"विजय कुमार मल्होत्रा": अवतरणों में अंतर

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'''विजय कुमार मल्होत्रा''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Vijay Kumar Malhotra'') [[राजभाषा]] विभाग, रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक हैं। भारतीय रेल में वर्षों तक कार्य करने के बाद भारतीय भाषाओं के प्रति अपने जुनून के कारण अब भाषा इंडिया (Bhasha India) टीम के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। विजय कुमार मल्होत्रा का माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस एक्स पी (Microsoft Office XP) हिंदी के विकास और अर्थविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हैं।  
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'''विजय कुमार मल्होत्रा''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Vijay Kumar Malhotra'') [[राजभाषा]] विभाग, रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक हैं। भारतीय रेल में वर्षों तक कार्य करने के बाद भारतीय भाषाओं के प्रति अपने जुनून के कारण अब भाषा इंडिया (Bhasha India) टीम के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। विजय कुमार मल्होत्रा का माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस एक्स पी (Microsoft Office XP) में हिंदी के विकास और भाषाविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हैं।  
==भाषा के प्रति रुचि==
विजय कुमार मल्होत्रा को भाषाओं के प्रति रुचि तो गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में जब ये [[संस्कृत]] और [[हिंदी]] विषयों के साथ आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी से ही थी, लेकिन इसमें परिपक्वता तब आई, जब ये हिंदी पढ़ाने के लिए यॉर्क विश्वविद्यालय, यू. के. पहुँचे और इन्हें ब्रिटिश, भारतीय और अफ़्रीका जैसे विभिन्न [[महाद्वीप|महाद्वीपों]] के विद्यार्थियों को विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने का दायित्व सौंपा गया।
==पारिवारिक पृष्ठभूमि==
विजय कुमार मल्होत्रा का संबंध प्रकाशक परिवार से तो है, लेकिन भाषाविज्ञान में रुचि तब ज़्यादा बढ़ी, जब सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिंदी को कार्यान्वित करते हुए इन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पडा। यद्यपि 14 वर्षों तक गुरुकुल में हिंदी और संस्कृत की विशेष शिक्षा के कारण भाषाओं के प्रति इनका रुझान स्वाभाविक ही रहा, लेकिन यू.के. में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाते समय इन्हें भाषाविज्ञान का वास्तविक महत्व समझ में आया और भाषाविज्ञान में इनकी रुचि बढ़ी।
==राजभाषा निदेशक==
भारतीय रेल मंत्रालय में राजभाषा निदेशक रहे। निदेशक के रूप में इनका दायित्व यह था कि ये भारतीय रेल के दैनंदिन कार्यों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दें। इस दायित्व के कारण इन्हें यह अवसर मिला कि ये देश-भर में विभिन्न स्तरों पर हिंदी को कार्यान्वित करने के लिए नए-नए उपायों की खोज करे।
==कार्यानुभव==
==कार्यानुभव==
* 1978-2002 निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय, भारत सरकार के रूप में (सेवानिवृत्त)  
* 1978-2002 निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय, भारत सरकार के रूप में (सेवानिवृत्त)  
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* 1968 [[नवनीत (पत्रिका)|नवनीत हिंदी डाइजेस्ट]], मुंबई में हिंदी पत्रकार  
* 1968 [[नवनीत (पत्रिका)|नवनीत हिंदी डाइजेस्ट]], मुंबई में हिंदी पत्रकार  
====शैक्षणिक योग्यता====
====शैक्षणिक योग्यता====
[[चित्र:VKM-at-Microsoft-HQ-in-Redmond-(USA).jpg|250px|thumb|विजय कुमार मल्होत्रा, माइक्रोसॉफ़्ट मुख्यालय, अमेरिका]]
* 1996 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, [[हरिद्वार]] से [[हिंदी]] में कंप्यूटर-साधित अनुवाद पर डॉक्टरेट   
* 1996 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, [[हरिद्वार]] से [[हिंदी]] में कंप्यूटर-साधित अनुवाद पर डॉक्टरेट   
* 1988 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा  
* 1988 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, [[हैदराबाद]] से अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा  
* 1968 में [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] से हिंदी में एम.ए.  
* 1968 में [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] से हिंदी में एम.ए.  
