"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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-[[कालीबंगा]] और [[रोजदी (गुजरात)|रोजदी]] | -[[कालीबंगा]] और [[रोजदी (गुजरात)|रोजदी]] | ||
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||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right| | ||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right|120px|लोथल के अवशेष]]'लोथल' [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद ज़िले]] में भोगावा नदी के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ की खुदाई वर्ष [[1954]]-[[1955]] ई. में रंगनाथ राव के नेतृत्व में की गई थी। [[लोथल]] में दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी। यह छः खण्डों में विभक्त था। लोथल में गढ़ी और नगर दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे। यहाँ से अन्य अवशेषों में [[चावल]], [[फ़ारस]] की मुहरों एवं घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियों के [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोथल]], [[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | ||
{'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में [[विनोबा भावे]] को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था? (पृ. सं. 15) | {'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में [[विनोबा भावे]] को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था? (पृ. सं. 15) | ||
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-[[खालसा]] - [[मुग़ल]] सम्राट के सीधे प्रशासनिक अधिकार में आने वाली भूमि। | -[[खालसा]] - [[मुग़ल]] सम्राट के सीधे प्रशासनिक अधिकार में आने वाली भूमि। | ||
-इजारा - राजस्व नियत कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति। | -इजारा - राजस्व नियत कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति। | ||
||[[चित्र:Akbar.jpg|right| | ||[[चित्र:Akbar.jpg|right|80px|बादशाह अकबर]]'मनसब' [[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था|मुग़ल शासन काल]] में [[अकबर|बादशाह अकबर]] के समय दिया जाने वाला एक 'पद' या 'ओहदा' होता था। राज्य के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उनके [[मनसब]] के अनुसार ही वेतन दिया जाता था। मनसब प्रणाली [[मुग़ल साम्राज्य]] की रीढ़ समझी जाती थी। जिस व्यक्ति को मनसब दिया जाता था, उसे '[[मनसबदार]]' कहते थे। अकबर ने कुछ [[राजपूत]] राजाओं, जैसे- [[भगवान दास]], [[राजा मानसिंह]], [[बीरबल]] एवं [[टोडरमल]] को उच्च मनसब प्रदान किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनसब]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन '[[काकोरी काण्ड]]' से संबंधित नहीं था? (पृ. सं. 24 | {निम्नलिखित में से कौन '[[काकोरी काण्ड]]' से संबंधित नहीं था? (पृ. सं. 24 | ||
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-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
-[[सामवेद]] | -[[सामवेद]] | ||
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right| | ||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|90px|ऋग्वेद]]ऋग्वेद के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण [[यज्ञ|यज्ञों]] के अवसर पर 'होतृ ऋषियों' द्वारा किया जाता था। [[ऋग्वेद]] की अनेक संहिताओं में 'संप्रति संहिता' ही उपलब्ध है। इस [[वेद]] के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ गये दशममंडल, जिसे 'पुरुषसूक्त' के नाम से जाना जाता है, में सर्वप्रथम [[शूद्र|शूद्रों]] का उल्लेख मिलता है। [[सोम देव|सोम]] का उल्लेख नवें मण्डल में है। लोकप्रिय '[[गायत्री मंत्र]]' का उल्लेख भी ऋग्वेद के 7वें मण्डल में किया गया है। इस मण्डल के रचयिता [[वसिष्ठ]] थे। यह मण्डल [[वरुण देवता]] को समर्पित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 18 | {निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 18 |
13:44, 19 फ़रवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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