"शारदा नदी": अवतरणों में अंतर

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==उदगम स्थल==
==उदगम स्थल==
इस नदी का उदगम स्थल कुमाऊँ के उत्तर पूर्वी भाग में मिलाम नामक [[हिमनद]] है। इसे प्रारम्भ में [[काली नदी|काली]] गंगा के नाम से पुकारा जाता है। उदगम के निकट इसकी दो सहायक नदियाँ हैं।
शारदा नदी का उदगम स्थान पूर्वोत्तर [[कुमाऊँ]] क्षेत्र का मिलाम [[हिमनद]] और [[गण्डक नदी|गण्डक]] महान [[हिमालय]] है जो यहाँ से निकलती हुई [[उत्तर प्रदेश]] में बहती है। इसे प्रारम्भ में [[काली नदी|काली]] गंगा के नाम से पुकारा जाता है। उदगम के निकट इसकी दो सहायक नदियाँ हैं।
*धर्मा  
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*लिसार   
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==संगम==
==संगम==
उदगम के बाद लगभग 160 किमी॰ प्रवाहित होने के पश्चात पंचेश्वर के निकट इसमें सरयू और पूर्वी [[रामगंगा नदी|रामगंगा]] आकर मिलती हैं। यहीं से यह नदी सरयू या शारदा के नाम से पहाड़ियों में चक्करदार मार्ग से होकर [[ब्रह्मा|ब्रह्मदेव]] के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है। यहाँ यह कई भागों में बँट जाती है। परन्तु आगे चलकर मुढ़िया के निकट से सभी प्रवाह मार्ग पुनः एक हो जाते हैं।  
उदगम के बाद लगभग 160 किमी॰ प्रवाहित होने के पश्चात पंचेश्वर के निकट इसमें [[सरयू नदी|सरयू]] और पूर्वी [[रामगंगा नदी|रामगंगा]] आकर मिलती हैं। यहीं से यह नदी सरयू या शारदा के नाम से पहाड़ियों में चक्करदार मार्ग से होकर [[ब्रह्मा|ब्रह्मदेव]] के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है। यहाँ यह कई भागों में बँट जाती है। परन्तु आगे चलकर मुढ़िया के निकट से सभी प्रवाह मार्ग पुनः एक हो जाते हैं।  
*बहरामघाट के निकट पहुँचकर यह करनाली तथा [[घाघरा नदी|घाघरा नदी]] में मिल जाती है।
*बहरामघाट के निकट पहुँचकर यह [[करनाली नदी|करनाली]] तथा [[घाघरा नदी|घाघरा नदी]] में मिल जाती है।





07:55, 7 जून 2010 का अवतरण

उदगम स्थल

शारदा नदी का उदगम स्थान पूर्वोत्तर कुमाऊँ क्षेत्र का मिलाम हिमनद और गण्डक महान हिमालय है जो यहाँ से निकलती हुई उत्तर प्रदेश में बहती है। इसे प्रारम्भ में काली गंगा के नाम से पुकारा जाता है। उदगम के निकट इसकी दो सहायक नदियाँ हैं।

  • धर्मा
  • लिसार

संगम

उदगम के बाद लगभग 160 किमी॰ प्रवाहित होने के पश्चात पंचेश्वर के निकट इसमें सरयू और पूर्वी रामगंगा आकर मिलती हैं। यहीं से यह नदी सरयू या शारदा के नाम से पहाड़ियों में चक्करदार मार्ग से होकर ब्रह्मदेव के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है। यहाँ यह कई भागों में बँट जाती है। परन्तु आगे चलकर मुढ़िया के निकट से सभी प्रवाह मार्ग पुनः एक हो जाते हैं।


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