* 1966 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से हिंदी, संस्कृत और अंग्रेज़ी के साथ विद्यालंकार (बी.ए.)
* 1966 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से हिंदी, संस्कृत और अंग्रेज़ी के साथ विद्यालंकार (बी.ए.)
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* 1996 पेन्सिल्वानिया विश्वविद्यालय, अमरीका में हिंदी पार्सर के विकास में सहयोग       
* 1996 पेन्सिल्वानिया विश्वविद्यालय, अमरीका में हिंदी पार्सर के विकास में सहयोग       
==लेखन / अनूदित कार्य==  
==लेखन / अनूदित कार्य==  
* 1979 डॉ. एस. राधाकृष्णन् द्वारा लिखित ‘हमारी विरासत’ और ‘रचनात्मक जीवन’ का हिंदी में अनुवाद     
* [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन|डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्]] द्वारा लिखित ‘हमारी विरासत’ और ‘रचनात्मक जीवन’ का हिंदी में अनुवाद (1979)    
* 1982 ‘राजभाषा के नये आयाम’  
* ‘राजभाषा के नये आयाम’ (1982)
* 1996 हिंदी में कंप्यूटर के भाषिक आयाम  
* हिंदी में कंप्यूटर के भाषिक आयाम (1996)
==भाषा के प्रति रुचि==
==सम्मान और पुरस्कार==
विजय कुमार मल्होत्रा को भाषाओं के प्रति रुचि तो गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में जब ये [[संस्कृत]] और [[हिंदी]] विषयों के साथ आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी से ही थी, लेकिन इसमें परिपक्वता तब आई, जब ये हिंदी पढ़ाने के लिए यॉर्क विश्वविद्यालय, यू. के. पहुँचे और इन्हें ब्रिटिश, भारतीय और अफ़्रीका जैसे विभिन्न [[महाद्वीप|महाद्वीपों]] के विद्यार्थियों को विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने का दायित्व सौंपा गया।
==भाषा और भाषा प्रौद्योगिकी पर दृष्टिकोण==
विजय कुमार मल्होत्रा के दृष्टिकोण के अनुसार विश्व-भर की भाषाओं में दो स्पष्ट लक्षण दिखाई पड़ते हैं: सार्वभौमिक लक्षण और भाषा-विशिष्ट लक्षण।
सार्वभौमिक लक्षण वे लक्षण हैं जो हिंदी, [[तमिल भाषा|तमिल]], [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]], चीनी और [[अरबी भाषा|अरबी]] जैसी विभिन्न भाषा-परिवारों से जुड़ी भाषाओं में भी समान रूप से पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, 'खाया' एक सकर्मक क्रिया है, जो खाए जाने के लिए एक कर्म और खाना [[क्रिया]] संपन्न करने के लिए एक कर्ता की आकांक्षा करती है और साथ ही यह भी अपेक्षा करती है कि उसका कर्ता सजीव हो। इस क्रिया की वृक्ष संरचना में ये सभी सार्वभौमिक लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इस प्रकार इसकी सकर्मकता विश्व की सभी भाषाओं में समान है, लेकिन कर्ता के साथ 'ने' का प्रयोग हिंदी का भाषा-विशिष्ट लक्षण है। कुछ ऐसे भी लक्षण होते हैं जो भाषा-वर्ग विशिष्ट होते हैं। उदाहरण के लिए, एक विशेष वाक्य साँचे में कर्ता के साथ 'को' का प्रयोग सभी भारतीय भाषाओं में समान रूप से पाया जाता है; जैसे <br />
हिंदी में 'राम को बुखार है' <br />
[[मराठी भाषा|मराठी]] में 'रामला ताप आहे' <br />
[[तमिल भाषा|तमिल]] में, 'रामक्कु ज्वरम्' <br />
[[मलयालम भाषा|मलयालम]] में 'रामन्नु पनियानु'<br />
[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] में ‘रामनिगे ज्वर दिगे' <br />
[[बंगला भाषा|बंगला]] में 'रामेर ताप आछे' और <br />
[[अंग्रेज़ी]] में 'Ram has a fever’। <br />
अंग्रेज़ी में आप देखेंगे कि 'को' का वाचक कोई परसर्ग या पूर्वसर्ग नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि [[भारत]] एक भाषिक क्षेत्र है। यदि हम इन लक्षणों के विश्लेषण के लिए भाषा प्रौद्योगिकी का उपयोग करें तो हम भारतीय भाषाओं में कंप्यूटर साधित स्वयं भाषा शिक्षक, ऑटो-करेक्ट, ग्रामर चैकर और मशीनी अनुवाद जैसे अत्यंत जटिल भाषिक उपकरणों का विकास भी कर सकते हैं।
==पारिवारिक पृष्ठभूमि==
विजय कुमार मल्होत्रा का संबंध प्रकाशक परिवार से तो है, लेकिन भाषाविज्ञान में रुचि तब ज़्यादा बढ़ी, जब सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिंदी को कार्यान्वित करते हुए इन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पडा। यद्यपि 14 वर्षों तक गुरुकुल में हिंदी और संस्कृत की विशेष शिक्षा के कारण भाषाओं के प्रति इनका रुझान स्वाभाविक ही रहा, लेकिन यू.के. में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाते समय इन्हें भाषाविज्ञान का वास्तविक महत्व समझ में आया और भाषाविज्ञान में इनकी रुचि बढ़ी।
 
