"जयराम रमेश": अवतरणों में अंतर

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'''पर्यावरण मंत्री-''' मई 2009 – 12 जुलाई 2011
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==राजनीतिक जीवन==
==राजनीतिक जीवन==
कहते हैं, जिन लोगों को सुर्खियों में रहने की आदत होती है, किनारे पर आकर भी उनमें ललक कम नहीं होती। जब जयराम रमेश को रोजाना एक सुर्खी देने वाले पर्यावरण मंत्रालय से हटाकर [[ग्रामीण विकास मंत्रालय]] सौंपा गया था। वे इस उबाऊ मंत्रालय को मीडिया की नजरों में तड़क-भड़क वाला कारनामा बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करते आए हैं। पर किस्मत ने उनका बहुत साथ नहीं दिया। ज्‍यादातर सुर्खियां उन्हें गच्चा दे जाती हैं और कई बार उन्हें उनसे छीन लिया गया।
जयराम रमेश को रोजाना एक सुर्खी देने वाले पर्यावरण मंत्रालय से हटाकर [[ग्रामीण विकास मंत्रालय]] सौंपा गया था। वे इस उबाऊ मंत्रालय को मीडिया की नजरों में तड़क-भड़क वाला कारनामा बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करते आए हैं। वरीयता क्रम में नहीं होने के बावजूद जयराम रमेश मंत्रिमंडल में बहुत तेजी से ऊपर उठे हैं। यूपीए 1 में पहली बार मंत्री बनने के बाद वे यूपीए 2 में कैबिनेट मंत्री बन गए। पर्यावरण मंत्रालय में उनकी अनदेखी करना आसान नहीं था। रमेश को कैबिनेट दर्जा देकर [[ग्रामीण विकास मंत्रालय]] में भेजने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह]] ने कहा था, ''जयराम को ज्‍यादा जिम्मेदारी दे दी गई है, जहां उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा।''  
वरीयता क्रम में नहीं होने के बावजूद जयराम रमेश मंत्रिमंडल में बहुत तेजी से ऊपर उठे हैं। यूपीए 1 में पहली बार मंत्री बनने के बाद वे यूपीए 2 में कैबिनेट मंत्री बन गए। पर्यावरण मंत्रालय में उनकी अनदेखी करना आसान नहीं था। रमेश को कैबिनेट दर्जा देकर ग्रामीण विकास मंत्रालय में भेजने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह]] ने कहा था, ''जयराम को ज्‍यादा जिम्मेदारी दे दी गई है, जहां उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा।'' भले ही मुखर रहने वाले रमेश सुर्खियों में नहीं आ पाते, फिर भी उन्हें कोशिश करने के लिए ए ग्रेड मिल जाता है। उन्होंने अपने नए कार्यालय में हरे रंग का पेंट कराया है, लकड़ी के दरवाजे की जगह शीशे का दरवाजा लगवाया है। लेकिन इन बातों की कोई चर्चा नहीं हुई।
====कूटनीतिज्ञ====
====कूटनीतिज्ञ====
जयराम रमेश जानते हैं, किसे खुश करना जरूरी है। भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक को राहुल की ओर से मिल रही अहमियत को समझते हुए उन्होंने [[12 जुलाई]] [[2011]] को मंत्रालय का चार्ज संभालने के बाद रिकॉर्ड दो हफ्ते के समय में विधेयक तैयार कर दिया। उन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की तत्कालीन मुख्यमंत्री [[मायावती]] के लिए भी आफत कर दी और राज्‍य की मनरेगा योजनाओं में भ्रष्टाचार के बारे में उनकी शिकायतों पर भी चिट्ठी लिख दी। आम तौर पर विधेयक स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद जनता के राय-मशविरे के लिए दिए जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है, "उन्होंने अपने मंत्रालय में नई जान डाली है। मनरेगा के तहत उन्होंने बहुत कुछ नया हाथ में नहीं लिया है, लेकिन वे ऐसे काम करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें अमली जामा पहनाया जा सकता है। असली चुनौती यह पक्का करने की है कि उन पर पूरी तरह अमल किया जाए"' बहरहाल, सामाजिक कार्यकर्ताओं की तुष्टि का काम पॉस्को और लवासा से दो-दो हाथ करने जैसा नहीं है। इसमें न वह मजा आता है और न ही प्रचार मिलता है।
जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक को [[राहुल गाँधी|राहुल]] की ओर से मिल रही अहमियत को समझते हुए [[12 जुलाई]] [[2011]] को मंत्रालय का चार्ज संभालने के बाद रिकॉर्ड दो हफ्ते के समय में विधेयक तैयार कर दिया। उन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की तत्कालीन मुख्यमंत्री [[मायावती]] के लिए भी आफत कर दी और राज्‍य की मनरेगा योजनाओं में भ्रष्टाचार के बारे में उनकी शिकायतों पर भी चिट्ठी लिख दी। सामान्यत: विधेयक स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद जनता के राय-मशविरे के लिए दिए जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है, "उन्होंने अपने मंत्रालय में नई जान डाली है। मनरेगा के तहत उन्होंने बहुत कुछ नया हाथ में नहीं लिया है, लेकिन वे ऐसे काम करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें अमली जामा पहनाया जा सकता है। असली चुनौती यह पक्का करने की है कि उन पर पूरी तरह अमल किया जाए"


