"जयपुर का भूगोल": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "काफी " to "काफ़ी ")
छो (Text replace - " फकीर" to " फ़कीर")
पंक्ति 11: पंक्ति 11:


==जयपुर की नदियाँ==
==जयपुर की नदियाँ==
जयपुर की मुख्य नदियाँ [[बनास नदी|बनास]] और [[बाणगंगा नदी|बाणगंगा]] है। बनास नदी देवली की ओर से होकर मालपुरा को सिंचती हुई मुड़कर [[चम्बल नदी]] में जा मिलती है। यह राज्य में 110 मील बहती है। बाणगंगा नदी बैराठ की पहाड़ियों के दक्षिणी ढ़ाल से निकलकर कुछ दूर दक्षिण को बहकर रामगढ़ के बाँध में अपना पानी छोड़ती हुई पूर्व की ओर मुड़ गई है और आमेर, [[दौसा]] व हिण्डोन होती हुई भरतपुर की ओर चली गयी है। यह इस राज्य में 90 मील बहती है। [[सवाई माधोपुर]] की दक्षिणी सीमा पर चम्बल नदी भी बहती है लेकिन यह सीमा पर बहने के कारण राज्य के लिए विशेष लाभदायक नहीं है। ढ़ूंढ़ नदी आमेर में अचरोल की पहाडियों से निकलकर दक्षिण की ओर बहती हुई जयपुर व [[चाकसू]] होती हुई मोरेल नदी में जा मिलती है। जयपुर की अन्य नदियां है - खारी, बांडी, मासी, मोरेल, गंभीरी, सहाद्रा, मंढा, माधवबेणी, बसई, साबी, गालवा व [[काली नदी|काली]]। ये सभी [[नाहरगढ़ क़िला जयपुर|नाहरगढ़]] से एक नालें में बहकर ढूंढ़ नदी में जयपुर से लगभग 2 मील पर जाकर मिलती है। इसके किनारे पर अमानी शाह नामक एक [[मुसलमान]] फकीर लगभग 80 वर्ष पहले रहा करता था। इससे यह अमानी शाह का नाला कहलाता है।<ref name="IGNCA"/>
जयपुर की मुख्य नदियाँ [[बनास नदी|बनास]] और [[बाणगंगा नदी|बाणगंगा]] है। बनास नदी देवली की ओर से होकर मालपुरा को सिंचती हुई मुड़कर [[चम्बल नदी]] में जा मिलती है। यह राज्य में 110 मील बहती है। बाणगंगा नदी बैराठ की पहाड़ियों के दक्षिणी ढ़ाल से निकलकर कुछ दूर दक्षिण को बहकर रामगढ़ के बाँध में अपना पानी छोड़ती हुई पूर्व की ओर मुड़ गई है और आमेर, [[दौसा]] व हिण्डोन होती हुई भरतपुर की ओर चली गयी है। यह इस राज्य में 90 मील बहती है। [[सवाई माधोपुर]] की दक्षिणी सीमा पर चम्बल नदी भी बहती है लेकिन यह सीमा पर बहने के कारण राज्य के लिए विशेष लाभदायक नहीं है। ढ़ूंढ़ नदी आमेर में अचरोल की पहाडियों से निकलकर दक्षिण की ओर बहती हुई जयपुर व [[चाकसू]] होती हुई मोरेल नदी में जा मिलती है। जयपुर की अन्य नदियां है - खारी, बांडी, मासी, मोरेल, गंभीरी, सहाद्रा, मंढा, माधवबेणी, बसई, साबी, गालवा व [[काली नदी|काली]]। ये सभी [[नाहरगढ़ क़िला जयपुर|नाहरगढ़]] से एक नालें में बहकर ढूंढ़ नदी में जयपुर से लगभग 2 मील पर जाकर मिलती है। इसके किनारे पर अमानी शाह नामक एक [[मुसलमान]] फ़कीर लगभग 80 वर्ष पहले रहा करता था। इससे यह अमानी शाह का नाला कहलाता है।<ref name="IGNCA"/>
==जयपुर की झीलें==
==जयपुर की झीलें==
यहाँ की प्राकृतिक झील [[सांभर झील जयपुर|सांभर झील]] है जो, खारे पानी की है। यह [[जोधपुर]] व [[जयपुर]] राज्यों की सीमा पर है तथा दोनों राज्यों की सम्मिलित सम्पत्ति है। इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील है। इसमें [[नमक]] बनता है जिसका प्रबन्धन केन्द्र सरकार के द्वारा होता है।
यहाँ की प्राकृतिक झील [[सांभर झील जयपुर|सांभर झील]] है जो, खारे पानी की है। यह [[जोधपुर]] व [[जयपुर]] राज्यों की सीमा पर है तथा दोनों राज्यों की सम्मिलित सम्पत्ति है। इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील है। इसमें [[नमक]] बनता है जिसका प्रबन्धन केन्द्र सरकार के द्वारा होता है।

