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'''महारानी विक्टोरिया''' (1819-[[1901]]), 1837 ई. में ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड की महारानी के रूप में सिंहासन पर आरूढ़ हुईं। [[1877]] ई. में वह [[भारत]] की सम्राज्ञी घोषित की गईं। भारत का शासन प्रबन्ध 1858 ई. में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के हाथ से निकलकर ब्रिटिश राजसत्ता को सौंप दिया गया। इसकी जो उदघोषणा, महारानी के नाम से की गई, उससे वह भारतीयों में जनप्रिय हो गईं, क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता था कि उदघोषणाओं में जो उदार विचार व्यक्त किए गए थे, वे उनके निजी और उदार विचारों के प्रतिबिम्ब स्वरूप थे। महारानी विक्टोरिया ने कभी भी भारत-भ्रमण नहीं किया और भारतीय प्रशासन का संचालन संवैधानिक शासक की हैसियत से करते हुए उन्हीं नीतियों का अनुमोदन किया, जिसकी सिफ़ारिश उनके उत्तरदायी मंत्रियों ने की। [[ड्यूक ऑफ़ कनाट]] महारानी विक्टोरिया का पुत्र और [[इंग्लैंण्ड]] के राजघराने का प्रमुख सदस्य था। फिर भी उन्होंने भारतीयों के बीच बड़ी लोकप्रियता अर्जित की और महारानी विक्टोरिया के भारत की सम्राज्ञी नियुक्त होने की खुशी में दो स्थानों [[हरदोई]] तथा [[कोलकाता]] में [[विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता|विक्टोरिया मेमोरियल]] भवनों का निर्माण किया गया। [[1901]] ई. में जब उनकी मृत्यु हुई, तो सारे भारत में शोक मनाया गया।
'''महारानी विक्टोरिया''' (1819-1901), 1837 ई. में ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड की महारानी के रूप में सिंहासन पर आरूढ़ हुई थीं। [[1877]] ई. में वह [[भारत]] की सम्राज्ञी घोषित हुईं।
==लोकप्रियता==
भारत का शासन प्रबन्ध 1858 ई. में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के हाथ से निकलकर ब्रिटिश राजसत्ता को सौंप दिया गया। इसकी जो उदघोषणा, महारानी के नाम से की गई, उससे वह भारतीयों में जनप्रिय हो गईं, क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता था कि उदघोषणाओं में जो उदार विचार व्यक्त किए गए थे, वे उनके निजी और उदार विचारों के प्रतिबिम्ब स्वरूप थे।
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महारानी विक्टोरिया ने कभी भी भारत-भ्रमण नहीं किया और भारतीय प्रशासन का संचालन संवैधानिक शासक की हैसियत से करते हुए उन्हीं नीतियों का अनुमोदन किया, जिसकी सिफ़ारिश उनके उत्तरदायी मंत्रियों ने की।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-430
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==संबंधित लेख==
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महारानी विक्टोरिया
Queen Victoria

महारानी विक्टोरिया (1819-1901), 1837 ई. में ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड की महारानी के रूप में सिंहासन पर आरूढ़ हुई थीं। 1877 ई. में वह भारत की सम्राज्ञी घोषित हुईं।

लोकप्रियता

भारत का शासन प्रबन्ध 1858 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथ से निकलकर ब्रिटिश राजसत्ता को सौंप दिया गया। इसकी जो उदघोषणा, महारानी के नाम से की गई, उससे वह भारतीयों में जनप्रिय हो गईं, क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता था कि उदघोषणाओं में जो उदार विचार व्यक्त किए गए थे, वे उनके निजी और उदार विचारों के प्रतिबिम्ब स्वरूप थे।

नीति

महारानी विक्टोरिया ने कभी भी भारत-भ्रमण नहीं किया और भारतीय प्रशासन का संचालन संवैधानिक शासक की हैसियत से करते हुए उन्हीं नीतियों का अनुमोदन किया, जिसकी सिफ़ारिश उनके उत्तरदायी मंत्रियों ने की।

ड्यूक ऑफ़ कनाट महारानी विक्टोरिया का पुत्र और इंग्लैंण्ड के राजघराने का प्रमुख सदस्य था। फिर भी उन्होंने भारतीयों के बीच बड़ी लोकप्रियता अर्जित की और महारानी विक्टोरिया के भारत की सम्राज्ञी नियुक्त होने की खुशी में दो स्थानों हरदोई तथा कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल भवनों का निर्माण किया गया।

निधन

1901 ई. में जब उनकी मृत्यु हुई, तो सारे भारत में शोक मनाया गया।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 430 |


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