==पत्रकारिता लेखन==
==पत्रकारिता लेखन==

07:41, 1 दिसम्बर 2012 का अवतरण

जयराम रमेश
जयराम रमेश
जयराम रमेश
पूरा नाम जयराम रमेश
जन्म 9 अप्रैल 1954

(आयु- 70 वर्ष)

जन्म भूमि चिकमंगलूर, कर्नाटक
पति/पत्नी के.आर. जयश्री
संतान दो पुत्र
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद ग्रामीण विकास मंत्री, पर्यावरण मंत्री
कार्य काल ग्रामीण विकास मंत्री- 13 जुलाई 2011 से अब तक

पर्यावरण मंत्री- मई 200912 जुलाई 2011

शिक्षा बी.टेक, एम.एस., एम.आई.टी
विद्यालय आई.आई.टी. मुम्बई, कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी, अमेरिका
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जयराम रमेश (अंग्रेज़ी: Jairam Ramesh, जन्म: 9 अप्रैल 1954) एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ हैं। जयराम रमेश भारत के पूर्व पर्यावरण मंत्री और वर्तमान ग्रामीण विकास मंत्री हैं। जयराम रमेश भारतीय संसद के राज्यसभा सदस्य हैं। जयराम आंध्र प्रदेश के राज्यमंत्री रह चुके हैं।

जीवन परिचय

जयराम का जन्म 9 अप्रैल 1954 को चिकमंगलूर, कर्नाटक में हुआ था। इनके पिता का नाम स्व. श्री सी.के . रमेश और इनकी माता श्रीमती श्रीदेवी रमेश है। जयराम रमेश का परिवार वडागलई समूह के आयंगर ब्राह्मण है। इनकी मातृभाषा तमिल है। जयराम रमेश ने 26 जनवरी 1981 को आयंगर ब्राह्मण के.आर. जयश्री से विवाह किया और अब अपनी पत्नी के साथ लोदी गार्डन, नई दिल्ली में रहते हैं। जयराम रमेश का स्थायी निवास खैरताबाद, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) में है। अपनी युवावस्था में जयराम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से बहुत अधिक प्रवाभित थे।

शिक्षा

जयराम ने अपनी स्कूली शिक्षा रांची के 'सेंट जेवियर स्कूल' से 1961 - 1963 के मध्य ली। वह तीसरी से पाँचवीं कक्षा तक इस स्कूल में पढ़े। जब उन्होंने पॉल सैमुअल्सन (जो नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री थे) को पढ़ा तो वे अर्थशास्त्र में ही रुचि लेने लगे। जयराम ने 1975 में आई.आई.टी. मुम्बई से रसायन अभियांत्रिकी से स्नातक किया। 1975-77 के दौरान जयराम ने 'कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी' से विज्ञान में सार्वजनिक नीति और प्रबंधन की मास्टर डिग्री ली। इसके अतिरिक्त जयराम रमेश 'भारतीय विजनेस स्कूल', हैदराबाद के संस्थापक सदस्य भी हैं।

राजनीतिक जीवन

जयराम रमेश को रोजाना एक सुर्खी देने वाले पर्यावरण मंत्रालय से हटाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय सौंपा गया था। वे इस उबाऊ मंत्रालय को मीडिया की नजरों में तड़क-भड़क वाला कारनामा बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करते आए हैं। वरीयता क्रम में नहीं होने के बावजूद जयराम रमेश मंत्रिमंडल में बहुत तेजी से ऊपर उठे हैं। यूपीए 1 में पहली बार मंत्री बनने के बाद वे यूपीए 2 में कैबिनेट मंत्री बन गए। पर्यावरण मंत्रालय में उनकी अनदेखी करना आसान नहीं था। रमेश को कैबिनेट दर्जा देकर ग्रामीण विकास मंत्रालय में भेजने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, जयराम को ज्‍यादा जिम्मेदारी दे दी गई है, जहां उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा।

कूटनीतिज्ञ

जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक को राहुल की ओर से मिल रही अहमियत को समझते हुए 12 जुलाई 2011 को मंत्रालय का चार्ज संभालने के बाद रिकॉर्ड दो हफ्ते के समय में विधेयक तैयार कर दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के लिए भी आफत कर दी और राज्‍य की मनरेगा योजनाओं में भ्रष्टाचार के बारे में उनकी शिकायतों पर भी चिट्ठी लिख दी। सामान्यत: विधेयक स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद जनता के राय-मशविरे के लिए दिए जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है, "उन्होंने अपने मंत्रालय में नई जान डाली है। मनरेगा के तहत उन्होंने बहुत कुछ नया हाथ में नहीं लिया है, लेकिन वे ऐसे काम करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें अमली जामा पहनाया जा सकता है। असली चुनौती यह पक्का करने की है कि उन पर पूरी तरह अमल किया जाए"।

पत्रकारिता लेखन

जयराम रमेश बिजनेस स्टेंडर्ड, बिजनेस टुडे, टाइम्स ऑफ़ इंडिया और इंडिया टुडे जैसे बहुचर्चित पत्र पत्रिकाओं में स्तम्भ लिखते रहे हैं।



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