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'''भारतीय जनसंघ''' [[भारत]] के एक राजनैतिक दल [[भारतीय जनता पार्टी]] का पुराना नाम है। इसकी स्थापना [[श्यामा प्रसाद मुखर्जी]] द्वारा [[21 अक्टूबर]] [[1951]] को [[दिल्ली]] में की गयी थी। इस पार्टी का चुनाव चिह्न लैंप था और इसने 1952 के संसदीय चुनाव मे 2 सीटें हासिल की थी जिसमे डाक्टर मुखर्जी स्वयं भी शामिल थे। | '''भारतीय जनसंघ''' [[भारत]] के एक राजनैतिक दल [[भारतीय जनता पार्टी]] का पुराना नाम है। इसकी स्थापना [[श्यामा प्रसाद मुखर्जी]] द्वारा [[21 अक्टूबर]] [[1951]] को [[दिल्ली]] में की गयी थी। इस पार्टी का चुनाव चिह्न लैंप था और इसने 1952 के संसदीय चुनाव मे 2 सीटें हासिल की थी जिसमे डाक्टर मुखर्जी स्वयं भी शामिल थे। | ||
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ब्रिटिश सरकार की [[भारत का विभाजन|भारत विभाजन]] की गुप्त योजना और षडयंत्र को एक दलविशेष के नेताओं ने अखण्ड भारत संबंधी अपने वादों को ताक पर रखकर विभाजन स्वीकार कर लिया। तब डॉ मुखर्जी ने [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] और [[पंजाब]] के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित [[पाकिस्तान]] का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया। [[महात्मा गांधी]] जी और [[सरदार पटेल]] के अनुरोध पर वे खंडित भारत के पहले मंत्रिमण्डल में शामिल हुए, और उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। संविधान सभा और प्रांतीय संसद के सदस्य और केंद्रीय मंत्री के नाते श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिंतन के साथ-साथ अन्य नेताओं से मतभेद बने रहे। फलत: राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया, और शीघ्र ही अन्य राष्ट्रवादी दलों और तत्वों को मिलाकर एक नई पार्टी बनाई जो कि विरोधी पक्ष में सबसे बडा दल था। उन्हें [[पं. जवाहरलाल नेहरू]] का सशक्त विकल्प माने जाने लगा। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ। जिसके संस्थापक अध्यक्ष, डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी रहे।<ref>{{cite web |url=http://arvindsisodiakota.blogspot.in/2012/03/blog-post_26.html |title=भाजपा : डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी : जनसंघ के संस्थापक |accessmonthday=9 सितम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जय जय भारत |language=हिन्दी }}</ref> | ब्रिटिश सरकार की [[भारत का विभाजन|भारत विभाजन]] की गुप्त योजना और षडयंत्र को एक दलविशेष के नेताओं ने अखण्ड भारत संबंधी अपने वादों को ताक पर रखकर विभाजन स्वीकार कर लिया। तब डॉ मुखर्जी ने [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] और [[पंजाब]] के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित [[पाकिस्तान]] का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया। [[महात्मा गांधी]] जी और [[सरदार पटेल]] के अनुरोध पर वे खंडित भारत के पहले मंत्रिमण्डल में शामिल हुए, और उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। संविधान सभा और प्रांतीय संसद के सदस्य और केंद्रीय मंत्री के नाते श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिंतन के साथ-साथ अन्य नेताओं से मतभेद बने रहे। फलत: राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया, और शीघ्र ही अन्य राष्ट्रवादी दलों और तत्वों को मिलाकर एक नई पार्टी बनाई जो कि विरोधी पक्ष में सबसे बडा दल था। उन्हें [[पं. जवाहरलाल नेहरू]] का सशक्त विकल्प माने जाने लगा। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ। जिसके संस्थापक अध्यक्ष, डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी रहे।<ref>{{cite web |url=http://arvindsisodiakota.blogspot.in/2012/03/blog-post_26.html |title=भाजपा : डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी : जनसंघ के संस्थापक |accessmonthday=9 सितम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जय जय भारत |language=हिन्दी }}</ref> | ||
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14:23, 9 सितम्बर 2012 का अवतरण
भारतीय जनसंघ भारत के एक राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी का पुराना नाम है। इसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में की गयी थी। इस पार्टी का चुनाव चिह्न लैंप था और इसने 1952 के संसदीय चुनाव मे 2 सीटें हासिल की थी जिसमे डाक्टर मुखर्जी स्वयं भी शामिल थे।
जनसंघ की स्थापना में श्यामा प्रसाद मुखर्जी का योगदान
ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षडयंत्र को एक दलविशेष के नेताओं ने अखण्ड भारत संबंधी अपने वादों को ताक पर रखकर विभाजन स्वीकार कर लिया। तब डॉ मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया। महात्मा गांधी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे खंडित भारत के पहले मंत्रिमण्डल में शामिल हुए, और उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। संविधान सभा और प्रांतीय संसद के सदस्य और केंद्रीय मंत्री के नाते श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिंतन के साथ-साथ अन्य नेताओं से मतभेद बने रहे। फलत: राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया, और शीघ्र ही अन्य राष्ट्रवादी दलों और तत्वों को मिलाकर एक नई पार्टी बनाई जो कि विरोधी पक्ष में सबसे बडा दल था। उन्हें पं. जवाहरलाल नेहरू का सशक्त विकल्प माने जाने लगा। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ। जिसके संस्थापक अध्यक्ष, डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी रहे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भाजपा : डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी : जनसंघ के संस्थापक (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जय जय भारत। अभिगमन तिथि: 9 सितम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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