"तिरुवेंची": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''तिरुवेंची''' [[कोचीन]] के निकट प्राचीन [[केरल]] की प्रथम ऐतिहासिक राजधानी के रूप में उल्लेखनीय है। तिरुवेंची का वर्तमान नाम ' | '''तिरुवेंची''' [[कोचीन]] के निकट प्राचीन [[केरल]] की प्रथम ऐतिहासिक राजधानी के रूप में उल्लेखनीय है। तिरुवेंची का वर्तमान नाम '[[क्रंगनौर]]' है। देवी भगवती का मंदिर और एक गिरिजा घर, शायद प्रथम शती ई. में निर्मित, अब यहाँ के अवशिष्ट स्मारक हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=404|url=}}</ref> | ||
*तिरुवेंचीकुलम में पेरुमल सम्राटों की राजधानी हुआ करती थी। | *तिरुवेंचीकुलम में पेरुमल सम्राटों की राजधानी हुआ करती थी। | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== |
08:03, 22 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण
तिरुवेंची कोचीन के निकट प्राचीन केरल की प्रथम ऐतिहासिक राजधानी के रूप में उल्लेखनीय है। तिरुवेंची का वर्तमान नाम 'क्रंगनौर' है। देवी भगवती का मंदिर और एक गिरिजा घर, शायद प्रथम शती ई. में निर्मित, अब यहाँ के अवशिष्ट स्मारक हैं।[1]
- तिरुवेंचीकुलम में पेरुमल सम्राटों की राजधानी हुआ करती थी।
- इन्हीं सम्राटों में से एक 'कुलशेखर पेरुमल' ने प्रसिद्ध वैष्णव 'महाकाव्यप्रबंधम्' की रचना की थी।
- ईसा पूर्व कई शतियों तक यह स्थान दक्षिण भारत का बड़ा व्यापारिक केन्द्र था।
- तिरुवेंची में मिस्र, बाबुल, यूनान, रोम और चीन के व्यापारियों तथा यात्रियों के समूह बराबर आते रहते थे।
- इसी स्थान पर 68 या 69 ई. में रोमनों के द्वारा निष्कासित यहूदियों ने शरण ली थी।
- इसी स्थान को शायद रोमन लेखकों ने 'मुजिरिस' (मुरचीपतन या परिचोपत्तन) लिखा है।
- तिरुवेंची से मरिच या काली मिर्च का रोम साम्राज्य के देशों के साथ भारी व्यापार था।
- 'मुरचीपत्तन' (पाठान्तर सुरभीपत्तन) का उल्लेख महाभारत, सभापर्व[2] में है।
|
|
|
|
|