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'''अंतरिक्ष यान''' कई रॉकेटों को जोड़कर बनाया जाता है अर्थात् अंतरिक्ष यान में कई चरणीय रॉकेट होते हैं। निचले चरण के रॉकेट अपने कार्य को करके नीचे गिरते हैं, किन्तु पे-लोड [[पृथ्वी]] की कक्षा में रह जाता है। [[भारत]] का प्रथम अंतरिक्ष यान एसएलवी-3 चार ठोस नोदक रॉकेट से मिलकर बना है। प्रक्षेपण यान या रॉकेट अंतरिक्ष यान में लगाये जाते हैं। अलग-अलग प्रकार के उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए अलग अलग रॉकेट प्रौद्योगिकी प्रयोग की जाती है।
'''अंतरिक्ष यान''' कई रॉकेटों को जोड़कर बनाया जाता है अर्थात् अंतरिक्ष यान में कई चरणीय रॉकेट होते हैं। निचले चरण के रॉकेट अपने कार्य को करके नीचे गिरते हैं, किन्तु पे-लोड [[पृथ्वी]] की कक्षा में रह जाता है। [[भारत]] का प्रथम अंतरिक्ष यान एसएलवी-3 चार ठोस नोदक रॉकेट से मिलकर बना है। प्रक्षेपण यान या रॉकेट अंतरिक्ष यान में लगाये जाते हैं। अलग-अलग प्रकार के उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए अलग अलग रॉकेट प्रौद्योगिकी प्रयोग की जाती है।



07:18, 11 अगस्त 2012 का अवतरण

अंतरिक्ष यान

अंतरिक्ष यान कई रॉकेटों को जोड़कर बनाया जाता है अर्थात् अंतरिक्ष यान में कई चरणीय रॉकेट होते हैं। निचले चरण के रॉकेट अपने कार्य को करके नीचे गिरते हैं, किन्तु पे-लोड पृथ्वी की कक्षा में रह जाता है। भारत का प्रथम अंतरिक्ष यान एसएलवी-3 चार ठोस नोदक रॉकेट से मिलकर बना है। प्रक्षेपण यान या रॉकेट अंतरिक्ष यान में लगाये जाते हैं। अलग-अलग प्रकार के उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए अलग अलग रॉकेट प्रौद्योगिकी प्रयोग की जाती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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