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जाटों ने "ब्राह्मणों" ( जिसे वह ज्योतिषी या भिक्षुक मानता था) और "क्षत्रिय" ( जो ईमानदारी से जीविका कमाना पसंद नहीं करता था और किराये का सैनिक बनना पसंद करता था ) के लिए एक दयावान संरक्षक बन गये । जाट जन्मजात श्रमिक और योद्धा थे । वे कमर में तलवार बाँधकर खेतों में हल चलाते थे और अपने परिवार की रक्षा के लिए वे क्षत्रियों से अधिक युद्ध करते थे,आप ने जो भि येह बात लिखि है वो सरसर गलत है..जिस्का यहा कोइ ओ्च्तिय नहि...ओर जिस "ब्राह्मणों" ( जिसे वह ज्योतिषी या भिक्षुक मानता था) और "क्षत्रिय" ( जो ईमानदारी से जीविका कमाना पसंद नहीं करता था और किराये का सैनिक बनना पसंद करता था ) को आप ने य्ह जो रुप दिय है वह रुप उन सभि वीरो ओर सन्तो पर कालिख पोत्ता जो "ब्राह्मणों"और "क्षत्रिय"समाज से है.ओर आप्को याद दिला दु कि इन दोनो समाजो का सनात्न धर्म ओर इस भार््त्व्श् को समध बनाने मे बहुत योगदान है....अप्ने विचारो को ना थोपे..ओर निस्पश लिखे................. |
09:27, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
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जाटों ने "ब्राह्मणों" ( जिसे वह ज्योतिषी या भिक्षुक मानता था) और "क्षत्रिय" ( जो ईमानदारी से जीविका कमाना पसंद नहीं करता था और किराये का सैनिक बनना पसंद करता था ) के लिए एक दयावान संरक्षक बन गये । जाट जन्मजात श्रमिक और योद्धा थे । वे कमर में तलवार बाँधकर खेतों में हल चलाते थे और अपने परिवार की रक्षा के लिए वे क्षत्रियों से अधिक युद्ध करते थे,आप ने जो भि येह बात लिखि है वो सरसर गलत है..जिस्का यहा कोइ ओ्च्तिय नहि...ओर जिस "ब्राह्मणों" ( जिसे वह ज्योतिषी या भिक्षुक मानता था) और "क्षत्रिय" ( जो ईमानदारी से जीविका कमाना पसंद नहीं करता था और किराये का सैनिक बनना पसंद करता था ) को आप ने य्ह जो रुप दिय है वह रुप उन सभि वीरो ओर सन्तो पर कालिख पोत्ता जो "ब्राह्मणों"और "क्षत्रिय"समाज से है.ओर आप्को याद दिला दु कि इन दोनो समाजो का सनात्न धर्म ओर इस भार््त्व्श् को समध बनाने मे बहुत योगदान है....अप्ने विचारो को ना थोपे..ओर निस्पश लिखे.................