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भगवतीचरण बोहरा एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, उनका जन्म आगरा में हुआ था। जन्म तिथि ठीक-ठीक सुनिश्चित नहीं की जा सकी है। उनके पिता राय साहब पंडित शिवचरण लाल रेलवे में नौकरी करने के साथ-साथ रूपए उधार देने का भी काम करते थे। इसलिए यह परिवार ‘बोहरा’ नाम से प्रसिद्ध हो गया। भगवतीचरण की शिक्षा लाहौर के नेशनल कॉलेज में हुई। वहां सरदार भगतसिंह और सुखदेव उनके सहपाठी थे। यहीं से उनका क्रांतिकारी जीवन आरंभ हुआ।

  • इन लोगों ने क्रांतिकारी विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए एक ‘अध्ययन केन्द्र’ बनाया। लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित ‘लोक सेवक समाज’ का पुस्तकालय इनका केन्द्र था। वहां संसार-भर की क्रांतियों से संबंधित ग्रंथ मंगाए और पढ़े जाते थे। 1926 में इन लोगों ने ‘नव जवान भारत सभा’ की स्थापना की। इसका उद्देश्य मुख्यतः अहिंसा और नरमपंथ की राजनीति का विरोध करना और सशस्त्र क्रांति के द्वारा विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकना था। भगवतीचरण इस सभा के प्रचार मंत्री थे। इन लोगों ने बंगाल और उत्तर प्रदेश के क्रांतिकारियों से भी संपर्क स्थगित किया। इसी के बाद ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ की स्थापना हुई, जिसके साथ बाद में ‘सोशलिस्ट’ शब्द भी जोड़ दिया गया था।
  • भगवतीचरण बोहरा का विवाह दुर्गादेवी से हुआ था। इस वीर महिला ने भी अपने पति के समान ही क्रांतिकारी आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और बड़े-बड़े खतरे उठाए। वे दुर्गा भाभी के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
  • लाला लाजपत राय पर लाठी बरसाने वाले पुलिस अधिकारी स्कॉट के भ्रम में सांडर्स को गोली का निशाना बनाने और केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकने के बाद भगतसिंह और उनके साथी गिरफ्तार हो चुके थे। क्रांतिकारियों ने इसी बीच वाइसराय की ट्रेन को बम से उड़ाने की असफल चेष्टा भी की थी। फिर यह निश्चय किया गया कि भगतसिंह को लाहौर की जेल से छुड़ाया जाए। इसके लिए बम बनाए गए। उन बमों का परीक्षण करते समय 28 मई, 1930 को रावी नदी के तट पर भगवतीचरण बोहरा वीरगति को प्राप्त हो गए।


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