"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Devi-Yogmaya.jpg|right| | ||[[चित्र:Devi-Yogmaya.jpg|right|90px|देवी योगमाया]]'योगमाया' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार देवी शक्ति हैं। भगवान [[श्रीकृष्ण]] योग योगेश्वर हैं तो भगवती 'योगमाया' हैं। [[योगमाया]] की साधना [[भक्त]] को भुक्ति और मुक्ति दोनों ही प्रदान करने वाली है। इसी योगमाया के प्रभाव से समस्त जगत आवृत्त है। जगत में जो भी कुछ दिख रहा है, वह सब योगमाया की ही माया है। 'गर्गपुराण' के अनुसार [[देवकी]] के सप्तम गर्भ को देवी योगमाया ने ही संकर्षण द्वारा [[रोहिणी]] के गर्भ में पहुँचाया था, जिससे [[बलराम]] का जन्म हुआ था। इसीलिए बलराम का एक नाम '[[संकर्षण]]' भी है। बलराम को स्वयं [[शेषनाग]] का [[अवतार]] कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[योगमाया]] | ||
{'[[सीमंतोन्नयन संस्कार]]' का क्या अर्थ है?(हि.ध.प्र. 8) | {'[[सीमंतोन्नयन संस्कार]]' का क्या अर्थ है?(हि.ध.प्र. 8) | ||
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-ननद द्वारा गर्भवती भाभी के बाल खोलना। | -ननद द्वारा गर्भवती भाभी के बाल खोलना। | ||
-पति और सास की उपस्थिति में गर्भवती महिला द्वारा स्वयं बाल खोलना। | -पति और सास की उपस्थिति में गर्भवती महिला द्वारा स्वयं बाल खोलना। | ||
||[[चित्र:Simantonayan.jpg|right|100px|[[सीमन्तोन्नयन संस्कार]]]]'सीमन्तोन्नयन संस्कार' [[हिन्दू धर्म]] के संस्कारों में तृतीय [[संस्कार]] है। यह संस्कार '[[पुंसवन संस्कार|पुंसवन]]' का ही विस्तार है। इसका शाब्दिक अर्थ है- "सीमन्त" अर्थात् 'केश और उन्नयन' अर्थात् 'ऊपर उठाना'। संस्कार विधि के समय पति अपनी पत्नी के केशों को संवारते हुए ऊपर की ओर उठाता था, इसलिए इस संस्कार का नाम '[[सीमंतोन्नयन संस्कार|सीमंतोन्नयन]]' पड़ गया। इस संस्कार का उद्देश्य गर्भवती स्त्री को मानसिक बल प्रदान करते हुए सकारात्मक विचारों से पूर्ण रखना था। शिशु के विकास के साथ [[माता]] के [[हृदय]] में नई-नई इच्छाएँ पैदा होती हैं। शिशु के मानसिक विकास में इन इच्छाओं की पूर्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अब वह सब कुछ सुनता और समझता है तथा माता के प्रत्येक सुख-दु:ख का सहभागी होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सीमंतोन्नयन संस्कार]] | |||
{[[ब्राह्मण]], [[क्षत्रिय]] और [[वैश्य]] ब्रह्मचारी लड़के क्रमश: किस पेड़ का दंड (डंडा) लेकर चलते हैं?(हि.ध.प्र. 12) | {[[ब्राह्मण]], [[क्षत्रिय]] और [[वैश्य]] ब्रह्मचारी लड़के क्रमश: किस पेड़ का दंड (डंडा) लेकर चलते हैं?(हि.ध.प्र. 12) |
06:03, 2 जून 2013 का अवतरण
कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान
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