"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर

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+[[चैतन्य]]
+[[चैतन्य]]
-[[सूरदास]]
-[[सूरदास]]
||[[चित्र:Chetanya-Mahaprabhu.jpg|right|100px|चैतन्य महाप्रभु]]'चैतन्य महाप्रभु' [[भक्तिकाल]] के प्रमुख कवियों में से एक थे। इन्होंने [[वैष्णव|वैष्णवों]] के [[गौड़ीय सम्प्रदाय|गौड़ीय संप्रदाय]] की आधारशिला रखी थी। [[चैतन्य महाप्रभु]] ने भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता की सद्भावना को बल दिया, जात-पात, ऊँच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त [[वृन्दावन]] को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। चैतन्य महाप्रभु को इनके अनुयायी [[कृष्ण]] का [[अवतार]] भी मानते रहे हैं। सन 1509 में जब ये अपने [[पिता]] का [[श्राद्ध]] करने [[गया]] गए थे, तब वहाँ इनकी मुलाक़ात ईश्वरपुरी नामक संत से हुई। उस संत ने इनसे 'कृष्ण-कृष्ण' रटने को कहा। तभी से इनका सारा जीवन बदल गया और ये हर समय भगवान श्रीकृष्ण की [[भक्ति]] में लीन रहने लगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैतन्य महाप्रभु]]


{निम्नलिखित में से कौन-सा नगर 'तीर्थराज' के नाम से प्रसिद्ध है?(भा.सं.प्र. 117)
{निम्नलिखित में से कौन-सा नगर 'तीर्थराज' के नाम से प्रसिद्ध है?(भा.सं.प्र. 117)
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-[[काशी]]
-[[काशी]]
-[[उज्जैन]]
-[[उज्जैन]]
||[[चित्र:Sangam-Allahabad.jpg|right|100px|प्रयाग]]'प्रयाग' का आधुनिक नाम [[इलाहाबाद]] है। [[प्रयाग]] [[उत्तर प्रदेश]] का प्राचीन तीर्थस्थान है, जिसका नाम [[अश्वमेध यज्ञ|अश्वमेध]] आदि अनेक [[यज्ञ]] होने से पड़ा था। यह [[गंगा]]-[[यमुना]] के [[संगम (इलाहाबाद)|संगम]] पर स्थित है तथा यहाँ का [[स्नान]] "त्रिवेणी स्नान" कहा जाता है। [[प्रयाग]] का [[मुस्लिम]] शासन में 'इलाहाबाद' नाम कर दिया गया था, परंतु 'प्रयाग' नाम आज भी प्रचलित है। यहाँ [[उत्तर प्रदेश]] का उच्च न्यायालय और एजी कार्यालय भी है। [[रामायण]] में इलाहाबाद, प्रयाग के नाम से वर्णित है। [[ब्रह्मपुराण]] का कथन है- 'प्रकृष्टता के कारण यह 'प्रयाग' है और प्रधानता के कारण यह 'राज' शब्द अर्थात 'तीर्थराज' से युक्त है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से [[सरस्वती नदी]] भी आकर मिलती है। इलाहाबाद का उल्लेख [[भारत]] के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रयाग]]


{निम्न में से किस राज्य में '[[जगन्नाथ रथयात्रा]]' निकाली जाती है?
{निम्न में से किस राज्य में '[[जगन्नाथ रथयात्रा]]' निकाली जाती है?

07:17, 2 जून 2013 का अवतरण

कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान

1 प्रसव से पूर्व पहले एवं सर्वप्रमुख संस्कार को क्या कहा जाता है?(हि.ध.प्र. 7)

गर्भाधान
पुंसवन
सीमंतोन्नयन
जातकर्म

2 देवकी के सप्तम गर्भ को संकर्षण द्वारा रोहिणी के गर्भ में किसने पहुँचाया था?

योगमाया
अम्बिका
वाग्देवी
उमा

3 'सीमंतोन्नयन संस्कार' का क्या अर्थ है?(हि.ध.प्र. 8)

सास द्वारा गर्भवती बहू के बाल खोलना।
पति द्वारा गर्भवती पत्नी के बाल खोलना।
ननद द्वारा गर्भवती भाभी के बाल खोलना।
पति और सास की उपस्थिति में गर्भवती महिला द्वारा स्वयं बाल खोलना।

4 ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ब्रह्मचारी लड़के क्रमश: किस पेड़ का दंड (डंडा) लेकर चलते हैं?(हि.ध.प्र. 12)

बेल, पलाश, बाँस
बाँस, बेल, पलाश
पलाश, बाँस, बेल
पलाश, बेल, बाँस

5 वैदिक परम्परा के अनुसार जनेऊ में कितने धागे होने चाहिए?(हि.ध.प्र. 13)

व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 86 गुना।
व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 96 गुना।
व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 101 गुना।
व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 51 गुना।

6 विवाह की रस्म के दौरान दूल्हे को क्या माना जाता है?(हि.ध.प्र. 13)

ब्रह्मा
शिव या महेश
विष्णु
राम

7 श्राद्ध के समय कौन-सी धातु सबसे अधिक पवित्र मानी जाती है?(हि.ध.प्र. 18)

चाँदी
स्वर्ण
ताँबा
लोहा

8 श्राद्ध में किस पौधे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जा सकता?(हि.ध.प्र. 18)

केला
आम
तुलसी
पीपल

9 निम्नलिखित में से किस महापुरुष को 'साबरमती का संत' कहा जाता है?(भा.सं.प्र. 116)

लाला लाजपत राय
पण्डित जवाहरलाल नेहरू
बाल गंगाधर तिलक
महात्मा गाँधी

10 किस महापुरुष के नाम के पश्चात 'महाप्रभु' शब्द लगाया जाता है?(भा.सं.प्र. 116)

विद्यासागर
कबीर
चैतन्य
सूरदास

11 निम्नलिखित में से कौन-सा नगर 'तीर्थराज' के नाम से प्रसिद्ध है?(भा.सं.प्र. 117)

मथुरा
प्रयाग
काशी
उज्जैन

12 निम्न में से किस राज्य में 'जगन्नाथ रथयात्रा' निकाली जाती है?

उड़ीसा
मध्य प्रदेश
राजस्थान
महाराष्ट्र

14 निम्नलिखित में से 'मूलशंकर' किसके बचपन का नाम था?

राजा राममोहन राय
मध्वाचार्य
रामकृष्ण परमहंस
दयानन्द सरस्वती

15 ब्रह्मा के मुख से किस देवी की उत्पत्ति मानी जाती है?

महालक्ष्मी
पार्वती
सरस्वती
दुर्गा