"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर

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||[[चित्र:Iltutmish-Tomb-Qutab-Minar.jpg|right|100px|इल्तुतमिश का मक़बरा, क़ुतुब मीनार, दिल्ली]]इल्तुतमिश एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध उसकी कार्य कुशलता से प्रभावित होकर [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उसे '''अमीर-उल-उमरा''' नामक महत्त्वपूर्ण पद प्रदान किया था। क्योंकि अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः [[लाहौर]] के तुर्क अधिकारियों ने ऐबक के विवादित पुत्र [[आरामशाह]] को लाहौर की गद्दी पर बैठाया। परन्तु [[दिल्ली]] के तुर्की सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद [[इल्तुतमिश]] को दिल्ली आमंत्रित कर राज्य सिंहासन पर बैठाया गया। [[फ़रवरी]], 1229 में [[बग़दाद]] के ख़लीफ़ा से इल्तुतमिश को सम्मान में ‘खिलअत’ एवं प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]]
||[[चित्र:Iltutmish-Tomb-Qutab-Minar.jpg|right|100px|इल्तुतमिश का मक़बरा, क़ुतुब मीनार, दिल्ली]]इल्तुतमिश एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध उसकी कार्य कुशलता से प्रभावित होकर [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उसे '''अमीर-उल-उमरा''' नामक महत्त्वपूर्ण पद प्रदान किया था। क्योंकि अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः [[लाहौर]] के तुर्क अधिकारियों ने ऐबक के विवादित पुत्र [[आरामशाह]] को लाहौर की गद्दी पर बैठाया। परन्तु [[दिल्ली]] के तुर्की सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद [[इल्तुतमिश]] को दिल्ली आमंत्रित कर राज्य सिंहासन पर बैठाया गया। [[फ़रवरी]], 1229 में [[बग़दाद]] के ख़लीफ़ा से इल्तुतमिश को सम्मान में ‘खिलअत’ एवं प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]]


{'मेरे लिए प्रत्येक छोटे से छोटा कार्य भी इस बात से शासित होता है कि वह मेरे धर्मसम्मत है' - यह कथन किसका है? (पृ. सं. 25
{'मेरी मान्यता है कि कोई भी राष्ट्र [[धर्म]] के बिना वास्तविक प्रगति नहीं कर सकता।' यह कथन किसका है? (पृ. सं. 25
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-[[स्वामी विवेकानन्द]]
-[[स्वामी विवेकानन्द]]
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+[[महात्मा गांधी]]
+[[महात्मा गांधी]]
-[[सुभाषचन्द्र बोस]]
-[[सुभाषचन्द्र बोस]]
||[[चित्र:Statue-of-Gandhiji-2.jpg|right|100px|लंदन स्थित गाँधीजी की प्रतिमा]]महात्मा गाँधी को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ '[[भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन]]' का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। वर्ष [[1942]] के ग्रीष्म में [[महात्मा गाँधी]] ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से तत्काल भारत छोड़ने की माँग की। फ़ाँसीवादी शक्तियों, विशेषकर [[जापान]] के ख़िलाफ़ युद्ध महत्त्वपूर्ण चरण में था। अंग्रेज़ों ने तुरन्त ही प्रतिक्रिया दिखाई और [[कांग्रेस]] के समूचे नेतृत्व को गिरफ़्तार कर लिया तथा पार्टी को हमेशा के लिए कुचल देने का प्रयास किया। इसके फलस्वरूप हिंसा भड़क उठी, जिसे सख़्ती से दबा दिया गया। [[भारत]] और ब्रिटेन के बीच की दूरी पहले से भी कहीं अधिक बढ़ गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गांधी]]


