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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

07:29, 27 जुलाई 2012 का अवतरण

  • क्रोधपूर्वक किसी के अनिष्ट का उदघोष 'शाप' कहलाता है।
  • विशेषकर ऋषि, मुनि, तपस्वी आदि के अनिष्ट शब्दों को शाप कहते हैं।
  • किसी महान नैतिक अपराध के हो जाने पर शाप दिया जाता था।
  • इसके अनेक उदाहरण प्राचीन साहित्य में उपलब्ध हैं।
  • गौतम ने पतिव्रत भंग के कारण अपनी पत्नी अहल्या को शाप दिया था कि वह शिला हो जाये।
  • दुर्वासा ऋषि अपने क्रोधी स्वभाव के कारण शाप देने के लिए प्रसिद्ध थे।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