"निदा फ़ाज़ली": अवतरणों में अंतर
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* दीवारों के बीच | * दीवारों के बीच | ||
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* मुलाक़ातें | * मुलाक़ातें | ||
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*मुहम्मद अलवी : शब्दों का चित्रकार | *मुहम्मद अलवी : शब्दों का चित्रकार | ||
*जिगर मुरादाबादी : मुहब्बतों का शायर | *जिगर मुरादाबादी : मुहब्बतों का शायर | ||
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; प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत और ग़ज़ल | |||
*तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा गम मेरी हयात है (फ़िल्म- रज़िया सुल्ताना) | |||
*आई ज़ंजीर की झन्कार, ख़ुदा ख़ैर कर (फ़िल्म- रज़िया सुल्ताना) | |||
*होश वालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज है (फ़िल्म- सरफ़रोश) | |||
*कभी किसी को मुक़म्मल जहाँ नहीं मिलता (फ़िल्म- आहिस्ता-आहिस्ता) | |||
* तू इस तरह से मेरी ज़िंदग़ी में शामिल है (फ़िल्म- आहिस्ता-आहिस्ता) | |||
*चुप तुम रहो, चुप हम रहें (फ़िल्म- इस रात की सुबह नहीं) | |||
*दुनिया जिसे कहते हैं, मिट्टी का खिलौना है (ग़ज़ल) | |||
*हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (ग़ज़ल) | |||
*अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये (ग़ज़ल) | |||
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==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== |
13:08, 29 दिसम्बर 2012 का अवतरण
निदा फ़ाज़ली (अंग्रेज़ी: Nida Fazli, जन्म: 12 अक्तूबर 1938) आधुनिक उर्दू शायरी के बहुत ही लोकप्रिय शायर हैं। यह शायर हिन्दी के पाठकों के लिए भी उतना ही सुपरिचित है जितना उर्दू के पाठकों के लिए। इस शायर का पूरा नाम मुक्तिदा हसन निदा फ़ाज़ली है, जो बाद में निदा फ़ाज़ली के रूप में प्रसिद्ध हुआ। निदा फ़ाज़ली एक सूफ़ी शायर हैं रहीम, कबीर और मीरा से प्रभावित होते हैं तो मीर और ग़ालिब भी इनमें रच- बस जाते हैं। निदा फाज़ली की शायरी की जमीन विशुद्ध भारतीय है।
जीवन परिचय
निदा फ़ाज़ली का जन्म दिल्ली में 12 अक्तूबर 1938 को हुआ था। इनकी स्कूली शिक्षा ग्वालियर में हुई थी। निदा फ़ाज़ली के पिता एक शायर थे, जो भारत विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए। भारतीयता के पोषक निदा फ़ाज़ली भारता को छोड़कर पाकिस्तान नहीं गए और आज भी इस देश को अपनी रचनात्मक प्रतिभा से समृद्ध कर रहे हैं। निदा फ़ाज़ली गज़लों के साथ दोहे भी बखूबी कहते हैं, नज्मों में भी इन्हें महारत हासिल है। 1960 के दशक के दौरान अपने समकालीन शायरों कैफ़ी आज़मी, सरदार अली जाफ़री और साहिर लुधियानवी पर एक समीक्षात्मक किताब मुलाकातें भी निदा फ़ाज़ली ने लिखी है।[1]
आरम्भिक जीवन
सन 1946 में जीविका की तलाश में निदा फ़ाज़ली मुम्बई का रुख किया। मुम्बई में प्रारम्भिक दिनों में धर्मयुग और ब्लिट्ज में आलेख भी लिखे। मुम्बई में रहते हुए मुशायरों में भी बेहद लोकप्रियता हासिल की। फ़िल्म 'रज़िया सुल्तान' के निर्माण के समय शायर जानिसार अख्तर के निधन के बाद फ़िल्म निर्माता कमाल अमरोही ने इन्हें गीत लिखने के लिए अवसर दिया। इनके लिखे गीत काफी लोकप्रिय भी हुए। इसके बाद आज तक इनके फ़िल्मी गीत लेखन का सफ़र जारी है।[1]
भाषा शैली
निदा फ़ाज़ली की शायरी की भाषा आम आदमी को भी समझ में आ जाती है। यह कवि /शायर सहज भाषा में गूढ़ से गूढ़ बात कहने में माहिर है।
प्रमुख कृतियाँ
निदा फ़ाज़ली की कुछ प्रमुख कृतियाँ -आँखों भर आकाश, मौसम आते जाते हैं, खोया हुआ सा कुछ, लफ़्ज़ों के फूल, मोर नाच, आँख और ख़्वाब के दरमियाँ, सफ़र में धूप तो होगी आदि।
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सम्मान और पुरस्कार
- 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार - काव्य संग्रह खोया हुआ सा कुछ (1996)
- 2003 में स्टार स्क्रीन पुरस्कार - श्रेष्टतम गीतकार - फ़िल्म 'सुर के लिए
- 2003 में बॉलीवुड मूवी पुरस्कार - श्रेष्टतम गीतकार - फ़िल्म सुर के गीत 'आ भी जा' के लिए
- मध्य प्रदेश सरकार का मीर तकी मीर पुरस्कार (आत्मकथा रूपी उपन्यास 'दीवारों के बीच' के लिए)
- मध्य प्रदेश सरकार का खुसरो पुरस्कार - उर्दू और हिन्दी साहित्य के लिए
- महाराष्ट्र उर्दू अकादमी का श्रेष्ठतम कविता पुरस्कार - उर्दू साहित्य के लिए
- बिहार उर्दू अकादमी पुरस्कार
- उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का पुरस्कार
- हिन्दी उर्दू संगम पुरस्कार (लखनऊ)[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 लोकप्रिय भारतीय शायर -निदा फ़ाज़ली (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) सुनहरी कलम से (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 29 दिसम्बर, 2012।
- ↑ 2.0 2.1 निदा फ़ाज़ली / रचनाएँ (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) कविता कोश। अभिगमन तिथि: 29 दिसम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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