==पुरस्कार==
* माइक्रोसॉफ़्ट का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार MVP (Microsoft Valuable Professional) से पाँच बार सम्मानित किये जा चुके हैं।  
* माइक्रोसॉफ़्ट का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार MVP (Microsoft Valuable Professional) से पाँच बार सम्मानित किये जा चुके हैं।  
* सन् 1984 में, यॉर्क विश्वविद्यालय, यू.के. में एक सिमेस्टर में हिंदी पढ़ाने के लिए इन्हें नफ़ील्ड फ़ैलोशिप मिली। अध्यापन के साथ-साथ इन्हें मुझे हिंदी थिसॉरस का प्रोटोटाइप बनाने के लिए भी कहा गया था।
* सन् 1996 में, पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग ने इन्हें हिंदी पार्सर के विकास के लिए अपने NLP ग्रुप को सहयोग करने के लिए निमंत्रित किया गया। विजय कुमार मल्होत्रा के लिए यह अत्यंत गौरव का विषय था, क्योंकि इन्हें ये निमंत्रण एक ऐसे विश्वविद्यालय से मिला था, जिसने ENIAC नामक विश्व के पहले कंप्यूटर का विकास किया था। 


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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:भाषाविद्]]
[[Category:भाषा सलाहकार]]
[[Category:भाषा कोश]]
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[[Category:चरित कोश]]
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12:02, 6 अक्टूबर 2012 का अवतरण

विजय कुमार मल्होत्रा
विजय कुमार मल्होत्रा
विजय कुमार मल्होत्रा
पूरा नाम विजय कुमार मल्होत्रा
शिक्षा एम.ए. (हिंदी), अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
विद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय, गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि MVP[1]
विशेष योगदान माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस एक्स पी[2] में हिंदी के विकास और भाषाविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हैं।
नागरिकता भारतीय
पुस्तकें ‘राजभाषा के नये आयाम’, ‘हमारी विरासत’ और ‘रचनात्मक जीवन’ का हिंदी में अनुवाद
अन्य जानकारी विजय कुमार मल्होत्रा ने राजभाषा, रेल मंत्रालय, भारत सरकार में निदेशक के रूप में कार्य किया है।

विजय कुमार मल्होत्रा (अंग्रेज़ी:Vijay Kumar Malhotra) राजभाषा विभाग, रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक हैं। भारतीय रेल में वर्षों तक कार्य करने के बाद भारतीय भाषाओं के प्रति अपने जुनून के कारण अब भाषा इंडिया (Bhasha India) टीम के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। विजय कुमार मल्होत्रा का माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस एक्स पी (Microsoft Office XP) में हिंदी के विकास और भाषाविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हैं।

भाषा के प्रति रुचि

विजय कुमार मल्होत्रा को भाषाओं के प्रति रुचि तो गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में जब ये संस्कृत और हिंदी विषयों के साथ आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी से ही थी, लेकिन इसमें परिपक्वता तब आई, जब ये हिंदी पढ़ाने के लिए यॉर्क विश्वविद्यालय, यू. के. पहुँचे और इन्हें ब्रिटिश, भारतीय और अफ़्रीका जैसे विभिन्न महाद्वीपों के विद्यार्थियों को विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने का दायित्व सौंपा गया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