10:41, 17 मई 2013 का अवतरण

जयपुर राज्य राजपूताना के उत्तर पश्चिम व पूर्व में स्थित है। इसका नाम ई. सन् 1728 में जयपुर नगर बसने पर अपनी राजधानी के नाम पर पड़ा। इसके पहले यह आमेर राज्य कहलाता था। इस नाम से यह नगर ई. सन् 1200 के लगभग काकिल देव ने बसाया। इससे भी पहले यह राज्य 'ढूंढ़ाड़' कहलाता था। कर्नल टॉड ने ढूंढ़ाड़ नाम जोबनेर के पास ढ़ूंढ़ नाम पहाड़ी के कारण बतलाया है। पृथ्वीसिंह मेहता ने यह नाम जयपुर के पास आमेर की पहाड़ियों से निकलने वाली धुन्ध नदी के नाम पर बतलाया है। धुन्ध नदी का नाम इस क्षेत्र में धुन्ध नामक किसी अत्याचारी पुरुष के नाम के कारण पड़ा, जो उस क्षेत्र में रहता था। जोबनेर के पास ढ़ूंढ़ नामक कोई पहाड़ी नहीं है अत: बहुत संभव है कि इस नदी से ही यह क्षेत्र ढूंढ़ाड़ कहलाया है। महाभारत के समय यह मत्स्य प्रदेश का एक भाग था। उस वक्त इसकी राजधानी बैराठ (जयपुर नगर से 48 मील) थी जो अब एक छोटा कस्बा है। यहाँ सम्राट अशोक के समय का एक शिलालेख मिला है। ई. सन् 634 में यहाँ चीनी यात्री ह्वेन त्सांग आया था। उस समय यहाँ बौद्धों के 8 मठ थे। इस नगर को महमूद गज़नवी ने काफ़ी नष्ट कर दिया था। मत्स्य प्रदेष के मत्स्यों ने राजा सुदाश से युद्ध किया था। मनु ने इस प्रदेश को ब्रह्माॠषि देश के अन्तर्गत माना था।[1]

