"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Sun-Temple-Konark.jpg|right|100px|जगन्नाथ रथयात्रा]]'उड़ीसा' या 'ओडिशा' [[भारत]] का एक प्रान्त है, जो भारत के पूर्वी तट पर बसा है। ओडिशा उत्तर में [[झारखण्ड]], उत्तर-पूर्व में [[पश्चिम बंगाल]], दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] और पश्चिम में [[छत्तीसगढ़]] से घिरा हुआ है। इसके पूर्व में '[[बंगाल की खाड़ी]]' है। भौगोलिक लिहाज़ से इसके उत्तर में [[छोटा नागपुर पठार|छोटा नागपुर का पठार]] है, जो अपेक्षाकत कम उपजाऊ है, लेकिन दक्षिण में [[महानदी]], [[ब्राह्मणी नदी|ब्राह्मणी]], [[कालिंदी नदी|कालिंदी]] और वैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यहाँ [[पुरी]] में [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मंदिर]] है, जो [[भारत]] के सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहाँ होने वाली वार्षिक '[[जगन्नाथ रथयात्रा]]' लाखों लोगों को आकृष्ट करती है। यहाँ से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भगवान [[सूर्य]] के रथ के आकार में बना '[[कोणार्क सूर्य मंदिर|कोणार्क मंदिर]]' भी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उड़ीसा]], [[जगन्नाथ रथयात्रा]] | |||
{[[मुस्लिम]] आक्रमणकारी [[महमूद ग़ज़नवी]] ने किस [[ज्योतिर्लिंग]] को लूटा था? | {[[मुस्लिम]] आक्रमणकारी [[महमूद ग़ज़नवी]] ने किस [[ज्योतिर्लिंग]] को लूटा था? | ||
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+[[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग|सोमनाथ]] | |||
-[[केदारनाथ ज्योतिर्लिंग|केदारनाथ]] | |||
-[[रामेश्वर ज्योतिर्लिंग|रामेश्वर]] | -[[रामेश्वर ज्योतिर्लिंग|रामेश्वर]] | ||
-[[महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग|महाकालेश्वर]] | -[[महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग|महाकालेश्वर]] | ||
||[[चित्र:Somjyotir.jpg|right|100px|सोमनाथ ज्योतिर्लिंग]]'सोमनाथ मन्दिर' जिसे '[[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग]]' भी कहा जाता है, [[गुजरात]] (सौराष्ट्र) के [[काठियावाड़]] क्षेत्र के अन्तर्गत [[प्रभास]] में विराजमान हैं। इसी क्षेत्र में भगवान [[श्रीकृष्ण]] ने [[यदु वंश]] का संहार कराने के बाद अपनी नर लीला समाप्त कर ली थी। [[भारतीय इतिहास|प्राचीन भारतीय इतिहास]] में सोमनाथ मन्दिर को सन 1024 में [[मुस्लिम]] आक्रमणकारी [[महमूद ग़ज़नवी]] ने नष्ट कर दिया था। मूर्ति भंजक होने के कारण तथा [[सोना|सोने]]-[[चाँदी]] को लूटने के लिए महमूद ने मन्दिर में तोड़-फोड़ की। मन्दिर के [[हीरा|हीरे]]-जवाहरातों को लूट कर वह अपने देश [[ग़ज़नी]] लेकर चला गया। उक्त सोमनाथ मन्दिर का भग्नावशेष आज भी [[समुद्र]] के किनारे विद्यमान है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग]] | |||
{निम्नलिखित में से 'मूलशंकर' किसके बचपन का नाम था? | {निम्नलिखित में से 'मूलशंकर' किसके बचपन का नाम था? | ||
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-[[रामकृष्ण परमहंस]] | -[[रामकृष्ण परमहंस]] | ||
+[[दयानन्द सरस्वती]] | +[[दयानन्द सरस्वती]] | ||
||[[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|right|100px|दयानन्द सरस्वती]]'स्वामी दयानन्द सरस्वती' [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी सन्यासी थे। प्राचीन [[ऋषि|ऋषियों]] के वैदिक सिद्धांतों के पक्षपाती [[दयानन्द सरस्वती]] का जन्म [[गुजरात]] की छोटी-सी रियासत 'मोरवी' के [[टंकारा]] नामक गाँव में हुआ था। [[मूल नक्षत्र]] में पैदा होने के कारण ही इनका नाम 'मूलशंकर' रखा गया था। स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने विचारों के प्रचार के लिए [[हिन्दी भाषा]] को अपनाया। उनकी सभी रचनाएँ और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ 'सत्यार्थ प्रकाश' मूल रूप में हिन्दी भाषा में लिखा गया है। स्वामीजी का कहना था- "मेरी [[आँख]] तो उस दिन को देखने के लिए तरस रही है, जब [[कश्मीर]] से [[कन्याकुमारी]] तक सब भारतीय एक ही [[भाषा]] बोलने और समझने लग जाएँगे।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दयानन्द सरस्वती]] | |||
{[[ब्रह्मा]] के मुख से किस देवी की उत्पत्ति मानी जाती है? | {[[ब्रह्मा]] के मुख से किस देवी की उत्पत्ति मानी जाती है? | ||
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+[[सरस्वती]] | +[[सरस्वती]] | ||
-[[दुर्गा]] | -[[दुर्गा]] | ||
||[[चित्र:Saraswati-Devi.jpg|right|100px|सरस्वती देवी]]माँ सरस्वती विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनका जन्म [[ब्रह्मा]] के मुख से माना गया है। ब्रह्मा अपनी पुत्री [[सरस्वती]] पर ही आसक्त हो गये थे। वे उसके पास गमन के लिए तत्पर हुए। इसी समय सभी प्रजापतियों ने अपने [[पिता]] ब्रह्मा को न केवल समझाया, अपितु उनके विचार की हीनता की ओर भी संकेत किया। ब्रह्मा ने लज्जावश वह शरीर त्याग दिया, जो कुहरा अथवा अंधकार के रूप में दिशाओं में व्याप्त हो गया। [[वाल्मीकि]], [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]], [[भृगु]] इत्यादि को क्रमश: [[नारायण]], [[मरीचि]] तथा [[ब्रह्मा]] आदि ने सरस्वती पूजन का बीजमन्त्र दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरस्वती]] | |||
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07:53, 2 जून 2013 का अवतरण
कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान
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