{निम्नलिखित में से कौन-सा [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] ग्रंथ सुजान राय भंडारी द्वारा लिखा गया था? (पृ. सं.24
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-[[बक्सर का युद्ध]] - [[मीर ज़ाफ़र]] विरुद्ध [[रॉबर्ट क्लाइव]]
-[[बक्सर का युद्ध]] - [[मीर ज़ाफ़र]] विरुद्ध [[रॉबर्ट क्लाइव]]
+वांडीवाश का युद्ध - [[फ़्राँसीसी]] विरुद्ध [[ईस्ट इंडिया कंपनी]]
+वाडीवाश का युद्ध - [[फ़्राँसीसी]] विरुद्ध [[ईस्ट इंडिया कंपनी]]
-चिलियाँवाला का युद्ध - [[लॉर्ड डलहौजी|डलहौजी]] विरुद्ध [[मराठा|मराठे]]
-चिलियाँवाला का युद्ध - [[लॉर्ड डलहौजी|डलहौजी]] विरुद्ध [[मराठा|मराठे]]
-खर्दा का युद्ध - निज़ाम विरुद्ध [[ईस्ट इंडिया कंपनी]]
-खर्दा का युद्ध - निज़ाम विरुद्ध [[ईस्ट इंडिया कंपनी]]
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-भू-स्वामियों का दमन।
-भू-स्वामियों का दमन।
-भू-स्वामियों की वफादारी हासिल करना।
-भू-स्वामियों की वफादारी हासिल करना।
||[[चित्र:Lord Pethick Lawrence.jpg|right|80px|पेथिक लॉरेंस और गाँधीजी]]पेथिक लॉरेंस [[भारत]] में आने वाले [[अंग्रेज़]] '[[साइमन कमीशन]]' का एक सदस्य और उसका अध्यक्ष था। 'साइमन कमीशन' भारत में [[22 जनवरी]], [[1946]] ई. को आया था। [[पेथिक लॉरेंस]] भारत को स्वाधीनता प्रदान किये जाने का पक्षधर था। लॉरेंस ने अपना यह कथन भी दिया कि "भारत में [[महात्मा गाँधी]] से अच्छा [[अंग्रेज़ी]] का लेखक कोई दूसरा नहीं है। पेथिक लॉरेंस भारत की संवैधानिक सुधारों की मांग का प्रबल समर्थक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पेथिक लॉरेंस]]


{निम्नलिखित में से किस एक [[राजपूत|राजपूत राजवंश]] द्वारा अपना उद्गम मिथकीय '[[अग्निकुल]]' से नहीं जोड़ा गया? (पृ. सं. 18
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-परिहार
-परिहार
-[[चौहान वंश|चौहान]]
-[[चौहान वंश|चौहान]]
+[[चंदेल वंश|चंदेल]]
+[[चन्देल वंश|चन्देल]]
-[[सोलंकी वंश|सोलंकी]]
-[[सोलंकी वंश|सोलंकी]]
||'चन्देल वंश' [[गोंड|गोंड जनजातीय]] मूल का [[राजपूत साम्राज्य|राजपूत वंश]] था, जिसने उत्तर-मध्य [[भारत]] के [[बुंदेलखंड]] पर कुछ शताब्दियों तक शासन किया था। [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहारों]] के पतन के साथ ही [[चन्देल वंश|चन्देल]] नौवीं शताब्दी में सत्ता में आए। उनका साम्राज्य उत्तर में [[यमुना नदी]] से लेकर [[सागर ज़िला|सागर]], [[मध्य प्रदेश]] तक और [[धसान नदी]] से [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतमालाओं]] तक फैला हुआ था। सुप्रसिद्ध [[कालिंजर|कालिंजर का क़िला]], [[खजुराहो]], [[महोबा]] और [[अजयगढ़]] उनके प्रमुख गढ़ थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्देल वंश|चन्देल]]


