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     '''[[होली]]''' [[भारत]] का प्रमुख त्योहार है। होली जहाँ एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक है, वहीं [[रंग|रंगों]] का भी त्योहार है। बाल-वृद्ध, नर-नारी सभी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसमें जातिभेद-वर्णभेद का कोई स्थान नहीं होता। [[संस्कृत]] शब्द होलक्का से होली शब्द का जन्म हुआ है। [[वैदिक काल|वैदिक युग]] में (होलक्का) को ऐसा अन्न माना जाता था, जो देवों का मुख्य रूप से खाद्य-पदार्थ था। [[वसंत ऋतु|बसंत]] की आनन्दाभिव्यक्ति रंगीन [[जल]] एवं [[लाल रंग]], [[गुलाल|अबीर-गुलाल]] के पारस्परिक आदान-प्रदान से प्रकट होती है। कुछ प्रदेशों में यह रंग युक्त वातावरण 'होलिका के दिन' ही होता है, किन्तु [[दक्षिण भारत]] में यह पाँचवें दिन ([[रंग पंचमी]]) तक मनाई जाती है। [[होली|... और पढ़ें]]</poem>
     '''[[होली]]''' [[भारत]] का प्रमुख त्योहार है। होली जहाँ एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक है, वहीं [[रंग|रंगों]] का भी त्योहार है। बाल-वृद्ध, नर-नारी सभी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसमें जातिभेद-वर्णभेद का कोई स्थान नहीं होता। [[संस्कृत]] शब्द होलक्का से होली शब्द का जन्म हुआ है। [[वैदिक काल|वैदिक युग]] में (होलक्का) को ऐसा अन्न माना जाता था, जो देवों का मुख्य रूप से खाद्य-पदार्थ था। [[वसंत ऋतु|बसंत]] की आनन्दाभिव्यक्ति रंगीन [[जल]] एवं [[लाल रंग]], [[गुलाल|अबीर-गुलाल]] के पारस्परिक आदान-प्रदान से प्रकट होती है। कुछ प्रदेशों में यह रंग युक्त वातावरण 'होलिका के दिन' ही होता है, किन्तु [[दक्षिण भारत]] में यह पाँचवें दिन ([[रंग पंचमी]]) तक मनाई जाती है। [[होली|... और पढ़ें]]</poem>

10:25, 15 मार्च 2013 का अवतरण

एक आलेख

     होली भारत का प्रमुख त्योहार है। होली जहाँ एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक है, वहीं रंगों का भी त्योहार है। बाल-वृद्ध, नर-नारी सभी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसमें जातिभेद-वर्णभेद का कोई स्थान नहीं होता। संस्कृत शब्द होलक्का से होली शब्द का जन्म हुआ है। वैदिक युग में (होलक्का) को ऐसा अन्न माना जाता था, जो देवों का मुख्य रूप से खाद्य-पदार्थ था। बसंत की आनन्दाभिव्यक्ति रंगीन जल एवं लाल रंग, अबीर-गुलाल के पारस्परिक आदान-प्रदान से प्रकट होती है। कुछ प्रदेशों में यह रंग युक्त वातावरण 'होलिका के दिन' ही होता है, किन्तु दक्षिण भारत में यह पाँचवें दिन (रंग पंचमी) तक मनाई जाती है। ... और पढ़ें


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