"नूरपुर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''नूरपुर''' कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश का एक [[ऐतिहासिक ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''नूरपुर''' [[कांगड़ा]], [[हिमाचल प्रदेश]] का एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। [[चित्रकला]] की प्रसिद्ध '[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]]', जो 18वीं शती में अपने विकास के चरमोत्कर्ष पर थी, का नूरपुर तथा गुलेर में जन्म हुआ था।
'''नूरपुर''' [[कांगड़ा]], [[हिमाचल प्रदेश]] का एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। [[चित्रकला]] की प्रसिद्ध '[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]]', जो 18वीं शती में अपने विकास के चरमोत्कर्ष पर थी, का नूरपुर तथा [[गुलेर]] में जन्म हुआ था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=506|url=}}</ref>


*[[राजपूत काल|राजपूत कालीन]] एक सुदृढ़ दुर्ग नूरपुर में स्थित है, जो [[इतिहास]] की दृष्टि से एक उल्लेखनीय स्मारक है।
*[[राजपूत काल|राजपूत कालीन]] एक सुदृढ़ दुर्ग नूरपुर में स्थित है, जो [[इतिहास]] की दृष्टि से एक उल्लेखनीय स्मारक है।
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=506|url=}}
 
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

14:21, 27 अगस्त 2012 का अवतरण

नूरपुर कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान है। चित्रकला की प्रसिद्ध 'कांगड़ा शैली', जो 18वीं शती में अपने विकास के चरमोत्कर्ष पर थी, का नूरपुर तथा गुलेर में जन्म हुआ था।[1]

  • राजपूत कालीन एक सुदृढ़ दुर्ग नूरपुर में स्थित है, जो इतिहास की दृष्टि से एक उल्लेखनीय स्मारक है।
  • अपनी चित्रकारी के लिए मशहूर नूरपुर ने चित्रकारी की कई ऊँचाईयों को छुआ है।
  • बसौली के राजा कृपाल सिंह की मृत्यु के पश्चात उनके दरबार के चित्रकार जम्मू, रामनगर, नूरपुर तथा गुलेर में जाकर बस गए थे।
  • इन चित्रकारों ने नूरपुर आकर बसौली की परम्परा को जीवित रखा और उसके कर्कश स्वरूप को बदल कर उसमें कोमलता का नवीन पुट दिया, जिससे कांगड़ा की शैली का सूत्रपात हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 506 |

संबंधित लेख