"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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-[[अयोध्या काण्ड वा॰ रा॰|अयोध्याकांड]] | -[[अयोध्या काण्ड वा॰ रा॰|अयोध्याकांड]] | ||
-[[किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰|किष्किंधाकांड]] | -[[किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰|किष्किंधाकांड]] | ||
||'[[रामायण]]' के इस प्रसिद्ध कांड में प्रथम सर्ग ‘मूलरामायण’ के नाम से प्रख्यात है। इसमें [[नारद]] से [[वाल्मीकि]] संक्षेप में सम्पूर्ण रामकथा का श्रवण करते हैं। [[हिन्दू धर्म]] में धार्मिक दृष्टि से भी इस कांड का महत्त्व बहुत अधिक है। [[अयोध्या]] के [[राजा दशरथ]] का [[यज्ञ]], तीन रानियों से चार पुत्रों का जन्म, [[विश्वामित्र]] का [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को ले जाकर 'बला' तथा 'अतिबला' विद्याएँ प्रदान करना, [[राक्षस|राक्षसों]] का वध, [[जनक]] के धनुषयज्ञ में जाकर [[सीता]] का [[विवाह]] आदि वृतान्त वर्णित हैं। बालकांड में 77 सर्ग तथा 2280 [[श्लोक]] प्राप्त होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाल काण्ड वा॰ रा॰|बालकांड]] | |||
{उस [[सागर]] का क्या नाम था, जिसका [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] ने मंथन किया था?(पृ.सं.-14 | {उस [[सागर]] का क्या नाम था, जिसका [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] ने मंथन किया था?(पृ.सं.-14 |
06:48, 22 मई 2013 का अवतरण
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