सीमाएँ

जयपुर राज्य के उत्तर में बीकानेर, लोहारु व पटियाला राज्य; पूर्व में भरतपुर, अलवर, करौली, धौलपुरग्वालियर राज्य; दक्षिण में कोटा, बूंदी, टोंक व उदयपुर राज्य; तथा पश्चिम में मेवाड़, किशनगढ़, जोधपुर व बीकानेर राज्य है। यह राज्य दक्षिण पूर्व में अधिक विस्तृत, बीच में बिल्कुल संकुचित और उत्तरी भाग बीच के भाग से कुछ अधिक चौड़ा है। इसकी अधिकतम लम्बाई पूर्व से पश्चिम तक 140 मील और चौड़ाई 196 मील है। कुल क्षेत्रफल, जैसा कि पहले बताया जा चुका है, 15, 601 वर्गमील है। यह राज्य सवाई जयसिंह के समय में दिल्ली तक फैला हुआ था लेकिन उसकी मृत्यु (ई. सन् 1743) के बाद शनै: शनै: कामा, दबोई व पहाड़ी भरतपुर राज्य ने तथा थानागाजी, उजीबगढ़, बहरोड़, मंजपुर, प्रतापगढ़ आदि अलवर राज्य ने, नारनोल, कांति आदि झझर राज्य ने फरीदाबाद बल्लभगढ़ राज्य ने टोंक व रामपुरा टोंक राज्य ने अंग्रेज़ों ने होडल, पलवल को अपने अन्तर्गत मिला लिया। अत: पिछले 200 वर्षों में इस राज्य की सीमा में काफ़ी परिवर्तन हुए हैं। इस राज्य का कोट कासिम क्षेत्र नाभा, राज्य व हरियाणा के गुड़गांव की रेवाड़ी तहसील से लगता हुआ है। खेतड़ी के राजा को 1803 -04 के मरहटा युद्ध में खेतड़ी जागीरदार द्वारा अंग्रेज़ों को दी गई सहायता के फलस्वरुप लार्ड लैक ने कोटपुतली दिया था।[1]

प्राकृतिक दशा

यह तीन प्राकृतिक विभागों में विभक्त है -

  1. पहाड़ी भाग
  2. रेतीली भाग
  3. मैदानी भाग

इस राज्य के दक्षिण - पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर पहाड़ी सिलसिला है जो अड़ावला पर्वत की शाखायें हैं। इस पहाड़ी सिलसिलों के बीच में नदियों के मैदानी भाग भी आ गये हैं। यहाँ का दक्षिणी पूर्वी भागअधिक पहाड़ी है। उत्तरी पहाड़ी सिलसिला सांभर झील के उत्तर से खेतड़ी के उत्तर में सिंघाना तक चला गया है। इस सिलसिले में सबसे ऊंची पहाड़ी रघुनाथ (शेखावटी प्रदेश) की है जो 3450 फुट है। अन्य पहाड़ियों में हर्ष, मालकेतु व लोहर्गल की आती है। एक ओर पहाड़ी सिलसिला जयपुर राज्य के ठीक बीच में आमेर होता हुआ तोरावाटी तक चला गया है जिसमें नाहरगढ़, जयगढ़, अभयगढ़, रामगढ़ व बैराठ की पहाड़ियां आती है। तीसरा पहाड़ी सिलसिला मालपुरा के दक्षिण भाग में व लालसोट होता हुआ हिण्डोन में टोडाभीम तक चला गया है। लालसोट से यह पहाड़ बहुत ऊचें हो गये हैं तथा फैल भी गये हैं। चौथा पहाड़ी सिलसिला राज्य के दक्षिण पूर्वी भाग में सवाई माधोपुर के दक्षिण में गंगापुर व हिण्डोन होता हुआ आगे चला गया है। रेवणजा डूंगर, रणथम्भौर, खण्डार व कादिरपुर के पहाड़ इसी सिलसिले के ऊंचे पहाड़ हैं। राज्य का उत्तर पश्चिमी भाग जो शेखावटी कहलाता है, रेतीला है। जयपुर नगर के पश्चिम की ओर किशनगढ़ की सीमा तक भूमि ऊंची होती हुई चली गयी है। दक्षिण - पूर्व में बनास के पास की भूमि ढालु है तथा उपजाऊ है। राजमहल के पास जहाँ बनास नदी पहाड़ियों में से होकर गुजरती है, बड़ा ही रमणीय दृश्य बनता है।[1]

