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-[[केशवदास]] | -[[केशवदास]] | ||
-भिखारी दास | -[[भिखारी दास]] | ||
+[[घनानन्द]] | +[[घनानन्द]] | ||
-पद्माकर | -[[पद्माकर]] | ||
||[[हिन्दी भाषा]] के | ||[[हिन्दी भाषा]] के [[रीति काल]] के कवि घनानन्द के सम्बंध में निश्चित जानकारी नहीं है। कुछ लोग इनका जन्मस्थान [[उत्तर प्रदेश]] के जनपद [[बुलन्दशहर]] को मानते हैं। इनका जन्म 1658 से 1689 ईस्वी के बीच और निधन 1739 ईस्वी (लगभग) माना जाता है। इनका निधन अब्दाली दुर्रानी द्वारा [[मथुरा]] में किये गये कत्लेआम में हुआ था। घनानन्द श्रृंगार धारा के कवि थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[घनानन्द]] | ||
{बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है, यह कथन किसका है? | {बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है, यह कथन किसका है? | ||
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{रामभक्त कवि नहीं हैं- | {रामभक्त कवि नहीं हैं- | ||
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-नाभादास | -[[नाभादास]] | ||
-अग्रदास | -[[अग्रदास]] | ||
+ | +[[नरोत्तमदास]] | ||
-सेनापति | -[[सेनापति कवि|सेनापति]] | ||
|| [[चित्र:Narottamdas.jpg| |150px|right|नरोत्तमदास]] नरोत्तमदास [[हिन्दी]] के प्रमुख साहित्यकार थे। [[हिन्दी साहित्य]] में ऐसे लोग विरले ही हैं जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिन्दी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। एक ऐसे ही कवि हैं, [[उत्तर प्रदेश]] के [[सीतापुर]] जनपद में जन्मे कवि नरोत्तमदास, जिनका एकमात्र खण्ड-काव्य ‘[[सुदामा चरित -नरोत्तमदास|सुदामा चरित]]’ ([[ब्रजभाषा]] में) मिलता है जो हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[नरोत्तमदास]] | |||
{जीवन में हास्य का महत्त्व इसलिए है कि, वह जीवन को- | {जीवन में हास्य का महत्त्व इसलिए है कि, वह जीवन को- | ||
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-श्रृंगार | -श्रृंगार | ||
+वीर | +[[वीर रस|वीर]] | ||
-वात्सल्य | -[[वात्सल्य रस|वात्सल्य]] | ||
-रौद्र | -[[रौद्र रस|रौद्र]] | ||
{[[कबीरदास]] की [[भाषा]] थी? | {[[कबीरदास]] की [[भाषा]] थी? | ||
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-[[ब्रज भाषा |ब्रज]] | -[[ब्रज भाषा |ब्रज]] | ||
-कन्नौजी | -[[कन्नौजी बोली|कन्नौजी]] | ||
+सधुक्कड़ी | +सधुक्कड़ी | ||
-खड़ी बोली | -[[खड़ी बोली]] | ||
{"रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून" में कौन-सा [[अलंकार]] है? | {"रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून" में कौन-सा [[अलंकार]] है? | ||
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-राजेन्द्र कुमार | -राजेन्द्र कुमार | ||
+कमलेश्वर | +[[कमलेश्वर]] | ||
-सत्य प्रकाश मिश्र | -सत्य प्रकाश मिश्र | ||
-खुशवन्त सिंह | -[[खुशवन्त सिंह]] | ||
{राजेन्द्र कुमार द्वारा सम्पादित पुस्तक 'आलोचना का विवेक' किस विधा से संबंधित है? | {राजेन्द्र कुमार द्वारा सम्पादित पुस्तक 'आलोचना का विवेक' किस विधा से संबंधित है? | ||
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+[[सूरदास]] | +[[सूरदास]] | ||
-विद्यापति | -[[विद्यापति]] | ||
-[[घनानन्द]] | -[[घनानन्द]] | ||
-शिवसिंह | -शिवसिंह | ||
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+[[प्रेमचंद]] | +[[प्रेमचंद]] | ||
-अज्ञेय | -[[सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय|अज्ञेय]] | ||
-[[जयशंकर प्रसाद]] | -[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
-जैनेन्द्र | -[[जैनेन्द्र कुमार]] | ||
||[[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]] | ||[[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]] | ||
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12:04, 1 फ़रवरी 2013 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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