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| ==इतिहास सामान्य ज्ञान==
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| { [[अहमदशाह अब्दाली]] के [[भारत]] पर आक्रमण और [[पानीपत की तीसरी लड़ाई]] लड़ने का तात्कालिक कारण क्या था?
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| |type="()"}
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| +वह [[मराठा|मराठों]] द्वारा [[लाहौर]] से अपने वाइसराय तैमूर शाह के निष्कासन का बदला लेना चाहता था।
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| -उसे [[जालंधर]] के कुंठाग्रस्त राज्यपाल आदीन बेग ख़ान ने [[पंजाब]] पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया।
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| -वह मुग़ल प्रशासन को चहार महल ([[गुजरात]], [[औरंगाबाद]], [[सियालकोट]] तथा पसरूर) के राजस्व का भुगतान न करने के लिए दंडित करना चाहता था।
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| -वह [[दिल्ली]] की सीमाओं तक के पंजाब के सभी उपजाऊ मैदानों को हड़प कर अपने राज्य में विलय करना चाहता था।
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| || [[चित्र:Ahmad-Shah-Abdali.jpg|right|100px|अहमदशाह अब्दाली]] '''अहमदशाह अब्दाली''' अथवा 'अहमदशाह दुर्रानी' सन 1748 में [[नादिरशाह]] की मौत के बाद [[अफ़ग़ानिस्तान]] का शासक बना था। उसने [[भारत]] पर सन 1748 से सन 1758 तक कई बार चढ़ाई की और लूटपाट करता रहा। उसने अपना सबसे बड़ा हमला सन 1757 में [[जनवरी]] के माह में [[दिल्ली]] पर किया। उस समय दिल्ली का शासक [[आलमगीर द्वितीय]] था। वह बहुत ही कमज़ोर और डरपोक शासक था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अहमदशाह अब्दाली]]
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| {निम्नलिखित में से कौन एक [[आर्य समाज]] के साथ सम्बद्ध नहीं था?
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| |type="()"}
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| -[[दयानन्द सरस्वती]]
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| -[[लाला हंसराज]]
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| +पंडित हरदयाल
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| -[[लाला लाजपत राय]]
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| {मिश्रित अर्थव्यवस्था किसने प्रारम्भ की थी?
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| |type="()"}
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| -[[महात्मा गांधी]]
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| -[[जमशेदजी टाटा]]
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| +[[जवाहरलाल नेहरू]]
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| -[[इंदिरा गांधी]]
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| ||[[चित्र:Jawahar-Lal-Nehru.jpg|right|100px|जवाहरलाल नेहरू]] भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने आर्थिक प्रगति हेतु दो मॉडल थे, एक [[संयुक्त राज्य अमरीका]] और उसके मित्र राष्ट्रों का पूंजीवादी प्रगति का मॉडल और दूसरा सोवियत यूनियन ऑफ एशिया का कम्युनिस्ट मॉडल। पं. नेहरू की वैचारिक दूरदर्शिता ने इन दोनों विपरीत ध्रुवीय आर्थिक अवधारणाओं की अच्छाइयां और बुराइयां, लाभ और हानियों की गंभीरता को समझ लिया था और [[भारत]] जैसे उदीयमान विकासशील राष्ट्र के लिए 'मिक्सड इकॉनॉमी' अथवा मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपना लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जवाहरलाल नेहरू]]
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| {निम्नलिखित में से कौन एत्तुतोगै संग्रह का अंग है?
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| +पुरुनानूरु
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| -मणिमेकलै
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| -शिलप्पदिकारम
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| -तोलकाप्पियम
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| {क्यूनीफार्म लिपि का सर्वप्रथम प्रयोग किस प्राचीन सभ्यता ने किया था?
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| |type="()"}
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| -[[चीन]]
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| -क्रीट
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| -[[मिस्र]]
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| +सुमेर
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| {निम्नलिखित में से किसे 'जाटों का प्लेटो' कहा जाता था?
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| |type="()"}
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| -[[राजाराम]]
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| -[[ठाकुर चूड़ामन सिंह|चूड़ामन सिंह]]
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| +[[सूरजमल]]
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| -[[बदनसिंह]]
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| || [[चित्र:Maharaja-Surajmal-1.jpg|right|100px|सूरजमल]] राजा सूरजमल सुयोग्य शासक था। उसने [[ब्रज]] में एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य को बना इतिहास में गौरव प्राप्त किया। उसके शासन का समय सन् 1755 से सन् 1763 है। वह सन् 1755 से कई साल पहले से अपने पिता [[बदनसिंह]] के शासन के समय से ही वह राजकार्य सम्भालता था। [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में सूरजमल को 'जाटों का प्लेटो' कहकर भी सम्बोधित किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरजमल]]
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| { निम्नांकित में से किसने अपने लेखन 'प्रेज़ ऑफ़ फौली' में क्षमापात्रों की बिक्री की कटु आलोचना की है?
