"बेगम हज़रत महल": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | |||
[[ | |चित्र=Begum-Hazrat-Mahal.jpg | ||
|चित्र का नाम=बेगम हज़रत महल | |||
|पूरा नाम=बेगम हज़रत महल | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=लगभग 1820 ई. | |||
|जन्म भूमि=[[फ़ैज़ाबाद]], [[अवध]], [[भारत]] | |||
| | |मृत्यु=[[अप्रैल]], [[1879]] | ||
| | |मृत्यु स्थान=[[काठमांडू]], [[नेपाल]] | ||
| | |अविभावक= | ||
| | |पति/पत्नी=वाजिद अली शाह | ||
| | |संतान= | ||
|गुरु= | |||
|कर्म भूमि= | |||
|कर्म-क्षेत्र= | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|विषय= | |||
|खोज= | |||
|भाषा= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|प्रसिद्धि=वीरांगना | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|अन्य जानकारी=[[लखनऊ]] में [[1857]] की क्रांति का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | }} | ||
'''बेगम हज़रत महल''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Begum Hazrat Mahal'') [[अवध]] के नरेश वाजिद अली शाह की पहली पत्नी थीं। | |||
==संक्षिप्त परिचय== | |||
* [[लखनऊ]] में [[1857]] की क्रांति का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को गद्दी पर बिठाकर उन्होंने अंग्रेज़ी सेना का स्वयं मुक़ाबला किया। उनमें संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी और इसी कारण अवध के ज़मींदार, किसान और सैनिक उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते रहे। | |||
* आलमबाग़ की लड़ाई के दौरान अपने जांबाज सिपाहियों की उन्होंने भरपूर हौसला आफज़ाई की और [[हाथी]] पर सवार होकर अपने सैनिकों के साथ दिन-रात युद्ध करती रहीं। | |||
* लखनऊ में पराजय के बाद वह अवध के देहातों में चली गईं और वहाँ भी क्रांति की चिंगारी सुलगाई। | |||
* बेगम हज़रत महल और [[रानी लक्ष्मीबाई]] के सैनिक दल में तमाम महिलायें शामिल थीं। | |||
* लखनऊ में बेगम हज़रत महल की महिला सैनिक दल का नेतृत्व रहीमी के हाथों में था, जिसने फ़ौजी भेष अपनाकर तमाम महिलाओं को तोप और बन्दूक चलाना सिखाया। रहीमी की अगुवाई में इन महिलाओं ने अंग्रेज़ों से जमकर लोहा लिया। | |||
* लखनऊ की तवायफ हैदरीबाई के यहाँ तमाम [[अंग्रेज़]] अफ़सर आते थे और कई बार क्रांतिकारियों के ख़िलाफ़ योजनाओं पर बात किया करते थे। | |||
* हैदरीबाई ने पेशे से परे अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुये इन महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को क्रांतिकारियों तक पहुँचाया और बाद में वह भी रहीमी के सैनिक दल में शामिल हो गयी। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारतीय वीरांगनाएँ}}{{भारत की रानियाँ और महारानियाँ}}{{स्वतंत्रता संग्राम 1857}} | {{भारतीय वीरांगनाएँ}}{{भारत की रानियाँ और महारानियाँ}}{{स्वतंत्रता संग्राम 1857}} |
14:28, 18 अप्रैल 2013 का अवतरण
बेगम हज़रत महल
| |
पूरा नाम | बेगम हज़रत महल |
जन्म | लगभग 1820 ई. |
जन्म भूमि | फ़ैज़ाबाद, अवध, भारत |
मृत्यु | अप्रैल, 1879 |
मृत्यु स्थान | काठमांडू, नेपाल |
पति/पत्नी | वाजिद अली शाह |
प्रसिद्धि | वीरांगना |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | लखनऊ में 1857 की क्रांति का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। |
बेगम हज़रत महल (अंग्रेज़ी:Begum Hazrat Mahal) अवध के नरेश वाजिद अली शाह की पहली पत्नी थीं।
संक्षिप्त परिचय
- लखनऊ में 1857 की क्रांति का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को गद्दी पर बिठाकर उन्होंने अंग्रेज़ी सेना का स्वयं मुक़ाबला किया। उनमें संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी और इसी कारण अवध के ज़मींदार, किसान और सैनिक उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते रहे।
- आलमबाग़ की लड़ाई के दौरान अपने जांबाज सिपाहियों की उन्होंने भरपूर हौसला आफज़ाई की और हाथी पर सवार होकर अपने सैनिकों के साथ दिन-रात युद्ध करती रहीं।
- लखनऊ में पराजय के बाद वह अवध के देहातों में चली गईं और वहाँ भी क्रांति की चिंगारी सुलगाई।
- बेगम हज़रत महल और रानी लक्ष्मीबाई के सैनिक दल में तमाम महिलायें शामिल थीं।
- लखनऊ में बेगम हज़रत महल की महिला सैनिक दल का नेतृत्व रहीमी के हाथों में था, जिसने फ़ौजी भेष अपनाकर तमाम महिलाओं को तोप और बन्दूक चलाना सिखाया। रहीमी की अगुवाई में इन महिलाओं ने अंग्रेज़ों से जमकर लोहा लिया।
- लखनऊ की तवायफ हैदरीबाई के यहाँ तमाम अंग्रेज़ अफ़सर आते थे और कई बार क्रांतिकारियों के ख़िलाफ़ योजनाओं पर बात किया करते थे।
- हैदरीबाई ने पेशे से परे अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुये इन महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को क्रांतिकारियों तक पहुँचाया और बाद में वह भी रहीमी के सैनिक दल में शामिल हो गयी।
|
|
|
|
|