"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||द्रौपदी [[पांचाल|पांचाल जनपद]] के [[द्रुपद|राजा द्रुपद]] की पुत्री थी। पांचाल पौराणिक [[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] में से एक था। [[द्रौपदी]] का जन्म द्रुपद के यहाँ सम्पन्न हुए एक यज्ञकुण्ड से हुआ था। अतः वह 'यज्ञसेनी' भी कहलाई। [[यज्ञ]] की [[अग्नि]] में से उत्पन्न होने के कारण ही वह कुछ क्रोधी स्वभाव की थी। द्रौपदी का [[विवाह]] [[कुंती]] के पुत्र पाँचों [[पाण्डव]] से हुआ था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी को पांचाल की राजकुमारी होने के कारण ही "पांचाली" कहा गया था। स्वयंवर में [[अर्जुन]] ने द्रौपदी को जीत लिया था। जब वे भाइयों के साथ वापस घर आये तो कुंती से कहा कि "माँ हम भिक्षा ले आये"। इस पर कुंती ने कह दिया कि "पाँचों भाई आपस में बाँट लो"। इसीलिए द्रौपदी पाँचों पाण्डवों की पत्नी बनी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इन्द्रप्रस्थ]] | ||[[चित्र:Draupadi.jpg|right|100px|द्रौपदी ]]द्रौपदी [[पांचाल|पांचाल जनपद]] के [[द्रुपद|राजा द्रुपद]] की पुत्री थी। पांचाल पौराणिक [[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] में से एक था। [[द्रौपदी]] का जन्म द्रुपद के यहाँ सम्पन्न हुए एक यज्ञकुण्ड से हुआ था। अतः वह 'यज्ञसेनी' भी कहलाई। [[यज्ञ]] की [[अग्नि]] में से उत्पन्न होने के कारण ही वह कुछ क्रोधी स्वभाव की थी। द्रौपदी का [[विवाह]] [[कुंती]] के पुत्र पाँचों [[पाण्डव]] से हुआ था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी को पांचाल की राजकुमारी होने के कारण ही "पांचाली" कहा गया था। स्वयंवर में [[अर्जुन]] ने द्रौपदी को जीत लिया था। जब वे भाइयों के साथ वापस घर आये तो कुंती से कहा कि "माँ हम भिक्षा ले आये"। इस पर कुंती ने कह दिया कि "पाँचों भाई आपस में बाँट लो"। इसीलिए द्रौपदी पाँचों पाण्डवों की पत्नी बनी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इन्द्रप्रस्थ]] | ||
{[[द्रौपदी]] किसके वरदान से पाँच पतियों की पत्नी बनी थी? | {[[द्रौपदी]] किसके वरदान से पाँच पतियों की पत्नी बनी थी? | ||
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+[[गुजरात]] | +[[गुजरात]] | ||
-[[राजस्थान]] | -[[राजस्थान]] | ||
||[[चित्र:Dwarkadhish-Temple-Dwarka-Gujarat-1.jpg|right| | ||[[चित्र:Dwarkadhish-Temple-Dwarka-Gujarat-1.jpg|right|100px|द्वारिकाधीश मन्दिर, गुजरात]]गुजरात [[भारत]] का अत्यंत महत्त्वपूर्ण राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा [[पाकिस्तान]] से लगी है। यहाँ मिले पुरातात्विक [[अवशेष|अवशेषों]] से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस राज्य में मानव सभ्यता का विकास पाँच हज़ार वर्ष पहले हो चुका था। कहा जाता है कि ई. पू. 2500 वर्ष पहले [[पंजाब]] से [[हड़प्पा]] वासियों ने '[[कच्छ के रण]]' को पार कर [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] की उपत्यका में मौजूदा [[गुजरात]] की नींव डाली थी। गुजरात ई. पू. तीसरी शताब्दी में [[मौर्य साम्राज्य]] में शामिल था। [[जूनागढ़]] के [[अभिलेख]] से इस बात की पुष्टि होती है। यहाँ के प्रसिद्ध मन्दिरों में शिल्पगौरव गलतेश्वर, [[द्वारिकाधीश मंदिर द्वारका|द्वारिकानाथ का मंदिर]], [[शत्रुंजय पर्वत|शत्रुंजय पालीताना]] के जैन मंदिर, सीदी सैयद मस्जिद की जालियाँ, [[पाटन]] की काष्ठकला इत्यादि काफ़ी महत्त्वपूर्ण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुजरात]] | ||
{निम्न में से कौन आठ [[वसु|वसुओं]] में से एक थे? | {निम्न में से कौन आठ [[वसु|वसुओं]] में से एक थे? | ||
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-[[भीम]] | -[[भीम]] | ||
-[[अश्वत्थामा]] | -[[अश्वत्थामा]] | ||
||भीष्म [[हस्तिनापुर]] नरेश [[शांतनु]] के पुत्र थे, जो आठ [[वसु|वसुओं]] में से एक थे। [[भीष्म]] के जन्म से पहले [[गंगा]] के गर्भ से जो सात पुत्र पैदा हुए थे, उन्हें उत्पन्न होते ही गंगा ने पानी में डुबो दिया था। पत्नी के इस व्यवहार को [[शांतनु]] समझ नहीं पाते थे। किंतु वे उसे टोक भी नहीं सकते थे, क्योंकि [[विवाह]] से पहले ही गंगा ने शांतनु से कह दिया था कि यदि उसे किसी भी कार्य के लिए टोका गया तो वह उन्हें त्याग कर चली जायेगी। अंत में जब आठवीं संतान उत्पन्न होने पर गंगा ने उसे भी डुबाना चाहा, तब शांतनु ने उनको ऐसी निष्ठुरता करने से रोका। गंगा वह संतान शांतनु को सौंपकर अंतर्धान हो गईं। यहीं बालक 'द्युनामक' वसु था, जो आगे [[भीष्म]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] | ||[[चित्र:Bhishma2.jpg|right|100px|शरशैय्या पर भीष्म]]भीष्म [[हस्तिनापुर]] नरेश [[शांतनु]] के पुत्र थे, जो आठ [[वसु|वसुओं]] में से एक थे। [[भीष्म]] के जन्म से पहले [[गंगा]] के गर्भ से जो सात पुत्र पैदा हुए थे, उन्हें उत्पन्न होते ही गंगा ने पानी में डुबो दिया था। पत्नी के इस व्यवहार को [[शांतनु]] समझ नहीं पाते थे। किंतु वे उसे टोक भी नहीं सकते थे, क्योंकि [[विवाह]] से पहले ही गंगा ने शांतनु से कह दिया था कि यदि उसे किसी भी कार्य के लिए टोका गया तो वह उन्हें त्याग कर चली जायेगी। अंत में जब आठवीं संतान उत्पन्न होने पर गंगा ने उसे भी डुबाना चाहा, तब शांतनु ने उनको ऐसी निष्ठुरता करने से रोका। गंगा वह संतान शांतनु को सौंपकर अंतर्धान हो गईं। यहीं बालक 'द्युनामक' वसु था, जो आगे [[भीष्म]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] | ||
{[[शिखंडी]] के गुरु का नाम क्या था? | {[[शिखंडी]] के गुरु का नाम क्या था? |
12:51, 14 मई 2013 का अवतरण
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