विजय कुमार मल्होत्रा का संबंध प्रकाशक परिवार से तो है, लेकिन भाषाविज्ञान में रुचि तब ज़्यादा बढ़ी, जब सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिंदी को कार्यान्वित करते हुए इन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पडा। यद्यपि 14 वर्षों तक गुरुकुल में हिंदी और संस्कृत की विशेष शिक्षा के कारण भाषाओं के प्रति इनका रुझान स्वाभाविक ही रहा, लेकिन यू.के. में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाते समय इन्हें भाषाविज्ञान का वास्तविक महत्व समझ में आया और भाषाविज्ञान में इनकी रुचि बढ़ी।

राजभाषा निदेशक

भारतीय रेल मंत्रालय में राजभाषा निदेशक रहे। निदेशक के रूप में इनका दायित्व यह था कि ये भारतीय रेल के दैनंदिन कार्यों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दें। इस दायित्व के कारण इन्हें यह अवसर मिला कि ये देश-भर में विभिन्न स्तरों पर हिंदी को कार्यान्वित करने के लिए नए-नए उपायों की खोज करे।

कार्यानुभव

  • 1978-2002 निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय, भारत सरकार के रूप में (सेवानिवृत्त)
  • 1970-1978 भारतीय रिज़र्व बैंक और यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, मुंबई में हिंदी अधिकारी
  • 1968-1969 ऐल्फ़िन्स्टन कॉलेज, मुंबई में अंशकालीन प्राध्यापक
  • 1968 नवनीत हिंदी डाइजेस्ट, मुंबई में हिंदी पत्रकार

शैक्षणिक योग्यता

विजय कुमार मल्होत्रा, माइक्रोसॉफ़्ट मुख्यालय, अमेरिका
  • 1996 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से हिंदी में कंप्यूटर-साधित अनुवाद पर डॉक्टरेट
  • 1988 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
  • 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए.
  • 1966 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से हिंदी, संस्कृत और अंग्रेज़ी के साथ विद्यालंकार (बी.ए.)
यू. के. और अमरीका में अध्यापन और शोध-कार्य
  • 1984-86 यॉर्क विश्वविद्यालय, यू.के. में हिंदी अध्यापन और हिंदी थिसॉरस पर परियोजना
  • 1996 पेन्सिल्वानिया विश्वविद्यालय, अमरीका में हिंदी पार्सर के विकास में सहयोग

लेखन / अनूदित कार्य

  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् द्वारा लिखित ‘हमारी विरासत’ और ‘रचनात्मक जीवन’ का हिंदी में अनुवाद (1979)
  • ‘राजभाषा के नये आयाम’ (1982)
  • हिंदी में कंप्यूटर के भाषिक आयाम (1996)

सम्मान और पुरस्कार

  • माइक्रोसॉफ़्ट का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार MVP (Microsoft Valuable Professional) से पाँच बार सम्मानित किये जा चुके हैं।
  • सन् 1984 में, यॉर्क विश्वविद्यालय, यू.के. में एक सिमेस्टर में हिंदी पढ़ाने के लिए इन्हें नफ़ील्ड फ़ैलोशिप मिली। अध्यापन के साथ-साथ इन्हें मुझे हिंदी थिसॉरस का प्रोटोटाइप बनाने के लिए भी कहा गया था।
  • सन् 1996 में, पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग ने इन्हें हिंदी पार्सर के विकास के लिए अपने NLP ग्रुप को सहयोग करने के लिए निमंत्रित किया गया। विजय कुमार मल्होत्रा के लिए यह अत्यंत गौरव का विषय था, क्योंकि इन्हें ये निमंत्रण एक ऐसे विश्वविद्यालय से मिला था, जिसने ENIAC नामक विश्व के पहले कंप्यूटर का विकास किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. माइक्रोसॉफ़्ट का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार (Microsoft Valuable Professional)
  2. Microsoft Office XP

बाहरी कड़ियाँ

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