"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Katarmal-Sun-Temple-Almora-Uttarakhand.jpg|right|100px|कटारमल सूर्य मन्दिर]]'कटारमल सूर्य मन्दिर' [[उत्तराखण्ड]] में [[अल्मोड़ा]] के [[कटारमल]] नामक स्थान पर स्थित है। इस कारण इसे '[[कटारमल सूर्य मन्दिर]]' कहा जाता है। यह सूर्य मन्दिर न सिर्फ़ समूचे [[कुमाऊँ मंडल]] का सबसे विशाल, ऊँचा और अनूठा मन्दिर है, बल्कि [[उड़ीसा]] के '[[कोणार्क सूर्य मन्दिर]]' के बाद एकमात्र प्राचीन सूर्य मन्दिर भी है। इस सूर्य मंदिर का [[इतिहास]] बहुत पुराना है। '[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग]]' द्वारा इस मन्दिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अल्मोड़ा]] | |||
{निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने ख़लीफ़ा से 'खिलअत' प्राप्त किया? (पृ. सं. 27 | {निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने ख़लीफ़ा से 'खिलअत' प्राप्त किया? (पृ. सं. 27 | ||
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-[[रज़िया सुल्तान]] | -[[रज़िया सुल्तान]] | ||
-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] | -[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] | ||
||इल्तुतमिश एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध उसकी कार्य कुशलता से प्रभावित होकर [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उसे '''अमीर-उल-उमरा''' नामक महत्त्वपूर्ण पद दिया था। क्योंकि अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः [[लाहौर]] के तुर्क अधिकारियों ने ऐबक के विवादित पुत्र [[आरामशाह]] को लाहौर की गद्दी पर बैठाया। परन्तु [[दिल्ली]] के तुर्की सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद [[इल्तुतमिश]] को दिल्ली आमंत्रित कर राज्य सिंहासन पर बैठाया गया। [[फ़रवरी]], 1229 में [[बग़दाद]] के ख़लीफ़ा से इल्तुतमिश को सम्मान में ‘खिलअत’ एवं प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ। ख़लीफ़ा ने इल्तुतमिश की पुष्टि उन सारे क्षेत्रों में कर दी, जो उसने जीते थे। साथ ही ख़लीफ़ा ने उसे '''सुल्तान-ए-आजम''' (महान शासक) की उपाधि भी प्रदान की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]] | |||
{'मेरे लिए प्रत्येक छोटे से छोटा कार्य भी इस बात से शासित होता है कि वह मेरे धर्मसम्मत है' - यह कथन किसका है? (पृ. सं. 25 | {'मेरे लिए प्रत्येक छोटे से छोटा कार्य भी इस बात से शासित होता है कि वह मेरे धर्मसम्मत है' - यह कथन किसका है? (पृ. सं. 25 |
09:50, 19 फ़रवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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