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<div style="padding:3px">[[चित्र:Braj-Kolaz.jpg|right|130px|ब्रज के विभिन्न दृश्य|border|link=ब्रज]]</div>
<div style="padding:3px">[[चित्र:Kumbhalgarh-Udaipur-1.jpg|right|130px|कुम्भलगढ़ दुर्ग, उदयपुर|border|link=मेवाड़]]</div>
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     '''[[ब्रज]]''' शब्द का प्रयोग [[वेद|वेदों]], [[रामायण]] और [[महाभारत]] के काल में गोष्ठ- 'गो-स्थान’ जैसे लघु स्थल के लिये होता था, वहीं पौराणिक काल में ‘गोप-बस्ती’ जैसे कुछ बड़े स्थानों के लिये किया जाने लगा। भागवत में ‘ब्रज’ क्षेत्र विशेष को इंगित करते हुए ही प्रयुक्त हुआ है। वहाँ इसे एक छोटे ग्राम की संज्ञा दी गई है। उसमें ‘पुर’ से छोटा ‘ग्राम’ और उससे भी छोटी बस्ती को ‘ब्रज’ कहा गया है। 16वीं शताब्दी में ‘ब्रज’ प्रदेश के अर्थ में होकर ‘[[ब्रजमंडल]]’ हो गया और तब उसका आकार '''[[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा|चौरासी कोस]]''' का माना जाने लगा था। आज जिसे हम ब्रज क्षेत्र मानते हैं उसकी दिशाऐं, उत्तर में [[पलवल]], [[हरियाणा]], दक्षिण में [[ग्वालियर]], [[मध्य प्रदेश]], पश्चिम में [[भरतपुर]], [[राजस्थान]] और पूर्व में [[एटा]] [[उत्तर प्रदेश]] को छूती हैं। [[ब्रज|... और पढ़ें]]</poem>
     '''[[मेवाड़]]''' [[राजस्थान]] के दक्षिण मध्य में स्थित एक प्रसिद्ध रियासत थी। सैकड़ों सालों तक यहाँ [[राजपूत|राजपूतों]] का शासन रहा। [[गहलौत राजवंश|गहलौत]] तथा [[सिसोदिया राजवंश|सिसोदिया वंश]] के राजाओं ने 1200 साल तक मेवाड़ पर राज किया था। 17वीं और 18वीं शताब्दी में [[मेवाड़ की चित्रकला]] भारतीय लघु चित्रकला की महत्त्वपूर्ण शैलियों में से एक है। [[मेवाड़ की जातिगत सामाजिक व्यवस्था]] परम्परागत रूप से ऊँच-नीच, पद-प्रतिष्ठा तथा वंशोत्पन्न जातियों के आधार पर संगठित थी। [[मेवाड़ी समाज में स्त्रियों की स्थिति|मेवाड़ी समाज में स्त्रियों]] को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। इसके साथ ही निर्णय आदि के कई महत्त्वपूर्ण अधिकार भी उन्हें प्राप्त थे। [[मेवाड़|... और पढ़ें]]</poem>
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13:52, 5 मई 2013 का अवतरण

एक आलेख
कुम्भलगढ़ दुर्ग, उदयपुर
कुम्भलगढ़ दुर्ग, उदयपुर

     मेवाड़ राजस्थान के दक्षिण मध्य में स्थित एक प्रसिद्ध रियासत थी। सैकड़ों सालों तक यहाँ राजपूतों का शासन रहा। गहलौत तथा सिसोदिया वंश के राजाओं ने 1200 साल तक मेवाड़ पर राज किया था। 17वीं और 18वीं शताब्दी में मेवाड़ की चित्रकला भारतीय लघु चित्रकला की महत्त्वपूर्ण शैलियों में से एक है। मेवाड़ की जातिगत सामाजिक व्यवस्था परम्परागत रूप से ऊँच-नीच, पद-प्रतिष्ठा तथा वंशोत्पन्न जातियों के आधार पर संगठित थी। मेवाड़ी समाज में स्त्रियों को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। इसके साथ ही निर्णय आदि के कई महत्त्वपूर्ण अधिकार भी उन्हें प्राप्त थे। ... और पढ़ें


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