"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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-[[उत्तर काण्ड वा॰ रा॰|उत्तरकांड]] | -[[उत्तर काण्ड वा॰ रा॰|उत्तरकांड]] | ||
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||[[चित्र:Ramayana.jpg|right|80px|रामायण]]इस प्रसिद्ध कांड में 128 सर्ग तथा सबसे अधिक 5,692 [[श्लोक]] प्राप्त होते हैं। शत्रु के जय, उत्साह और लोकापवाद के दोष से मुक्त होने के लिए युद्धकांड का पाठ करना चाहिए। इसे 'बृहद्धर्मपुराण' में 'लंकाकांड' भी कहा गया है। युद्धकांड में वानरसेना का पराक्रम, विभीषण-तिरस्कार, [[विभीषण]] का [[राम]] के पास गमन, [[राम]]-[[रावण]] युद्ध, रावण वध, [[मंदोदरी]] विलाप, विभीषण का शोक, राम के द्वारा विभीषण का राज्याभिषेक, [[हनुमान]], [[सुग्रीव]], [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] आदि के साथ राम, [[लक्ष्मण]] तथा [[सीता]] का [[अयोध्या]] प्रत्यावर्तन, राम का राज्याभिषेक तथा [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]] का युवराज पद पर आसीन होना, रामराज्य वर्णन और [[रामायण]]] पाठ श्रवणफल कथन आदि का निरूपण किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[युद्धकाण्ड वा. रा.|युद्धकांड]] | |||
{उस कौए का क्या नाम था, जिसने [[गरुड़]] को [[राम]] कथा सुनाई थी?(पृ.सं.-17 | {उस कौए का क्या नाम था, जिसने [[गरुड़]] को [[राम]] कथा सुनाई थी?(पृ.सं.-17 |
06:13, 22 मई 2013 का अवतरण
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