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| *दारयबहु [[फ़ारस]] के अखामनी वंश का तीसरा सम्राट था।
| | #REDIRECT [[डेरियस प्रथम]] |
| *उसके बहिस्तान अभिलेख (लगभग ई. पू. 519) में [[गंधार]] के लोगों को भी उसकी प्रजा बताया गया है।
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| *हमदान, पारसीपोलिस तथा नक़्शेरुस्तम से प्राप्त उसके एक अन्य अभिलेख में भारतीयों का उल्लेख भी उसकी प्रजा के रूप में किया गया है।
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| *हेरोडोटस के अनुसार गंधार उसके साम्राज्य का सातवाँ प्रान्त और [[भारत]] अर्थात [[सिन्धु घाटी]] बीसवाँ प्रान्त था।
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| *दारयबहु को अपने भारतीय साम्राज्य से काफ़ी राजस्व प्राप्त होता था और साथ ही यहाँ पर से उसकी सेना के लिए सैनिक भी भेजे जाते थे।
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| *इस प्रकार भारत और फ़ारस के बीच अत्यन्त प्राचीन काल से ही सम्बन्ध था, जो कि दिनों दिन बढ़ता ही गया। फलस्वरूप बहुत से [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] शब्द भारत में प्रचलित हो गए।
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| *फ़ारस के विचारों ने कुछ अंश तक भारतीयों विचारों को भी प्रभावित किया।
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| {{संदर्भ ग्रंथ}}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| *(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-201
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| [[Category:नया पन्ना]]
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| [[Category:इतिहास कोश]]
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