"भोज परमार": अवतरणों में अंतर
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*उसने [[संस्कृत]] में [[छन्द]], [[अलंकार]], योगशास्त्र, गणित ज्योतिष तथा [[वास्तुकला]] आदि विषयों पर गम्भीर पुस्तकें लिखी थीं। | *उसने [[संस्कृत]] में [[छन्द]], [[अलंकार]], योगशास्त्र, गणित ज्योतिष तथा [[वास्तुकला]] आदि विषयों पर गम्भीर पुस्तकें लिखी थीं। | ||
*भोज ने | *भोज ने भोजपुर में एक विशाल सरोवर का निर्माण कराया था, जिसका क्षेत्रफल 250 वर्ग मील से भी अधिक विस्तृत था। | ||
*यह सरोवर पन्द्रहवीं शताब्दी तक विद्यमान था, जब उसके तटबन्धों को कुछ स्थानीय शासकों ने काट दिया। | *यह सरोवर पन्द्रहवीं शताब्दी तक विद्यमान था, जब उसके तटबन्धों को कुछ स्थानीय शासकों ने काट दिया। | ||
*अपने शासन काल के अंतिम वर्षों में भोज परमार को पराजय का अपयश भोगना पड़ा। | *अपने शासन काल के अंतिम वर्षों में भोज परमार को पराजय का अपयश भोगना पड़ा। |
11:46, 20 अप्रैल 2013 का अवतरण
भोज | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- भोज (बहुविकल्पी) |
भोज परमार मालवा के 'परमार' अथवा 'पवार वंश' का यशस्वी राजा था। उसने 1018-1060 ई. तक शासन किया था। उसकी राजधानी धार थी। भोज परमार ने 'नवसाहसाक' अर्थात 'नव विक्रमादित्य' की पदवी धारण की थी।
- जनश्रुति है कि भोज परमार ने पुरुष्कों (तुर्कों) को भी पराजित किया था।
- भोज परमार विद्या का पोषक, कवियों का संरक्षक और स्वयं भी बहुमुखी विद्वान था।
- उसने संस्कृत में छन्द, अलंकार, योगशास्त्र, गणित ज्योतिष तथा वास्तुकला आदि विषयों पर गम्भीर पुस्तकें लिखी थीं।
- भोज ने भोजपुर में एक विशाल सरोवर का निर्माण कराया था, जिसका क्षेत्रफल 250 वर्ग मील से भी अधिक विस्तृत था।
- यह सरोवर पन्द्रहवीं शताब्दी तक विद्यमान था, जब उसके तटबन्धों को कुछ स्थानीय शासकों ने काट दिया।
- अपने शासन काल के अंतिम वर्षों में भोज परमार को पराजय का अपयश भोगना पड़ा।
- गुजरात के चालुक्य राजा तथा चेदी नरेश की संयुक्त सेनाओं ने लगभग 1060 ई. में भोज परमार को पराजित कर दिया। इसके बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।
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