"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Marriage.jpg|right|100px|राम और सीता का विवाह]]चौदह वर्ष का वनवास भोगने के बाद [[श्रीराम]] सुखपूर्वक [[अयोध्या]] में शासन कर रहे थे। कुछ समय बाद मन्त्रियों और 'दुर्मुख' नामक एक गुप्तचर के मुँह से राम ने जाना कि प्रजाजन [[सीता]] की पवित्रता के विषय में संदिग्ध हैं। वे सीता और राम को लेकर अनेक बातें कहते हैं। सीता गर्भवती थीं और उन्होंने राम से एक बार तपोवन की शोभा देखने की इच्छा प्रकट की थी। [[रघु वंश]] को कलंक से बचाने के लिए राम ने सीता को तपोवन की शोभा देखने के बहाने से [[लक्ष्मण]] के साथ भेजा। लक्ष्मण को अलग बुलाकर राम ने कहा कि वह सीता को वहीं छोड़ आये। लक्ष्मण ने तपोवन में पहुँचकर अत्यंत उद्विग्न मन से सीता से सब कुछ कह सुनाया और लौट आये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सीता]] | |||
{[[कैकेयी]] की उस दासी का नाम क्या था, जो मायके से ही उसके साथ [[अयोध्या]] रहने आई थी?(पृ.सं.-12 | {[[कैकेयी]] की उस दासी का नाम क्या था, जो मायके से ही उसके साथ [[अयोध्या]] रहने आई थी?(पृ.सं.-12 |
08:35, 7 मई 2013 का अवतरण
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