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==फ़रवरी माह के पर्व== | |||
फ़रवरी का महीना [[भारत]] में कड़कती सर्दी के बाद अच्छे मौसम को प्रारंभ करता है और इसके साथ ही प्रारंभ होते है हर्ष और उल्लास के पर्व। न केवल सामाजिक बल्कि भारत सरकार की ओर से भी इस महीने में अनेक पर्वो का आयोजन किया जाता है। | |||
====बसंत पंचमी==== | |||
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बसंत पंचमी इस महीने का प्रमुख पर्व है। [[उत्तर भारत]] और [[पश्चिम बंगाल|पश्चिमी बंगाल]] में यह धूमधाम से मनाया जाता है जब बसंती रंग के कपड़े पहने हुए लोग नाचते गाते हुए वसंत का औपचारिक रूप से स्वागत करते हैं। बंगाल में इसे सरस्वती पूजा के नाम से जानते हैं और विद्या की देवी [[सरस्वती देवी|सरस्वती]] की पूजा धूमधाम से की जाती है। [[शांतिनिकेतन]] विश्वविद्यालय में इसकी रौनक देखते ही बनती है। | |||
====सूरजकुंड शिल्प मेला==== | |||
[[दिल्ली]] के समीप [[सूरजकुंड]] में हस्त शिल्प और हथकरघे का एक सुरुचिपूर्ण वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ भारतीय शिल्पकारों के सधे हुए हस्तकौशल को पारंपरिक मेले के रूप में देखा जा सकता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम और ग्रामीण भोजन इस मेले की अन्य विशेषताएँ हैं। | |||
====मरूस्थल मेला==== | |||
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====नागौर मेला==== | |||
फ़रवरी माह में राजस्थान का छोटा-सा नगर [[नागौर]] उस समय सजीव हो उठता है जब यहाँ [[भारत]] के सबसे बड़े पशुमेले का आयोजन किया जाता है। मनोरंजक खेल और ऊँटों की दौड़ इस मेले के प्रमुख आकर्षण होते हैं। | |||
====एलिफेंटा उत्सव==== | |||
मुम्बई हार्बर के पार विश्व प्रसिद्ध ऐलिफेंटा गुफाओं के पास इस उत्सव को फ़रवरी माह में आयोजित किया जाता है। जब खुले आकाश में सितारों के नीचे [[नृत्य]] [[संगीत]] का कार्यक्रम होता है तो यह संपूर्ण [[द्वीप]] एक स्वर्गिक प्रेक्षाग्रह के रूप में परिवर्तित हो जाता है। | |||
====दक्कन उत्सव==== | |||
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====ताज महोत्सव==== | |||
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====उपवन उत्सव==== | |||
[[दिल्ली]] का उपवन उत्सव बागवानी में रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस बहुआयामी पुष्प प्रदर्शनी में फूलों और पौधों की असंख्य जातियों - प्रजातियों के दर्शन किये जा सकते हैं। | |||
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13:13, 25 मई 2013 का अवतरण
फ़रवरी
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विवरण | ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का दूसरा महीना होता है। |
हिंदी माह | माघ - फ़ाल्गुन |
हिजरी माह | रबीउल अव्वल - रबीउल आख़िर |
कुल दिन | 28 या 29 |
व्रत एवं त्योहार | बसंत पंचमी, मौनी अमावस्या |
जयंती एवं मेले | दयानंद सरस्वती जयंती (12), रामकृष्ण परमहंस जयंती (18), ताज महोत्सव (18 - 27), सूरजकुंड शिल्प मेला, गोवा कार्निवाल |
महत्त्वपूर्ण दिवस | अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस (20), मिज़ोरम स्थापना दिवस (20), विश्व सामाजिक न्याय दिवस (20), राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (28) |
अन्य जानकारी | फ़रवरी के महीने में 28 दिन होते है और लीप वर्ष में फ़रवरी के महीने में 29 दिन होते हैं। |
अद्यतन | 18:43, 25 मई 2013 (IST)
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फ़रवरी (अंग्रेज़ी: February) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का दूसरा महीना होता है। फ़रवरी के महीने में 28 दिन होते है और लीप वर्ष में फ़रवरी के महीने में 29 दिन होते हैं। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।
फ़रवरी माह के पर्व
