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'''बागबढ़ी''' [[करीमगंज ज़िला]], [[असम]] में स्थित है। यह करीमगंज से 10 मील {{मील|मील=10}} की दूरी पर स्थित है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=617|url=}}</ref> | '''बागबढ़ी''' [[करीमगंज ज़िला]], [[असम]] में स्थित है। यह करीमगंज से 10 मील {{मील|मील=10}} की दूरी पर स्थित है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=617|url=}}</ref> | ||
*एक सहस्त्र वर्ष पुराना भगवान [[शिव]] का मंदिर भी यहाँ के जंगलों में पाया गया है। इसकी खोज [[1954]] में वनों को | *एक सहस्त्र वर्ष पुराना भगवान [[शिव]] का मंदिर भी यहाँ के जंगलों में पाया गया है। इसकी खोज [[1954]] में वनों को साफ़ करने वाले ग्रामीणों ने की थी। | ||
*मंदिर के अंदर कुछ मूर्तियाँ भी मिली हैं। इसकी दीवारों पर जो नक़्काशी का काम है, उससे सूचित होता है कि यह शिव मंदिर [[त्रिपुरा]] नरेश द्वारा बनवाया गया था। | *मंदिर के अंदर कुछ मूर्तियाँ भी मिली हैं। इसकी दीवारों पर जो नक़्काशी का काम है, उससे सूचित होता है कि यह शिव मंदिर [[त्रिपुरा]] नरेश द्वारा बनवाया गया था। | ||
*कुछ वर्षों पूर्व इसी स्थान के निकट [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] के समय (14वीं शती का प्रारंभ) की एक मस्जिद भी मिली थी, जिससे ज्ञात होता है कि [[मध्य काल]] में यह स्थान इस प्रदेश में काफ़ी महत्वपूर्ण था। | *कुछ वर्षों पूर्व इसी स्थान के निकट [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] के समय (14वीं शती का प्रारंभ) की एक मस्जिद भी मिली थी, जिससे ज्ञात होता है कि [[मध्य काल]] में यह स्थान इस प्रदेश में काफ़ी महत्वपूर्ण था। |
14:13, 29 जनवरी 2013 का अवतरण
बागबढ़ी करीमगंज ज़िला, असम में स्थित है। यह करीमगंज से 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है।[1]
- एक सहस्त्र वर्ष पुराना भगवान शिव का मंदिर भी यहाँ के जंगलों में पाया गया है। इसकी खोज 1954 में वनों को साफ़ करने वाले ग्रामीणों ने की थी।
- मंदिर के अंदर कुछ मूर्तियाँ भी मिली हैं। इसकी दीवारों पर जो नक़्काशी का काम है, उससे सूचित होता है कि यह शिव मंदिर त्रिपुरा नरेश द्वारा बनवाया गया था।
- कुछ वर्षों पूर्व इसी स्थान के निकट अलाउद्दीन ख़िलज़ी के समय (14वीं शती का प्रारंभ) की एक मस्जिद भी मिली थी, जिससे ज्ञात होता है कि मध्य काल में यह स्थान इस प्रदेश में काफ़ी महत्वपूर्ण था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 617 |