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'''कैरा''' [[गुजरात]] का प्राचीन खेटक ज़िला है। यह वलभी नरेशों के समय (छठी-सातवीं ई.) में गुजरात का प्रसिद्ध आहार (ज़िला) था। वलभिराज ध्रुवभट्ट शीलादित्य सप्तम के आलिना ताम्रपट्ट लेख में खेटक आहार के महिलाभिग्राम के दान में दिए जाने का उल्लेख है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=226|url=}}</ref>
'''कैरा''' [[गुजरात]] का प्राचीन खेटक ज़िला है। यह वलभी नरेशों के समय (छठी-सातवीं ई.) में गुजरात का प्रसिद्ध आहार (ज़िला) था। वलभिराज ध्रुवभट्ट शीलादित्य सप्तम के [[अलिना गुजरात|अलिना]] ताम्रपट्ट लेख में खेटक आहार के महिलाभिग्राम के दान में दिए जाने का उल्लेख है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=226|url=}}</ref>


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10:19, 27 अगस्त 2012 का अवतरण

कैरा गुजरात का प्राचीन खेटक ज़िला है। यह वलभी नरेशों के समय (छठी-सातवीं ई.) में गुजरात का प्रसिद्ध आहार (ज़िला) था। वलभिराज ध्रुवभट्ट शीलादित्य सप्तम के अलिना ताम्रपट्ट लेख में खेटक आहार के महिलाभिग्राम के दान में दिए जाने का उल्लेख है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 226 |

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