{निम्नलिखित में से किसमें विख्यात [[गायत्री मंत्र]] अंतर्विष्ट है? (पृ. सं. 18
{निम्नलिखित में से किसमें विख्यात '[[गायत्री मंत्र]]' अंतर्विष्ट है? (पृ. सं. 18
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+[[ऋग्वेद]]
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-[[अथर्ववेद]]
-[[अथर्ववेद]]
-[[सामवेद]]
-[[सामवेद]]
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद]]ऋग्वेद के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण [[यज्ञ|यज्ञों]] के अवसर पर 'होतृ ऋषियों' द्वारा किया जाता था। [[ऋग्वेद]] की अनेक संहिताओं में 'संप्रति संहिता' ही उपलब्ध है। इस [[वेद]] के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ गये दशममंडल, जिसे 'पुरुषसूक्त' के नाम से जाना जाता है, में सर्वप्रथम [[शूद्र|शूद्रों]] का उल्लेख मिलता है। [[सोम देव|सोम]] का उल्लेख नवें मण्डल में है। लोकप्रिय '[[गायत्री मंत्र]]' का उल्लेख भी ऋग्वेद के 7वें मण्डल में किया गया है। इस मण्डल के रचयिता [[वसिष्ठ]] थे। यह मण्डल [[वरुण देवता]] को समर्पित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]


{निम्नलिखित में से कौन सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 18
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 18
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-मालती माधव नाटक
-मालती - माधव नाटक
-[[पंचतंत्र]] दंतकथा
-[[पंचतंत्र]] - दंतकथा
+[[मालविकाग्निमित्रम्]] जीवनचरित
+[[मालविकाग्निमित्रम्]] - जीवनचरित
-पंचसिद्धान्तिक खगोलशास्त्र
-पंचसिद्धान्तिक - खगोलशास्त्र
||'मालविकाग्निमित्रम्' चौथी शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं पांचवी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में [[महाकवि कालिदास]] द्वारा लिखा गया था। कालिदास द्वारा रचित इस [[संस्कृत]] ग्रंथ से [[पुष्यमित्र शुंग]] एवं उसके पुत्र [[अग्निमित्र]] के समय के राजनीतिक घटनाचक्र तथा [[शुंग वंश|शुंग]] एवं [[यवन]] संघर्ष का उल्लेख मिलता है। यह श्रृंगार रस प्रधान पाँच अंकों का नाटक है। यह कालिदास की प्रथम नाट्य कृति है; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता, जो '[[विक्रमोर्वशीय]]' अथवा '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मालविकाग्निमित्रम्]]


{'[[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]]' के दौरान [[अरुणा असिफ़ अली]] किस भूमिगत क्रियाकलाप की प्रमुख महिला संगठक थीं? (पृ. सं. 15)
{'[[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]]' के दौरान [[अरुणा असिफ़ अली]] किस भूमिगत क्रियाकलाप की प्रमुख महिला संगठक थीं? (पृ. सं. 15)
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+[[भारत छोड़ो आंदोलन]]
+[[भारत छोड़ो आंदोलन]]
-[[स्वदेशी आंदोलन]]
-[[स्वदेशी आंदोलन]]
||[[चित्र:Aruna-Asaf-Ali.jpg|right|100px|अरुणा असिफ़ अली]]'भारत छोड़ो आन्दोलन' [[9 अगस्त]], [[1942]] को राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के आह्वान पर प्रारम्भ हुआ था। '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के समय कई स्थानों पर अस्थायी सरकारों की स्थापना की गयी थी। [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[मिदनापुर ज़िला|मिदनापुर ज़िले]] के [[तामलुक]] में गठिन राष्ट्रीय सरकार [[1944]] ई. तक चलती रही। यहाँ की सरकार को जातीय सरकार के नाम से जाना जाता है। सतीश सावंत के नेतृत्व में गठित इस जातीय सरकार ने स्कूलों को अनुदान दिये और 'सशस्त्र विद्युत वाहिनी सैन्य संगठन' बनाया। इस आन्दोलन से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र थे- [[बंगाल]], [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मद्रास]] एवं [[बम्बई]]। [[जयप्रकाश नारायण]], [[राममनोहर लोहिया]] एवं [[अरुणा असिफ़ अली]] जैसे नेताओं ने भूमिगत रहकर इस आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारत छोड़ो आंदोलन]]
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11:55, 19 फ़रवरी 2013 का अवतरण

इतिहास सामान्य ज्ञान

1 अनेकान्तवाद निम्नलिखित में से किसका क्रोड सिद्धांत एवं दर्शन है?(पृ. सं. 15)

