"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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+[[उच्चै:श्रवा]] | +[[उच्चै:श्रवा]] | ||
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||'उच्चै:श्रवा' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार देवताओं के राजा [[इन्द्र]] के अश्व का नाम है। यह अश्व '[[समुद्र मंथन]]' के दौरान जो चौदह मूल्यवान वस्तुएँ प्राप्त हुई थीं, उनमें से एक था। इसे देवराज इन्द्र को दे दिया गया था। उच्चै:श्रवा के कई अर्थ हैं, जैसे- 'जिसका यश ऊँचा हो', 'जिसके कान ऊँचे हों' अथवा 'जो ऊँचा सुनता हो'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उच्चै:श्रवा]] | |||
{[[महर्षि वाल्मीकि]] का बचपन का नाम क्या था?(पृ.सं.-14 | {[[महर्षि वाल्मीकि]] का बचपन का नाम क्या था?(पृ.सं.-14 | ||
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-रत्नेश | -रत्नेश | ||
-रत्नसेन | -रत्नसेन | ||
+ | +रत्नाकर | ||
-रत्नाभ | -रत्नाभ | ||
||[[चित्र:Valmiki-Ramayan.jpg|right|100px|महर्षि वाल्मीकि]]'महर्षि वाल्मीकि' [[संस्कृत भाषा]] के आदि [[कवि]] और [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के आदि काव्य '[[रामायण]]' के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं। [[कश्यप|महर्षि कश्यप]] और [[अदिति]] के नवम पुत्र '[[वरुण देवता|वरुण]]' (आदित्य) से इनका जन्म हुआ। इनकी माता चर्षणी और भाई [[भृगु]] थे। जिस [[वाल्मीकि]] के डाकू का जीवन व्यतीत करने का उल्लेख मिलता है, उसे रामायण के रचयिता से भिन्न माना जाता है। पौराणिक विवरण के अनुसार यह 'रत्नाकर' नाम का [[दस्यु]] था। वह लूट-पाट करता था और यात्रियों को मारकर व उनका धन आदि छीनकर उससे अपना परिवार पालता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महर्षि वाल्मीकि]] | |||
{[[अवधी भाषा|अवधी भाषा]] में रचित [[रामायण]] का क्या नाम है?(पृ.सं.-14 | {[[अवधी भाषा|अवधी भाषा]] में रचित [[रामायण]] का क्या नाम है?(पृ.सं.-14 | ||
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-कंब रामायण | -कंब रामायण | ||
-अध्यात्म रामायण | -अध्यात्म रामायण | ||
||[[चित्र:Tulsidas-Ramacharitamanasa.jpg|right|100px|रामचरितमानस]]'रामचरितमानस' एक चरित-काव्य है, जिसमें [[श्रीराम]] का सम्पूर्ण जीवन-चरित वर्णित हुआ है। इसमें 'चरित' और 'काव्य' दोनों के गुण समान रूप से मिलते हैं। '[[रामचरितमानस]]' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना [[संवत]] 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी, किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] (वाराणसी) में भी निर्मित हुआ था। यह इसके '[[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धाकाण्ड]]' के प्रारम्भ में आने वाले एक सोरठे से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है। यह रचना '[[अवधी भाषा|अवधी बोली]]' में लिखी गयी है। इसके मुख्य [[छन्द]] [[चौपाई]] और [[दोहा]] हैं, बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामचरितमानस]] | |||
{[[समुद्र मंथन]] से प्राप्त उस [[हाथी]] का क्या नाम था, जो श्वेत वर्ण का था?(पृ.सं.-15 | {[[समुद्र मंथन]] से प्राप्त उस [[हाथी]] का क्या नाम था, जो श्वेत वर्ण का था?(पृ.सं.-15 |
05:42, 7 मई 2013 का अवतरण
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