 |