"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|right|80px|राधा-कृष्ण]][[राधा]] के [[पिता]] [[ब्रज]] के एक प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध [[गोप]] थे। [[श्रीकृष्ण]] की विख्यात प्राणसखी और उपासिका राधा '[[वृषभानु]]' नामक गोप की पुत्री थीं। उन्हें कृष्ण की प्रेमिका और कहीं-कहीं पत्नी के रूप में माना जाता हैं। कृष्णभक्ति-काव्य में वृषभानु के चरित्र का गौण स्थान है। [[राधा]]-[[कृष्ण]] शाश्वत प्रेम का प्रतीक हैं। राधा की माता 'कीर्ति' के लिए 'वृषभानु पत्नी' शब्द का प्रयोग किया जाता है। राधा को कृष्ण की प्रेमिका और कहीं-कहीं पत्नी के रूप में माना जाता हैं। राधा को 'पद्मपुराण' में वृषभानु नाम के एक राजा की कन्या बताया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राधा]], [[वृषभानु]] | |||
{[[श्रीकृष्ण]] ने कालिया नाग का दमन किस स्थान पर किया था? | {[[श्रीकृष्ण]] ने कालिया नाग का दमन किस स्थान पर किया था? | ||
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+[[कालियदह]] | +[[कालियदह]] | ||
-कुण्ड | -कुण्ड | ||
||[[चित्र:Makhanchor.jpg|right|100px|बाल कृष्ण]]सनातन धर्म के अनुसार भगवान [[विष्णु]] सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। [[श्रीकृष्ण]] इन्हीं का [[अवतार]] माने जाते हैं। जब कालिया नाग [[मथुरा]] में [[यमुना नदी]] के अन्दर अपने परिवार सहित आकर निवास करने लगा, तब यमुना का पानी जहरीला होने लगा, जिसे पीकर पशु आदि मरने लगे। श्रीकृष्ण ने सखाओं के साथ खेलते समय गेंद जानबूझकर यमुना में फेंक दी और स्वयं भी यमुना में कूद पड़े। [[श्रीकृष्ण]] ने कालिया नाग का 'कालियदह' स्थान पर दमन किया। इस स्थान के निकट ही 'केलि-कदम्ब' है, जिस पर चढ़कर श्रीकृष्ण कालीयदह में बड़े वेग से कूदे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कालियदह]], [[श्रीकृष्ण]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन दासी पुत्र थे? | {निम्नलिखित में से कौन दासी पुत्र थे? | ||
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-[[नकुल]] | -[[नकुल]] | ||
-[[उत्तर]] | -[[उत्तर]] | ||
||[[महाभारत]] में विदुर का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। परम्परा से वे एक ज्ञानी, धैर्यवान, निष्ठावान और राजनीतिज्ञ के रूप में विख्यात हैं। [[सत्यवती]] के कहने पर [[महर्षि व्यास]] द्वारा [[अम्बिका]] और [[अम्बालिका]] को नियोग कराते देखकर उनकी एक दासी की भी इछा हुई कि वह भी नियोग कराये और पुत्र की माता बने। उस दासी ने व्यास से नियोग कराया, जिसके फलस्वरूप [[विदुर]] की उत्पत्ति हुई। विदुर [[धृतराष्ट्र]] के मन्त्री, किन्तु न्यायप्रियता के कारण पाण्डवों के हितैषी थे। विदुर के ही प्रयत्नों से [[पाण्डव]] [[लाक्षागृह]] से जीवित बच निकलने में सफल हुए थे। उन्हें पूर्वजन्म का '[[धर्मराज]]' कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विदुर]] | |||
{[[श्रीकृष्ण]] की नगरी [[द्वारिका]] किस राज्य में स्थित है? | {[[श्रीकृष्ण]] की नगरी [[द्वारिका]] किस राज्य में स्थित है? |
07:24, 14 मई 2013 का अवतरण
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