"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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-[[जनक]] - [[विदेह]] | -[[जनक]] - [[विदेह]] | ||
-[[जनमेजय]] - [[कुरु जनपद|कुरु]]-[[पंचाल]] | -[[जनमेजय]] - [[कुरु जनपद|कुरु]]-[[पंचाल]] | ||
||अजातशत्रु [[बिंबिसार]] का पुत्र था। उसने [[मगध]] की राजगद्दी अपने [[पिता]] की हत्या करके प्राप्त की थी। यद्यपि यह एक घृणित कृत्य था, तथापि एक वीर और प्रतापी राजा के रूप में उसने बहुत ख्याति प्राप्त की थी। अपने पिता के समान ही उसने भी साम्राज्य विस्तार की नीति को अपनाया और साम्राज्य की सीमाओं को चरमोत्कर्ष तक पहुँचा दिया। [[अजातशत्रु]] ने [[अंग महाजनपद|अंग]], लिच्छवी, वज्जी, [[कोसल]] तथा [[काशी जनपद|काशी]] जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विशाल साम्राज्य को स्थापित किया था। [[पालि]] ग्रंथों में अजातशत्रु का नाम अनेक स्थानों पर आया है, क्योंकि वह बुद्ध का समकालीन था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अजातशत्रु]] | |||
{'[[साइमन कमीशन]]' की | {'[[साइमन कमीशन]]' की घोषणा कब की गई थी?(भारत डिस्कवरी) | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +[[8 नवम्बर]], [[1927]] ई. | ||
- | -[[10 नवम्बर]], [[1928]] ई. | ||
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- | -[[11 नवम्बर]], [[1927]] ई. | ||
-[[7 नवम्बर]], [[1928]] ई. | |||
||'[[साइमन कमीशन]]' की नियुक्ति ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में की थी। इस कमीशन में सात सदस्य थे, जो सभी [[ब्रिटेन]] की संसद के मनोनीत सदस्य थे। यही कारण था कि [[भारत]] में इसे '''श्वेत कमीशन''' कहा गया। [[8 नवम्बर]], [[1927]] को इस आयोग की स्थापना की घोषणा हुई। इस आयोग का कार्य इस बात की सिफ़ारिश करना था कि, क्या भारत इस योग्य हो गया है कि यहाँ के लोगों को और संवैधानिक अधिकार दिये जाएँ और यदि दिये जाएँ तो उसका स्वरूप क्या हो?{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साइमन कमीशन]] | |||
{'सोशल डेमोक्रेटिक एलायंस' की स्थापना किसने की थी? (पृ.सं.-8) | {'सोशल डेमोक्रेटिक एलायंस' की स्थापना किसने की थी? (पृ.सं.-8) | ||
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-उच्च जीवन के लिए ब्रह्मचर्य तथा आध्यात्मिक चिंतन अनिवार्य है। | -उच्च जीवन के लिए ब्रह्मचर्य तथा आध्यात्मिक चिंतन अनिवार्य है। | ||
-उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं। | -उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं। | ||
||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|महात्मा गाँधी]]'[[महात्मा गाँधी]]' [[भारत]] एवं 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वह सादा जीवन, शारीरिक श्रम और संयम के प्रति अत्यधिक आकर्षण महसूस करते थे। वर्ष [[1904]] में पूँजीवाद के आलोचक जॉन रस्किन की पुस्तक 'ऑनटू दिस लास्ट' पढ़ने के बाद उन्होंने डरबन के पास फ़ीनिक्स में एक फ़ार्म की स्थापना की, जहाँ वह अपने मित्रों के साथ केवल अपने श्रम के बूते पर जी सकते थे। छः वर्ष के बाद [[गाँधीजी]] की देखरेख में जोहेन्सबर्ग के पास एक नई बस्ती विकसित हुई। रूसी लेखक के नाम पर इसे 'टॉल्सटाय फ़ार्म' का नाम दिया गया। गाँधीजी टॉल्सटाय के प्रशंसक थे और उनसे पत्र व्यवहार करते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गांधी]] | |||
{निम्नांकित में से किसने अपनी पुस्तक 'सब्जेक्शन ऑफ़ वूमेन' ([[1869]]) में महिला मताधिकार की बात कही है? पृष्ठ संख्या-13 | {निम्नांकित में से किसने अपनी पुस्तक 'सब्जेक्शन ऑफ़ वूमेन' ([[1869]]) में महिला मताधिकार की बात कही है? पृष्ठ संख्या-13 | ||
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-न्यायिक पद्धति को अधिक कार्यकुशल बनाना। | -न्यायिक पद्धति को अधिक कार्यकुशल बनाना। | ||
-उपरोक्त में से कोई नहीं | -उपरोक्त में से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Lord Cornwallis.jpg|right|100px|लॉर्ड कार्नवालिस]]1786 ई. में [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने उच्च वंश एवं कुलीन वृत्ति के व्यक्ति [[लॉर्ड कार्नवालिस]] को '[[पिट एक्ट]]' के अन्तर्गत रेखाकिंत शांति स्थापना तथा शासन के पुनर्गठन हेतु [[गवर्नर-जनरल]] नियुक्त करके [[भारत]] भेजा। [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में भू-राजस्व वसूली का अधिकार किसे दिया जाय तथा उसे कितने समय तक के लिए दिया जाय, इस पर अन्तिम निर्णय कार्नवालिस ने [[सर जॉन शोर]] के सहयोग से किया, और अन्तिम रूप से ज़मीदारों को भूमि का स्वामी मान लिया गया। ज्ञातव्य है कि 'जेम्स ग्रांट' ने कार्नवालिस तथा सर जॉन शोर के विचारों का विरोध करते हुए ज़मीदारों को केवल भूमिकर संग्रहकर्ता ही माना तथा समस्त भूमि को 'सरकन की भूमि' के रूप में मान्यता दी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड कार्नवालिस]] | |||
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07:46, 27 जनवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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