"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म की प्रतिज्ञा तुड़वाते श्रीकृष्ण]]पितामह भीष्म [[महाभारत]] के प्रमुख पात्र हैं। ये महाराजा [[शांतनु]] के पुत्र थे और इनका वास्तविक नाम '[[देवव्रत]]' था। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण [[भीष्म]] ने आजीवन [[ब्रह्मचर्य]] का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत के युद्ध में भीष्म को [[कौरव]] पक्ष के प्रथम सेनानायक होने का गौरव प्राप्त हुआ था। [[कुरुक्षेत्र]] का युद्ध आरम्भ होने पर प्रधान सेनापति की हैसियत से भीष्म ने दस दिन तक घोर युद्ध किया। इसमें उन्होंने [[पाण्डव|पाण्डवों]] के बहुतेरे सेनापतियों और सैनिकों को मार गिराया था। इतने पर भी [[दुर्योधन]] उनसे कहा करता था कि पाण्डवों के साथ पक्षपात करने के कारण आप जी खोलकर युद्ध नहीं करते।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] | ||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म की प्रतिज्ञा तुड़वाते श्रीकृष्ण]]पितामह भीष्म [[महाभारत]] के प्रमुख पात्र हैं। ये महाराजा [[शांतनु]] के पुत्र थे और इनका वास्तविक नाम '[[देवव्रत]]' था। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण [[भीष्म]] ने आजीवन [[ब्रह्मचर्य]] का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत के युद्ध में भीष्म को [[कौरव]] पक्ष के प्रथम सेनानायक होने का गौरव प्राप्त हुआ था। [[कुरुक्षेत्र]] का युद्ध आरम्भ होने पर प्रधान सेनापति की हैसियत से भीष्म ने दस दिन तक घोर युद्ध किया। इसमें उन्होंने [[पाण्डव|पाण्डवों]] के बहुतेरे सेनापतियों और सैनिकों को मार गिराया था। इतने पर भी [[दुर्योधन]] उनसे कहा करता था कि पाण्डवों के साथ पक्षपात करने के कारण आप जी खोलकर युद्ध नहीं करते।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] | ||
{[[महर्षि व्यास]] निम्न में से किसके पुत्र थे?(भारतकोश, भीष्म) | {[[महर्षि व्यास]] निम्न में से किसके पुत्र थे?(भारतकोश, भीष्म) | ||
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+[[सत्यवती]] | +[[सत्यवती]] | ||
-[[अम्बालिका]] | -[[अम्बालिका]] | ||
||'सत्यवती' एक [[निषाद]] कन्या थी। [[हस्तिनापुर]] नरेश [[शांतनु]] से [[विवाह]] से पूर्व [[सत्यवती]] के [[पराशर|ऋषि पराशर]] से एक पुत्र उत्पन्न हुआ था, जिसका नाम '[[व्यास]]' था। [[व्यास]] साँवले रंग के थे तथा [[यमुना नदी]] के बीच स्थित एक [[द्वीप]] में उत्पन्न हुए थे। अतएव ये साँवले रंग के कारण 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाये। [[सत्यवती]] ने बाद में राजा शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए थे। इनमें बड़ा चित्रांगद एक युद्ध में मारा गया और छोटे पुत्र [[विचित्रवीर्य]] की मृत्यु संतानहीन हुई। इस कारण राजमाता सत्यवती [[हस्तिनापुर]] के उत्तराधिकारी के लिए चिंतित रहा करती थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सत्यवती]], [[महर्षि व्यास]] | |||
{[[पाण्डव|पाण्डवों]] ने अपनी राजधानी किसे बनाया था?(भारतकोश) | {[[पाण्डव|पाण्डवों]] ने अपनी राजधानी किसे बनाया था?(भारतकोश) | ||
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-[[गान्धार]] | -[[गान्धार]] | ||
-[[कौशाम्बी]] | -[[कौशाम्बी]] | ||
||'इन्द्रप्रस्थ' अर्थात "इन्द्र की नगरी", [[प्राचीन भारत]] के पुरातन नगरों में से एक था, जो [[पांडव|पांडवों]] के राज्य [[हस्तिनापुर]] की राजधानी थी। आज इस क्षेत्र से तात्पर्य [[यमुना]] के किनारे [[दिल्ली]] में स्थित कुछ क्षेत्रों से लगाया जाता है। जब पांडवों के ज्येष्ठ भ्राता [[युधिष्ठिर]] को [[खांडवप्रस्थ]], जो हस्तिनापुर के उत्तर-पश्चिम में अवस्थित था, दिया गया, तब यह एक बंजर प्रदेश था। बाद में पांडवों ने इस स्थान पर मय दानव की सहायता से [[इन्द्रप्रस्थ]] नगरी को बसाया। [[अर्जुन]] ने मय दानव से युधिष्ठिर के लिए इन्द्रप्रस्थ में अनुपम सभा-भवन का निर्माण करने के लिय कहा था, जिसे मय दानव ने सिर झुकाकर स्वीकार किया। [[इन्द्रप्रस्थ]] अपने वैभव एवं समृद्धि की दृष्टि से [[मथुरा]] और [[द्वारका]] के समान प्रसिद्ध और समृद्ध था। | |||
{निम्नलिखित में से किसे 'पांचाली' कहा जाता था? | {निम्नलिखित में से किसे 'पांचाली' कहा जाता था? |
07:41, 13 मई 2013 का अवतरण
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