"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|right|100px|भगवान शिव]][[हिन्दू धर्म]] और [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान [[शिव]] ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं। | ||[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|right|100px|भगवान शिव]][[हिन्दू धर्म]] और [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान [[शिव]] ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं। [[महाभारत]], [[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]] के अनुसार [[पांचाल]] नरेश [[द्रुपद]] की पुत्री [[द्रौपदी]] पूर्वजन्म में एक [[ऋषि]] कन्या थी। उसने श्रेष्ठ पति पाने की कामना से भगवान [[शिव]] की तपस्या की थी। शंकर ने प्रसन्न होकर उसे वर देने की इच्छा की। उसने शंकर से पाँच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है। शंकरजी ने कहा कि अगले जन्म में उसके पाँच भारतवंशी पति होंगे, क्योंकि उसने पति पाने की कामना पाँच बार दोहरायी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शिव]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा [[पाण्डव]] [[माद्री]] का पुत्र था? | {निम्नलिखित में से कौन-सा [[पाण्डव]] [[माद्री]] का पुत्र था? | ||
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||नकुल [[महाभारत]] के मुख्य पात्रों में से एक थे। वे [[कुन्ती]] के नहीं अपितु [[माद्री]] के पुत्र थे। [[नकुल]] बहुत ही सुन्दर, रूपवान, धर्मशास्त्र, नीति तथा पशु-चिकित्सा में दक्ष थे। [[पाण्डव|पाण्डवों]] के [[अज्ञातवास]] के समय नकुल [[विराट]] के यहाँ 'ग्रंथिक' नाम से [[गाय]] चराने और घोड़ों की देखभाल का कार्य करते थे। [[द्रौपदी]] के अतिरिक्त इनकी स्त्री 'करेणुमती' [[चेदि जनपद|चेदि]] के राजा की कन्या थीं। 'निरमित्र' और 'शतानीक' नामक इनके दो पुत्र थे। नकुल को इस बात का अभिमान था कि एकमात्र मैं ही सबसे अधिक रूपवान हूँ। इसलिए स्वर्ग जाते समय वे मार्ग में ही धराशायी हो गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नकुल]] | |||
{निम्न नगरी में से किस एक का नाम 'मधुनगरी' भी था? | {निम्न नगरी में से किस एक का नाम 'मधुनगरी' भी था? | ||
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-[[पांचाल]] | -[[पांचाल]] | ||
-[[गोकुल]] | -[[गोकुल]] | ||
||[[चित्र:Rath-Yatra-Rang-Ji-Temple-Vrindavan-Mathura-5.jpg|right|100px|रथ मेला, वृन्दावन, मथुरा]]मथुरा [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगर है, जो पर्यटन स्थल के रूप में भी बहुत प्रसिद्ध है। [[मथुरा]] भगवान [[श्रीकृष्ण]] की जन्मस्थली और [[भारत]] की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है, जैसे- '[[शूरसेन जनपद|शूरसेन नगरी]]', 'मधुपुरी', 'मधुनगरी', 'मधुरा' आदि। मथुरा जनपद [[उत्तर प्रदेश]] की पश्चिमी सीमा पर स्थित है। इसके पूर्व में [[एटा]], उत्तर में [[अलीगढ़]], दक्षिण-पूर्व में [[आगरा]], दक्षिण-पश्चिम में [[राजस्थान]] एवं पश्चिम-उत्तर में [[हरियाणा|हरियाणा राज्य]] स्थित हैं। [[मथुरा]], [[आगरा मण्डल]] का उत्तर-पश्चिमी ज़िला है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मथुरा]] | |||
{निम्नलिखित में से [[राधा]] किस [[गोप]] की पुत्री थीं? | {निम्नलिखित में से [[राधा]] किस [[गोप]] की पुत्री थीं? |
06:43, 14 मई 2013 का अवतरण
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