"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
-[[भरहुत]] | -[[भरहुत]] | ||
||[[चित्र:Heliodorus-Pillar-Vidisha.jpg|right|100px|हेलियोडोरस स्तम्भ, विदिशा]]बेसनगर पूर्वी [[मालवा]] में स्थित प्राचीन नगर [[विदिशा]] का ही आधुनिक नाम है। [[शुंग वंश|शुंग]] राजाओं के शासन काल में इस नगर का बहुत ही महत्त्व था। शुंग राजाओं के शासन के बाद भी अनेक वर्षों तक [[बेसनगर]] स्थानीय शासकों की राजधानी बना रहा। यहाँ के शासकों ने [[भारत]] की पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित [[यवन]] शासकों के साथ राजनीतिक सम्बन्ध बना रखे थे। बेसनगर में भगवान [[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]] के सम्मान में [[तक्षशिला]] के राजा एंटिआल्किडस के राजदूत हेलियोडोरस ने लगभग 135 ई. पू. में एक 'गरुड़ ध्वज' स्थापित कराया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बेसनगर]] | ||[[चित्र:Heliodorus-Pillar-Vidisha.jpg|right|100px|हेलियोडोरस स्तम्भ, विदिशा]]बेसनगर पूर्वी [[मालवा]] में स्थित प्राचीन नगर [[विदिशा]] का ही आधुनिक नाम है। [[शुंग वंश|शुंग]] राजाओं के शासन काल में इस नगर का बहुत ही महत्त्व था। शुंग राजाओं के शासन के बाद भी अनेक वर्षों तक [[बेसनगर]] स्थानीय शासकों की राजधानी बना रहा। यहाँ के शासकों ने [[भारत]] की पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित [[यवन]] शासकों के साथ राजनीतिक सम्बन्ध बना रखे थे। बेसनगर में भगवान [[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]] के सम्मान में [[तक्षशिला]] के राजा एंटिआल्किडस के राजदूत हेलियोडोरस ने लगभग 135 ई. पू. में एक 'गरुड़ ध्वज' स्थापित कराया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बेसनगर]] | ||
{निम्नलिखित में से किस [[बहमनी राजवंश|बहमनी]] शासक ने बहमनी राजधानी को [[गुलबर्गा]] से [[बीदर]] स्थानान्तरित किया? (पृ.सं.-5) | {निम्नलिखित में से किस [[बहमनी राजवंश|बहमनी]] शासक ने बहमनी राजधानी को [[गुलबर्गा]] से [[बीदर]] स्थानान्तरित किया? (पृ.सं.-5) | ||
पंक्ति 36: | पंक्ति 28: | ||
-[[कमला नेहरू]] | -[[कमला नेहरू]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Motilal-nehru.jpg|right| | ||[[चित्र:Motilal-nehru.jpg|right|80px|मोतीलाल नेहरू]]मोतीलाल नेहरू [[भारत]] के प्रथम [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] के [[पिता]] थे। ये [[कश्मीर]] के [[ब्राह्मण]] थे। इनकी पत्नी का नाम 'स्वरूप रानी' था। [[पंडित मोतीलाल नेहरू]] की क़ानून पर पकड़ बहुत मज़बूत थी। इसी कारण से '[[साइमन कमीशन]]' के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन ने वर्ष [[1927]] में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिसे [[भारत का संविधान]] बनाने का दायित्व सौंपा गया था। इस समिति की रिपोर्ट को ही '[[नेहरू रिपोर्ट]]' के नाम से जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोतीलाल नेहरू]] | ||
{निम्न में से किस पुस्तक को चित्रित करने के लिए [[मुग़ल]] दरबार में मीर सैय्यद अली और ख़्वाजा अब्दुस समद को आमंत्रित किया गया था? (पृ.सं.-10) | {निम्न में से किस पुस्तक को चित्रित करने के लिए [[मुग़ल]] दरबार में मीर सैय्यद अली और ख़्वाजा अब्दुस समद को आमंत्रित किया गया था? (पृ.सं.-10) | ||
पंक्ति 82: | पंक्ति 74: | ||
-सुइ वंश | -सुइ वंश | ||
-तांग वंश | -तांग वंश | ||
{निम्नलिखित में से किसने प्रथम बार [[बौद्ध]] भिक्षुओं को प्रशासनिक एवं वित्तीय मुक्ति प्रदान की? (पृ.सं.-4) | |||
|type="()"} | |||
-[[गौतमीपुत्र शातकर्णी]] | |||
+[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] | |||
-[[बृहद्रथ]] | |||
-यज्ञ शातकर्णी | |||
||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|100px|अशोक के चित्र की प्रतिलिपि]]इसमें संदेह नहीं कि [[अशोक]] [[बौद्ध धर्म]] का अनुयायी था। सभी बौद्ध ग्रंथ अशोक को बौद्ध धर्म का अनुयायी बताते हैं। अशोक के [[बौद्ध]] होने के सबल प्रमाण उसके [[अभिलेख]] हैं। अपने राज्याभिषेक से सम्बद्ध लघु शिलालेख में अशोक ने अपने को 'बुद्धशाक्य' कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि वह ढाई वर्ष तक एक साधारण उपासक रहा। राज्याभिषेक के दसवें वर्ष में अशोक ने [[बोध गया]] की यात्रा की, बारहवें वर्ष वह [[निगालि सागर]] गया और [[कोनगमन बुद्ध]] के [[स्तूप]] के आकार को दुगुना किया। [[महावंश]] तथा [[दीपवंश]] के अनुसार उसने [[तृतीय बौद्ध संगीति]] भी बुलाई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]] | |||
{[[भारत]] में 19वीं शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के लिए निम्निलिखित में से कौन-से तत्व ने साझा कारण मुहैया किया? पृष्ठ संख्या-13 | {[[भारत]] में 19वीं शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के लिए निम्निलिखित में से कौन-से तत्व ने साझा कारण मुहैया किया? पृष्ठ संख्या-13 |
11:47, 27 जनवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
|