"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||'विश्वामित्र' राजा गाधि के पुत्र थे। [[हिन्दू]] धार्मिक मान्यता के अनुसार यह माना जाता है कि उन्होंने कई हज़ार वर्ष राज्य किया और फिर [[पृथ्वी]] की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। [[विश्वामित्र]] को भगवान [[श्रीराम]] का दूसरा गुरु होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। जब ये दण्डकारण्य में [[यज्ञ]] कर रहे थे, तब [[रावण]] के द्वारा वहाँ नियुक्त [[ताड़का]], [[सुबाहु]] और [[मारीच]] जैसे [[राक्षस]] इनके यज्ञ में बार-बार विघ्न उपस्थित कर देते थे। विश्वामित्र ने अपने तपोबल से जान लिया कि त्रैलोक्य को भय से त्राण दिलाने वाले परब्रह्म श्रीराम का [[अवतार]] [[अयोध्या]] में हो गया है। इसीलिए अपने यज्ञ की रक्षा के लिये [[राम]] को [[दशरथ]] से माँग ले आये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विश्वामित्र]] | |||
{[[बालि]] और [[सुग्रीव]] जिस वानर से उत्पन्न हुए थे, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-12 | {[[बालि]] और [[सुग्रीव]] जिस वानर से उत्पन्न हुए थे, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-12 | ||
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-[[सत्ययुग]] | -[[सत्ययुग]] | ||
-[[कलियुग]] | -[[कलियुग]] | ||
||'रामायण' [[वाल्मीकि|कवि वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम [[महाकाव्य]] है, जो [[त्रेतायुग]] से सम्बन्धित है। इसके माध्यम से रघुवंश के राजा [[श्रीराम]] की गाथा कही गयी है। [[रामायण]] के सात अध्याय हैं, जो 'काण्ड' के नाम से जाने जाते हैं। इन काण्डों में सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं। सर्गानुसार श्लोकों की संख्या 23,440 आती है, जो 24,000 से 560 [[श्लोक]] कम है। [[हिन्दू धर्म]] में [[रामायण]] का महत्त्व बहुत अधिक है। धार्मिक दृष्टि से यह बहुत ही पवित्र और आत्मज्ञान प्रदान करने वाला [[ग्रंथ]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामायण]] | |||
{[[समुद्र मंथन]] से जो अश्व निकला था, उसका क्या नाम था?(पृ.सं.-13 | {[[समुद्र मंथन]] से जो अश्व निकला था, उसका क्या नाम था?(पृ.सं.-13 |
07:54, 4 मई 2013 का अवतरण
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