"गोविंदा होली": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Holi-gujarat.jpg|thumb|[[होलिका दहन]], [[गुजरात]]]]
[[गुजरात]] में '''गोविंदा होली''' मनाई जाती है। इसे गुजरात में 'होली राजा' भी कहा जाता है। गोविंदा होली के मौके पर गुजरात में मस्‍त युवकों की टोलियाँ सड़कों पर नाचते-गाते चलती हैं। गलियों में ऊँचाई पर [[दही]] की मटकियाँ लगाई जाती हैं और युवकों को यहाँ तक पहुँचने के लिए प्रेरित किया जाता है। इन मटकियों में दही के साथ ही पुरस्‍कार भी लटकते हैं। यह [[कृष्ण|भगवान कृष्‍ण]] के [[गोपी|गोपियों]] की मटकी फोड़ने से प्रेरित है। ऐसे में कौन युवक कन्‍हैया नहीं बनना चाहेगा और कौन होगी जो [[राधा]] नहीं बनना चाहेगी। सो, राधारानी मटकी नहीं फूटे इसलिए इन टोलियों पर [[रंग|रंगों]] की बौझार करती रहती हैं। जो कोई इस मटकी को फोड़ देता है, वह '''होली राजा''' बन जाता है। [[होली]] के पहले दिन जलने वाली [[होलिका दहन|होलिका]] की राख गौरी देवी को समर्पित करते हैं।  
[[गुजरात]] में '''गोविंदा होली''' मनाई जाती है। इसे गुजरात में 'होली राजा' भी कहा जाता है। गोविंदा होली के मौके पर गुजरात में मस्‍त युवकों की टोलियाँ सड़कों पर नाचते-गाते चलती हैं। गलियों में ऊँचाई पर [[दही]] की मटकियाँ लगाई जाती हैं और युवकों को यहाँ तक पहुँचने के लिए प्रेरित किया जाता है। इन मटकियों में दही के साथ ही पुरस्‍कार भी लटकते हैं। यह [[कृष्ण|भगवान कृष्‍ण]] के [[गोपी|गोपियों]] की मटकी फोड़ने से प्रेरित है। ऐसे में कौन युवक कन्‍हैया नहीं बनना चाहेगा और कौन होगी जो [[राधा]] नहीं बनना चाहेगी। सो, राधारानी मटकी नहीं फूटे इसलिए इन टोलियों पर [[रंग|रंगों]] की बौझार करती रहती हैं। जो कोई इस मटकी को फोड़ देता है, वह '''होली राजा''' बन जाता है। [[होली]] के पहले दिन जलने वाली [[होलिका दहन|होलिका]] की राख गौरी देवी को समर्पित करते हैं।  



12:24, 17 मार्च 2013 का अवतरण

होलिका दहन, गुजरात

गुजरात में गोविंदा होली मनाई जाती है। इसे गुजरात में 'होली राजा' भी कहा जाता है। गोविंदा होली के मौके पर गुजरात में मस्‍त युवकों की टोलियाँ सड़कों पर नाचते-गाते चलती हैं। गलियों में ऊँचाई पर दही की मटकियाँ लगाई जाती हैं और युवकों को यहाँ तक पहुँचने के लिए प्रेरित किया जाता है। इन मटकियों में दही के साथ ही पुरस्‍कार भी लटकते हैं। यह भगवान कृष्‍ण के गोपियों की मटकी फोड़ने से प्रेरित है। ऐसे में कौन युवक कन्‍हैया नहीं बनना चाहेगा और कौन होगी जो राधा नहीं बनना चाहेगी। सो, राधारानी मटकी नहीं फूटे इसलिए इन टोलियों पर रंगों की बौझार करती रहती हैं। जो कोई इस मटकी को फोड़ देता है, वह होली राजा बन जाता है। होली के पहले दिन जलने वाली होलिका की राख गौरी देवी को समर्पित करते हैं।


इन्हें भी देखें: मथुरा होली चित्र वीथिका, बरसाना होली चित्र वीथिका एवं बलदेव होली चित्र वीथिका


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