बौद्ध
जैन
सिक्ख
वैष्णव

2 सिन्धु सभ्यता से सम्बद्ध किन स्थलों से चावल की खेती के प्रमाण मिले हैं?(पृ. सं. 17)

मोहनजोदड़ो और हड़प्पा
लोथल और रंगपुर
कालीबंगा और रोजदी
इनमें से कोई नहीं

3 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में विनोबा भावे को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था? (पृ. सं. 15)

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
पंडित जवाहरलाल नेहरू
सी. राजगोपालाचारी
सरदार वल्लभभाई पटेल

4 निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 19

इक्ता - नागरिक एवं सैन्य सेवा के लिए दिया जाने वाला राजस्व नियत कार्य।
मनसब - सल्तनत प्रशासन में अमीरों की अधिकारिक स्थिति।
खालसा - मुग़ल सम्राट के सीधे प्रशासनिक अधिकार में आने वाली भूमि।
इजारा - राजस्व नियत कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति।

5 निम्नलिखित में से कौन 'काकोरी काण्ड' से संबंधित नहीं था? (पृ. सं. 24

रामप्रसाद बिस्मिल
चन्द्रशेखर आज़ाद
अशफ़ाकउल्ला ख़ान
मास्टर सूर्य सेन

7 निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने ख़लीफ़ा से 'खिलअत' प्राप्त किया? (पृ. सं. 27

क़ुतुबुद्दीन
इल्तुतमिश
रज़िया सुल्तान
ग़यासुद्दीन तुग़लक़

8 'मेरी मान्यता है कि कोई भी राष्ट्र धर्म के बिना वास्तविक प्रगति नहीं कर सकता।' यह कथन किसका है? (पृ. सं. 25

स्वामी विवेकानन्द
वी. डी. सावरकर
महात्मा गांधी
सुभाषचन्द्र बोस

9 निम्नलिखित में से कौन-सा फ़ारसी ग्रंथ सुजान राय भंडारी द्वारा लिखा गया था? (पृ. सं.24

इबरतनामा
खुलासत-उत-तवारीख
शाहजहाँनामा
मुन्तखब-उत-तवारीख

10 निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित है? (पृ. सं. 21

बक्सर का युद्ध - मीर ज़ाफ़र विरुद्ध रॉबर्ट क्लाइव
वाडीवाश का युद्ध - फ़्राँसीसी विरुद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी
चिलियाँवाला का युद्ध - डलहौजी विरुद्ध मराठे
खर्दा का युद्ध - निज़ाम विरुद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी

11 लॉर्ड लॉरेंस के कार्यकाल में पारित 'पंजाब टेनेन्सी एक्ट' का प्रमुख उद्देश्य क्या था? (पृ. सं.22

कृषकों के दखल अधिकारों की सुरक्षा।
सरकार की राजस्व वसूली को बढ़ाना।
भू-स्वामियों का दमन।
भू-स्वामियों की वफादारी हासिल करना।

12 निम्नलिखित में से किस एक राजपूत राजवंश द्वारा अपना उद्गम मिथकीय 'अग्निकुल' से नहीं जोड़ा गया? (पृ. सं. 18

परिहार
चौहान
चन्देल
सोलंकी

13 निम्नलिखित में से किसमें विख्यात 'गायत्री मंत्र' अंतर्विष्ट है? (पृ. सं. 18

ऋग्वेद
यजुर्वेद
अथर्ववेद
सामवेद

14 निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 18

मालती - माधव नाटक
पंचतंत्र - दंतकथा
मालविकाग्निमित्रम् - जीवनचरित
पंचसिद्धान्तिक - खगोलशास्त्र

15 'स्वतंत्रता संग्राम' के दौरान अरुणा असिफ़ अली किस भूमिगत क्रियाकलाप की प्रमुख महिला संगठक थीं? (पृ. सं. 15)

सविनय अवज्ञा आंदोलन
असहयोग आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन
स्वदेशी आंदोलन