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महाराष्ट्र सरकार द्वारा सबसे महत्वाकांक्षी परिवहन परियोजना 'मुंबई - पुणे एक्सप्रेस वे' [[5 अप्रैल]] [[2000]] को यातायात के लिए खोला गया था। पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार से पर्यावरणीय मंजूरी [[अक्टूबर]] [[1997]] में प्राप्त की गयी थी।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा सबसे महत्वाकांक्षी परिवहन परियोजना 'मुंबई - पुणे एक्सप्रेस वे' [[5 अप्रैल]] [[2000]] को यातायात के लिए खोला गया था। पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार से पर्यावरणीय मंजूरी [[अक्टूबर]] [[1997]] में प्राप्त की गयी थी।
==महत्त्व==
==महत्त्व==
[[मुंबई]] (मुंबई) [[भारत]] की वाणिज्यिक राजधानी है और आकार और जनसंख्या में काफी बढ़ रही है। इसी प्रकार, [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]] की सांस्कृतिक राजधानी है जो एक प्रमुख औद्योगिक एवं व्यावसायिक केंद्र के रूप में बढ़ रहा है, इसलिए मुंबई - पुणे सड़क के महत्व को समझा जा सकता है। यातायात में वृद्धि के कारण, यह एक नया और स्वतंत्र एक्सप्रेसवे का निर्माण आवश्यक हो गया था।
[[मुंबई]] (मुंबई) [[भारत]] की वाणिज्यिक राजधानी है और आकार और जनसंख्या में काफ़ी बढ़ रही है। इसी प्रकार, [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]] की सांस्कृतिक राजधानी है जो एक प्रमुख औद्योगिक एवं व्यावसायिक केंद्र के रूप में बढ़ रहा है, इसलिए मुंबई - पुणे सड़क के महत्व को समझा जा सकता है। यातायात में वृद्धि के कारण, यह एक नया और स्वतंत्र एक्सप्रेसवे का निर्माण आवश्यक हो गया था।
==समय की बचत==
==समय की बचत==
इस एक्सप्रेस पर [[मुंबई]] और पुणे के बीच में वाहन चालन का आनंद महसूस कर सकते हैं। पुराने समय में सफर करने के मुकाबले एक्सप्रेस वे से 2-3 घंटे में गंतव्य तक पहुँच जाते हैं। जबकि एनएच 4 (राष्ट्रीय राजमार्ग 4) से जाने पर 4-5 घंटे का समय लग जाता है। इस तरह व्यावसायिक रूप से दो महत्त्वपूर्ण शहरों के बीच यात्रा के समय में काफ़ी बचत हो गई। यह वन वे तो है ही, इसकी सुरंगों को भी अलग-अलग बनाया गया है। सड़क के दोनों ओर बाड़ लगाई है ताकि जानवर आदि वाहनों की गति में कोई बाधा पैदा न करें। इस पर दो पहिया वाहन, तिपहिया और ट्रैक्टर की अनुमति नहीं है। जगह-जगह पेट्रोल पंप, ढाबे, कार्यशालाओं, शौचालय, आपातकालीन फ़ोन, प्राथमिक चिकित्सा, सी.सी.टीवी आदि की व्यवस्था से सुसज्जित किया गया है। साथ ही 80,000 पेड़ भी लगाये गए हैं।
इस एक्सप्रेस पर [[मुंबई]] और पुणे के बीच में वाहन चालन का आनंद महसूस कर सकते हैं। पुराने समय में सफर करने के मुकाबले एक्सप्रेस वे से 2-3 घंटे में गंतव्य तक पहुँच जाते हैं। जबकि एनएच 4 (राष्ट्रीय राजमार्ग 4) से जाने पर 4-5 घंटे का समय लग जाता है। इस तरह व्यावसायिक रूप से दो महत्त्वपूर्ण शहरों के बीच यात्रा के समय में काफ़ी बचत हो गई। यह वन वे तो है ही, इसकी सुरंगों को भी अलग-अलग बनाया गया है। सड़क के दोनों ओर बाड़ लगाई है ताकि जानवर आदि वाहनों की गति में कोई बाधा पैदा न करें। इस पर दो पहिया वाहन, तिपहिया और ट्रैक्टर की अनुमति नहीं है। जगह-जगह पेट्रोल पंप, ढाबे, कार्यशालाओं, शौचालय, आपातकालीन फ़ोन, प्राथमिक चिकित्सा, सी.सी.टीवी आदि की व्यवस्था से सुसज्जित किया गया है। साथ ही 80,000 पेड़ भी लगाये गए हैं।

11:28, 14 मई 2013 के समय का अवतरण

मुम्बई-पुणे एक्सप्रेस वे

मुम्बई-पुणे एक्सप्रेस वे भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई और शैक्षिक केन्द्र पूना के बीच पहला एक्सप्रेस वे है। यह एक्सप्रेस वे छ: लेन का बनाया गया। 93 किमी (58 मील) लंबाई वाला यह राजमार्ग अन्य सड़कों से अलग है। आधिकारिक तौर पर यह 'यशवंतराव चौहान मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे' के रूप में जाना जाता है।

एशिया में स्थान

नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहते हुए 'मुम्बई-पुणे एक्सप्रेस वे' और 55 फ्लाई ओवर बनाकर मुम्बई को एशिया के अन्य प्रमुख शहरों के मुकाबले में खड़ा करने की उपलब्धि उनके नाम है।[1]

महाराष्ट्र सरकार की परियोजना

महाराष्ट्र सरकार द्वारा सबसे महत्वाकांक्षी परिवहन परियोजना 'मुंबई - पुणे एक्सप्रेस वे' 5 अप्रैल 2000 को यातायात के लिए खोला गया था। पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार से पर्यावरणीय मंजूरी अक्टूबर 1997 में प्राप्त की गयी थी।

महत्त्व

मुंबई (मुंबई) भारत की वाणिज्यिक राजधानी है और आकार और जनसंख्या में काफ़ी बढ़ रही है। इसी प्रकार, पुणे, महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी है जो एक प्रमुख औद्योगिक एवं व्यावसायिक केंद्र के रूप में बढ़ रहा है, इसलिए मुंबई - पुणे सड़क के महत्व को समझा जा सकता है। यातायात में वृद्धि के कारण, यह एक नया और स्वतंत्र एक्सप्रेसवे का निर्माण आवश्यक हो गया था।

समय की बचत

इस एक्सप्रेस पर मुंबई और पुणे के बीच में वाहन चालन का आनंद महसूस कर सकते हैं। पुराने समय में सफर करने के मुकाबले एक्सप्रेस वे से 2-3 घंटे में गंतव्य तक पहुँच जाते हैं। जबकि एनएच 4 (राष्ट्रीय राजमार्ग 4) से जाने पर 4-5 घंटे का समय लग जाता है। इस तरह व्यावसायिक रूप से दो महत्त्वपूर्ण शहरों के बीच यात्रा के समय में काफ़ी बचत हो गई। यह वन वे तो है ही, इसकी सुरंगों को भी अलग-अलग बनाया गया है। सड़क के दोनों ओर बाड़ लगाई है ताकि जानवर आदि वाहनों की गति में कोई बाधा पैदा न करें। इस पर दो पहिया वाहन, तिपहिया और ट्रैक्टर की अनुमति नहीं है। जगह-जगह पेट्रोल पंप, ढाबे, कार्यशालाओं, शौचालय, आपातकालीन फ़ोन, प्राथमिक चिकित्सा, सी.सी.टीवी आदि की व्यवस्था से सुसज्जित किया गया है। साथ ही 80,000 पेड़ भी लगाये गए हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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