"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर

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-महापद्म
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-[[ऐरावत]]
-[[ऐरावत]]
||[[देवता|देवताओं]] में तीसरा स्थान '[[वरुण देवता|वरुण]]' का माना जाता है, जिसे [[समुद्र]] का देवता, विश्व के नियामक और शासक सत्य का प्रतीक, ऋतु परिवर्तन एवं दिन-रात का कर्ता-धर्ता, [[आकाश]], [[पृथ्वी]] एवं [[सूर्य]] के निर्माता के रूप में जाना जाता है। वरुण देवलोक में सभी सितारों का मार्ग निर्धारित करते हैं। [[ऋग्वेद]] का सातवाँ मण्डल वरुण देवता को समर्पित है। ये दण्ड के रूप में लोगों को 'जलोदर रोग' से पीड़ित करते हैं। सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर [[राजसूय यज्ञ]] जलाधीश वरुण ने ही किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वरुण देवता]]
||[[चित्र:Varuna.jpg|right|120px|वरुण]][[देवता|देवताओं]] में तीसरा स्थान '[[वरुण देवता|वरुण]]' का माना जाता है, जिसे [[समुद्र]] का देवता, विश्व के नियामक और शासक सत्य का प्रतीक, ऋतु परिवर्तन एवं दिन-रात का कर्ता-धर्ता, [[आकाश]], [[पृथ्वी]] एवं [[सूर्य]] के निर्माता के रूप में जाना जाता है। वरुण देवलोक में सभी सितारों का मार्ग निर्धारित करते हैं। [[ऋग्वेद]] का सातवाँ मण्डल वरुण देवता को समर्पित है। ये दण्ड के रूप में लोगों को 'जलोदर रोग' से पीड़ित करते हैं। सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर [[राजसूय यज्ञ]] जलाधीश वरुण ने ही किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वरुण देवता]]


{[[श्रीराम]] आदि चारों भाइयों के [[विवाह]] कार्य जिस [[ऋषि]] ने सम्पन्न कराए थे, उनका नाम क्या था?(पृ.सं.-17
{[[श्रीराम]] आदि चारों भाइयों के [[विवाह]] कार्य जिस [[ऋषि]] ने सम्पन्न कराए थे, उनका नाम क्या था?(पृ.सं.-17
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-[[अत्रि]]
-[[अत्रि]]
-[[याज्ञवलक्य|याज्ञवल्क्य]]
-[[याज्ञवलक्य|याज्ञवल्क्य]]
||[[वेद]], [[इतिहास]], [[पुराण|पुराणों]] में [[वसिष्ठ]] के अनगिनत कार्यों का उल्लेख किया गया है। महर्षि वसिष्ठ की उत्पत्ति का वर्णन पुराणों में विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। कहीं ये [[ब्रह्मा]] के मानस पुत्र, कहीं मित्रावरुण के पुत्र और कहीं अग्निपुत्र कहे गये हैं। इनकी पत्नी का नाम '[[अरून्धती|अरून्धती देवी]]' था। वसिष्ठ ने [[सूर्यवंश]] का पौरोहित्य करते हुए अनेक लोक-कल्याणकारी कार्यों को सम्पन्न किया था। इन्हीं के उपदेश के बल पर [[भगीरथ]] ने प्रयत्न करके [[गंगा]] जैसी लोक कल्याणकारिणी नदी को लोगों के लिये सुलभ कराया। [[दिलीप]] को [[नन्दिनी]] की सेवा की शिक्षा देकर [[रघु]] जैसे पुत्र प्रदान करने वाले तथा [[दशरथ|महाराज दशरथ]] की निराशा में आशा का संचार करने वाले महर्षि वसिष्ठ ही थे। इन्हीं की सम्मति से महाराज दशरथ ने पुत्रेष्टि-यज्ञ सम्पन्न किया और भगवान [[श्रीराम]] का [[अवतार]] हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वसिष्ठ]]


{उस [[हाथी]] का क्या नाम था, जिसे [[सगर]] पुत्रों ने [[पृथ्वी]] धारण करते हुए देखा था?(पृ.सं.-14
{उस [[हाथी]] का क्या नाम था, जिसे [[सगर]] पुत्रों ने [[पृथ्वी]] धारण करते हुए देखा था?(पृ.सं.-14

14:08, 17 मई 2013 का अवतरण

1 समुद्र मंथन से जो भयानक विष निकला था, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-18

हलाहल
यमद
वत्सनाभ
नीलकंठ

2 समुद्र मंथन हेतु जिस पर्वत को मथानी बनाया गया, वह कौन-सा था?(पृ.सं.-18

हिमालय
मैनाक
मंदराचल
गिरनार

3 'रामायण' के सबसे बड़े कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-18

सुंदरकांड
युद्धकांड
उत्तरकांड
किष्किंधाकांड

4 उस कौए का क्या नाम था, जिसने गरुड़ को राम कथा सुनाई थी?(पृ.सं.-17

विगत
विनत
काकभुशुंडि
नागभुशुंडि

5 अश्वमेध यज्ञ के अश्व के मस्तक पर जो पत्र बाँधा जाता था, उसका क्या नाम था?(पृ.सं.-18

विजयपत्र
रणपत्र
घोषपत्र
जयपत्र

6 वरुण के हाथी का क्या नाम है?(पृ.सं.-17

सौमनस
हिमपांड्र
महापद्म
ऐरावत

7 श्रीराम आदि चारों भाइयों के विवाह कार्य जिस ऋषि ने सम्पन्न कराए थे, उनका नाम क्या था?(पृ.सं.-17

विश्वामित्र
वसिष्ठ
अत्रि
याज्ञवल्क्य

8 उस हाथी का क्या नाम था, जिसे सगर पुत्रों ने पृथ्वी धारण करते हुए देखा था?(पृ.सं.-14

अश्वत्थामा
कुवलयापीड
विरूपाक्ष
शत्रुहंता

9 उस मणि का क्या नाम है, जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थी?(पृ.सं.-16

कौस्तुभ
पारस
वैदूर्य
स्यमंतक

10 हनुमान जब अशोक वाटिका में सीताजी से मिलने गए थे, उस समय वे किस वृक्ष पर छिपे थे?(पृ.सं.-16

अशोक
शमी
साल
अश्वत्थ

11 कुबेर को ब्रह्माजी ने जो विमान दिया था, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-16

वायुपुत्र
सौभ
पुष्पक
तीव्रगामी

12 उस ब्राह्मण का क्या नाम था, जिसे श्रीराम ने कहा था कि वह अपने दंड (डंडे) को जहाँ तक फेंक सकेंगे, वहाँ तक की गायें उन्हें मिल जायेंगी?(पृ.सं.-16

त्रिजट
कश्यप
अश्वकेतु
अश्वसेन

13 उस पर्वत का क्या नाम है, जो समस्त पर्वतों का राजा है?(पृ.सं.-15

हिमालय
मैनाक
गिरनार
पारसनाथ

14 'रामायण' के प्रथम कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-15

अरण्यकांड
बालकांड
अयोध्याकांड
किष्किंधाकांड

15 उस सागर का क्या नाम था, जिसका देवताओं और असुरों ने मंथन किया था?(पृ.सं.-14

क्षीरोद सागर
प्रशांत सागर
कश्यप सागर
विष्णु सागर