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<poem>मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता?
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कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता?


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प्रतीक्षा -हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन
कवि हरिवंश राय बच्चन
जन्म 27 नवंबर, 1907
मृत्यु 18 जनवरी, 2003 ई.
मृत्यु स्थान मुंबई, महाराष्ट्र
मुख्य रचनाएँ मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, तेरा हार, निशा निमंत्रण, मैकबेथ, जनगीता, दो चट्टाने
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ

मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता?
मौन रात इस भाँति कि जैसे, को‌ई गत वीणा पर बज कर,
अभी-अभी सो‌ई खो‌ई-सी सपनों में तारों पर सिर धर
और दिशा‌ओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,
कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता?

तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आनेवाले,
पर ऐसे ही वक्त प्राण मन, मेरे हो उठते मतवाले,
साँसें घूम-घूम फिर-फिर से, असमंजस के क्षण गिनती हैं,
मिलने की घड़ियाँ तुम निश्चित, यदि कर जाते तब क्या होता?

उत्सुकता की अकुलाहट में, मैंने पलक पाँवड़े डाले,
अम्बर तो मशहूर कि सब दिन, रहता अपना होश सम्हाले,
तारों की महफ़िल ने अपनी आँख बिछा दी किस आशा से,
मेरे मौन कुटी को आते तुम दिख जाते तब क्या होता?

बैठ कल्पना करता हूँ, पगचाप तुम्हारी मग से आती
रग-रग में चेतनता घुलकर, आँसु के कण-सी झर जाती,
नमक डली-सा गल अपनापन, सागर में घुलमिल-सा जाता,
अपनी बाहों में भरकर प्रिय, कण्ठ लगाते तब क्या होता?


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