जयपुर की नदियाँ

जयपुर की मुख्य नदियाँ बनास और बाणगंगा है। बनास नदी देवली की ओर से होकर मालपुरा को सिंचती हुई मुड़कर चम्बल नदी में जा मिलती है। यह राज्य में 110 मील बहती है। बाणगंगा नदी बैराठ की पहाड़ियों के दक्षिणी ढ़ाल से निकलकर कुछ दूर दक्षिण को बहकर रामगढ़ के बाँध में अपना पानी छोड़ती हुई पूर्व की ओर मुड़ गई है और आमेर, दौसा व हिण्डोन होती हुई भरतपुर की ओर चली गयी है। यह इस राज्य में 90 मील बहती है। सवाई माधोपुर की दक्षिणी सीमा पर चम्बल नदी भी बहती है लेकिन यह सीमा पर बहने के कारण राज्य के लिए विशेष लाभदायक नहीं है। ढ़ूंढ़ नदी आमेर में अचरोल की पहाडियों से निकलकर दक्षिण की ओर बहती हुई जयपुर व चाकसू होती हुई मोरेल नदी में जा मिलती है। जयपुर की अन्य नदियां है - खारी, बांडी, मासी, मोरेल, गंभीरी, सहाद्रा, मंढा, माधवबेणी, बसई, साबी, गालवा व काली। ये सभी नाहरगढ़ से एक नालें में बहकर ढूंढ़ नदी में जयपुर से लगभग 2 मील पर जाकर मिलती है। इसके किनारे पर अमानी शाह नामक एक मुसलमान फ़कीर लगभग 80 वर्ष पहले रहा करता था। इससे यह अमानी शाह का नाला कहलाता है।[1]

जयपुर की झीलें

यहाँ की प्राकृतिक झील सांभर झील है जो, खारे पानी की है। यह जोधपुरजयपुर राज्यों की सीमा पर है तथा दोनों राज्यों की सम्मिलित सम्पत्ति है। इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील है। इसमें नमक बनता है जिसका प्रबन्धन केन्द्र सरकार के द्वारा होता है।

जयपुर के बांध

इस राज्य में विभिन्न नदियों एवं नालों का पानी रोककर कई बांध बनाये गये हैं। मुख्य बांध टोरड़ी सागर, छापड़वाड़ा, सागर बांध, मारासागर, गोपालपुरा, सेंथल बंध, किरवाल सागर बंघ, ढील नदीबंध, कालिख बंध, बुचरा बंध रामगढ़ बंध व नया सागर है। जयपुर नगर में पीने का पानी रामगढ़ बंध से आता है। सभी बांधों से सिंचाई होती है। इससे राज्य सरकार को राज की प्राप्ति होती है।

मौसम और जलवायु

यहाँ का मौसम सूखा व गर्म है जो आरोग्यर्द्धक है। ऊंची व रेतीली भूमि होने के कारण बीमारियां कम होती है। गरमी के मौसम में शेखावटी व उत्तरी भागों में बहुत तेजी से लू चलती है और बालू रेत उड़ती है, लेकिन रात में काफ़ी ठण्ड होती है। औसत तापमान 87 डिग्री फ़ारैनहाइट है। ज्याद से ज्यादा तापमान 112 व कम से कम 35 डिग्री फ़ारैनहाइट होता है।[1]

वर्षा

इसकी औसत वर्षा 24 इंच है। यह जून में आरम्भ होकर सितम्बर के अन्त तक रहती है। सबसे ज्यादा वर्षा सवाई माधोपुर में और सबसे कम शेखावटी क्षेत्र में होती है।

जंगल क्षेत्र

350 वर्गमील क्षेत्र में जंगल है जो कुल खालसा क्षेत्र का 8 प्रतिशत है। जंगल के नीचे बहुत ही कम क्षेत्र है। राज्य में घास के कई बीड़ है; जिनका कुल क्षेत्रफल 16 वर्गमील है। जंगल में निम्न पेड़ बहुतायत से पाये जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं - बबूल, डीक, खैर, शीशम, रोहीड़ा, बांस, पीपल, नीम, महुआ, गूलर और बड़[1]

जीव-जंतु

यहाँ के जंगलों में काला हिरण, सूअर, चीता बघेरा, सांमर और जरख काफ़ी मात्रा में पाये जाते हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 तनेगारिया, राहुल। जयपुर राज्यभौगोलिक एवं आर्थिक विवरण (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) IGNCA। अभिगमन तिथि: 5 जनवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख