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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font> | |||
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[[चित्र:Women-labour.png|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 22 फ़रवरी 2013]] | |||
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 22 फ़रवरी 2013|प्रतीक्षा की सोच]]</center> | |||
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सकारात्मक सोच का व्यक्ति बनने के बहुत उपाय हैं जिनमें से एक है 'धैर्य'। धैर्य को समझना ज़रूरी है। यदि हम बिना बैचैन हुए किसी का इंतज़ार कर सकते हैं तो हम धैर्यवान हैं। सहज होकर, सानंद प्रतीक्षा करना, सबसे आवश्यक गुण है। यदि यह गुण हमारे भीतर नहीं है तो हमें यह योग्यता पैदा करनी चाहिए। प्रतीक्षा किसी की भी हो सकती है; किसी व्यक्ति की, किसी सफलता की या किसी नतीजे की। प्रतीक्षा करने में बेचैनी होने से हमारी सोच का पता चलता है। प्रतीक्षा करने में यदि बेचैनी होती है तो यह सोच नकारात्मक सोच है। [[भारतकोश सम्पादकीय 22 फ़रवरी 2013|...पूरा पढ़ें]] | |||
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] → | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013|अहम का वहम]] · | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 31 दिसम्बर 2012|यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी']] | |||
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13:29, 22 फ़रवरी 2013 का अवतरण
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