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| |type="()"}
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| -हेनरी तृतीय
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| +इरासमस
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| -मार्टिन लूथर
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| -कैल्विन
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| {निम्नांकित में से किस शासक ने अपने सिक्कों पर ये अंकित किया था- 'प्रभुसत्ता हर व्यक्ति को नहीं दी जाती है, बल्कि उसे दी जाती है जो चुना गया हो'
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| |type="()"}
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| -[[इल्तुतमिश]]
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| -[[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]]
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| +[[मुहम्मद बिन तुग़लक|मुहम्मद तुग़लक]]
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| -[[बहलोल लोदी]]
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| || [[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|right|100px|ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा]][[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] की मृत्यु के बाद उसका पुत्र 'जूना ख़ाँ', मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1325-1351 ई.) के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इसका मूल नाम 'उलूग ख़ाँ' था। राजामुंदरी के एक अभिलेख में मुहम्मद तुग़लक़ (जौना या जूना ख़ाँ) को दुनिया का ख़ान कहा गया है। सम्भवतः मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुग़लक़ सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद बिन तुग़लक|मुहम्मद तुग़लक]]
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| {[[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] के संदर्भ में उषा मेहता की ख्याति है-
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| |type="()"}
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| -[[द्वितीय गोलमेज सम्मेलन]] में सहभागिता हेतु
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| +[[भारत छोड़ो आंदोलन]] की वेला में गुप्त कांग्रेस रेडियो चलाने के लिए
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| -[[आज़ाद हिन्द फ़ौज]] की एक टुकड़ी का नेतृत्व करने के कारण
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| -[[जवाहरलाल नेहरू]] की अंतरिम सरकार के गठन में सहायक भूमिका निभाने के लिए
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| || [[बम्बई]] में उषा मेहता एवं उनके कुछ साथियों ने कई महीने तक कांग्रेस रेडियो का प्रसारण किया। [[राममनोहर लोहिया]] नियमित रूप से रेडियो पर बोलते थे। [[नवम्बर]] [[1942]] ई. में पुलिस ने इसे खोज निकाला और जब्त कर लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारत छोड़ो आंदोलन#नेताओं की गिरफ़्तारी|भारत छोड़ो आंदोलन]]
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| {[[हीरा]] उत्खनन किससे सम्बन्धित है?
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| |type="()"}
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| -[[फ़तेहपुर सीकरी]]
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| -[[आगरा]]
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| +[[गोलकुंडा]]
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| -[[लाहौर]]
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| ||[[चित्र:Golconda-Fort.jpg|100px|right]] गोलकुंडा एक क़िला व भग्नशेष नगर है। यह [[आंध्र प्रदेश]] का एक ऐतिहासिक नगर है। [[हैदराबाद]] से पांच मील पश्चिम की ओर [[बहमनी वंश]] के सुल्तानों की राजधानी गोलकुंडा के विस्तृत खंडहर स्थित हैं। गोलकुंडा पहले [[हीरा]] उत्खनन के लिए विख्यात था जिनमें से [[कोहिनूर हीरा]] सबसे मशहूर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोलकुंडा]]
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| {[[1942]] के [[भारत छोड़ो आंदोलन]] के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-की एक टिप्पणी सत्य नहीं है?
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| |type="()"}
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| -यह आंदोलन अहिंसक था
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| -उसका नेतृत्व [[महात्मा गांधी]] ने किया था
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| +यह आंदोलन स्वत: प्रवर्तित था
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| -इसने सामान्य श्रमिक वर्ग को आकर्षित नहीं किया था।
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| {निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र हैदराबाद कटिन जैन्सी के बकाया राशि के न अदा करने पर [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] द्वारा अधिकार में कर लिया गया था और वह कब्जा 1947 तक क़ायम रहा-
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| |type="()"}
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| +[[बरार]]
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| -[[रायपुर]]
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| -[[उस्मानाबाद]]
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| -उत्तरी सरकार
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| || बरार [[कपास]] उत्पादक क्षेत्र, पूर्वी-मध्य [[महाराष्ट्र]] राज्य के पश्चिमी भारत में है।13वीं शताब्दी में [[मुस्लिम]] सेनाओं के आक्रमण के बाद बरार एक स्पष्ट राजनीतिक इकाई के रूप में उभरा था। मुस्लिम साम्राज्य के बिखरने तक यह अनेक मुस्लिम राज्यों का हिस्सा रहा और उसके बाद [[हैदराबाद]] के निज़ाम के अधीन हो गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरार]]
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| {निम्नलिखित में से किसने अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन की स्थापना की?
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| |type="()"}
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| +[[महात्मा गाँधी]]
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| -[[सरदार पटेल]]
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| -[[एन. एम. जोशी]]
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| -[[जे. बी. कृपलानी]]
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| ||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|100px|right]] महात्मा गाँधी को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]] का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। इनका पूरा नाम 'मोहनदास करमचंद गाँधी' था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। मोहनदास करमचंद गांधी [[भारत]] एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गाँधी]]
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| {नहपाण के अंतर्गत सुवर्ण एवं कर्षापण की विनिमय दर क्या थी?
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| |type="()"}
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| -1 : 5
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| -1 : 15
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| -1 : 25
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| +1 : 35
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| { निम्नलिखित में से कौन [[भक्ति आंदोलन]] का प्रस्तावक नहीं था?
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| |type="()"}
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| -[[तुकाराम]]
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| -त्यागराज
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| +[[नागार्जुन]]
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| -[[वल्लभाचार्य]]
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| || [[चित्र:Nagarjun.jpg|right|80px]] नागार्जुन के अतिरिक्त सभी भक्ति आंदोलन के प्रस्तावक रहे। नागार्जुन प्रगतिवादी विचारधारा के लेखक और कवि हैं। नागार्जुन ने 1945 ई. के आसपास साहित्य सेवा के क्षेत्र में क़दम रखा। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नागार्जुन]]
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| </quiz>
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