फ़रवरी का महीना भारत में कड़कती सर्दी के बाद अच्छे मौसम को प्रारंभ करता है और इसके साथ ही प्रारंभ होते है हर्ष और उल्लास के पर्व। न केवल सामाजिक बल्कि भारत सरकार की ओर से भी इस महीने में अनेक पर्वो का आयोजन किया जाता है।
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी इस महीने का प्रमुख पर्व है। उत्तर भारत और पश्चिमी बंगाल में यह धूमधाम से मनाया जाता है जब बसंती रंग के कपड़े पहने हुए लोग नाचते गाते हुए वसंत का औपचारिक रूप से स्वागत करते हैं। बंगाल में इसे सरस्वती पूजा के नाम से जानते हैं और विद्या की देवी सरस्वती की पूजा धूमधाम से की जाती है। शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में इसकी रौनक देखते ही बनती है।
सूरजकुंड शिल्प मेला
दिल्ली के समीप सूरजकुंड में हस्त शिल्प और हथकरघे का एक सुरुचिपूर्ण वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ भारतीय शिल्पकारों के सधे हुए हस्तकौशल को पारंपरिक मेले के रूप में देखा जा सकता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम और ग्रामीण भोजन इस मेले की अन्य विशेषताएँ हैं।
मरूस्थल मेला
राजस्थान के स्वर्णनगर जैसलमेर में तीन दिनों तक रंग तरंग, संगीत और उत्सव की धूम मचा देने वाले इस मेले के प्रमुख आकर्षण हैं- पारंपरिक धुनों पर थिरकते गैर और अग्नि नृत्य पर थिरकते चपल नर्तक। पगड़ी प्रतियोगिता और मिस्टर डेज़र्ट का चुनाव इस मेले के अन्य आकर्षण हैं।
नागौर मेला
फ़रवरी माह में राजस्थान का छोटा-सा नगर नागौर उस समय सजीव हो उठता है जब यहाँ भारत के सबसे बड़े पशुमेले का आयोजन किया जाता है। मनोरंजक खेल और ऊँटों की दौड़ इस मेले के प्रमुख आकर्षण होते हैं।
एलिफेंटा उत्सव
मुम्बई हार्बर के पार विश्व प्रसिद्ध ऐलिफेंटा गुफाओं के पास इस उत्सव को फ़रवरी माह में आयोजित किया जाता है। जब खुले आकाश में सितारों के नीचे नृत्य संगीत का कार्यक्रम होता है तो यह संपूर्ण द्वीप एक स्वर्गिक प्रेक्षाग्रह के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
दक्कन उत्सव
हर वर्ष दक्कन उत्सव के समय शबे ग़ज़ल, कव्वालियों और मुशायरों जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हैदराबाद का रमणीय शहर जीवंत हो उठता है। बहुरंगी आभा वाली काँच की चूड़ियां हैदराबाद की विशेषता हैं और यहाँ के मोती विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। इस कारण इस अवसर पर आयोजित मोतियों और चूड़ियों का मेला इस उत्सव की जान है। पर्यटकों को हैदराबादी भोजन भी कम आकर्षित नहीं करता।
ताज महोत्सव
आगरा के शिल्पग्राम स्थल पर 18 फ़रवरी से दस दिन के लिए शुरू होने वाले ताज महोत्सव का लोग साल भर इंतज़ार करते हैं। भारत के सर्वश्रेष्ठ कला शिल्प और सांस्कृतिक परंपराओं का यहाँ प्रदर्शन होता है। लोकगीत शायरी और शास्त्रीय नृत्य के साथ-साथ ऊँट और हाथी की सवारी तथा खेल और भोजन मेलों का भी आयोजन किया जाता है।
गोवा कार्निवाल
गोवा की 100 किलोमीटर लम्बी तट रेखा विश्व के सुन्दरतम तटों में से है। गोवा उत्सव फ़रवरी के मध्य मनाया जाने वाला हर्षोल्लास का पर्व है। हफ्ते भर चलने वाला यह पर्व आकर्षक जलूसों, झाँकियों, गिटार की झंकारों और लुभावने नृत्यों से मदमस्त रहता है।
उपवन उत्सव
दिल्ली का उपवन उत्सव बागवानी में रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस बहुआयामी पुष्प प्रदर्शनी में फूलों और पौधों की असंख्य जातियों - प्रजातियों के दर्शन किये जा सकते हैं।
गुलाब उत्सव
चंडीगढ़ के रोज़ गार्डन में भारत की सबसे बड़ी गुलाब प्रदर्शनी का आयोजन गुलाब उत्सव के नाम से किया जाता है। दो दिन वाले इस आयोजन में गुलाब की असंख्य आकर्षक जातियों के साथ-साथ अनेक दुर्लभ प्रजातियों के भी यहाँ दर्शन किए जा सकते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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