"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर

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{[[श्राद्ध]] में किस पौधे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जा सकता?(हि.ध.प्र. 18)
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+[[केला]]
-[[आम]]
-[[तुलसी]]
-[[पीपल]]
||[[चित्र:Bananas.jpg|right|100px|केला]][[भारत]] में केले की [[कृषि]] बड़े पैमाने पर और साल भर की जा जाती है। इसकी कृषि में कम लागत में ही अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। [[केला]] एक बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक व गुणकारी [[फल]] है। यह एक ऐसा फल है, जिसको खाने पर तुरंत ही ताकत मिल जाती है। केला दुनिया के सबसे पुराने और लोकप्रिय फलों में से एक है। इसकी गिनती देश के उत्तम फलों में होती है। कई प्रकार के मांगलिक कार्यों में भी केले को विशेष स्थान दिया गया है। विदेशों में भी इसके गुणों के कारण इसे 'स्वर्ग का सेव' और 'आदम की अंजीर' नाम प्रदान किये गये हैं। केले पर हल्के [[भूरा रंग|भूरे रंग]] के दाग़ इस बात की निशानी हैं कि केले का स्टार्च पूरी तरह नैसर्गिक शक्कर में परिवर्तित हो चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केला]], [[श्राद्ध]]
{प्रसव से पूर्व पहले एवं सर्वप्रमुख [[संस्कार]] को क्या कहा जाता है?(हि.ध.प्र. 7)
{प्रसव से पूर्व पहले एवं सर्वप्रमुख [[संस्कार]] को क्या कहा जाता है?(हि.ध.प्र. 7)
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+[[विष्णु]]
+[[विष्णु]]
-[[राम]]
-[[राम]]
||[[चित्र:God-Vishnu.jpg|right|100px|भगवान विष्णु]][[हिन्दू धर्म]] में भगवान [[विष्णु]] को सभी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। सर्वव्यापक परमात्मा ही भगवान श्रीविष्णु हैं। यह सम्पूर्ण विश्व भगवान [[विष्णु]] की शक्ति से ही संचालित है। वे निर्गुण भी हैं और सगुण भी। 'पद्मपुराण' के उत्तरखण्ड में वर्णन है कि भगवान विष्णु ही परमार्थ तत्त्व हैं। वे ही [[ब्रह्मा]] और [[शिव]] सहित समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। जहाँ ब्रह्मा को विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव को संहारक माना गया है। [[विष्णु]] की सहचारिणी [[लक्ष्मी]] हैं, जो [[भक्त]] भगवान विष्णु के नामों का कीर्तन, स्मरण, उनके अर्चाविग्रह का दर्शन, वन्दन, गुणों का श्रवण और उनका पूजन करता है, उसके सभी पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विष्णु]]
||[[चित्र:God-Vishnu.jpg|right|90px|भगवान विष्णु]][[हिन्दू धर्म]] में भगवान [[विष्णु]] को सभी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। सर्वव्यापक परमात्मा ही भगवान श्रीविष्णु हैं। यह सम्पूर्ण विश्व भगवान [[विष्णु]] की शक्ति से ही संचालित है। वे निर्गुण भी हैं और सगुण भी। 'पद्मपुराण' के उत्तरखण्ड में वर्णन है कि भगवान विष्णु ही परमार्थ तत्त्व हैं। वे ही [[ब्रह्मा]] और [[शिव]] सहित समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। जहाँ ब्रह्मा को विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव को संहारक माना गया है। [[विष्णु]] की सहचारिणी [[लक्ष्मी]] हैं, जो [[भक्त]] भगवान विष्णु के नामों का कीर्तन, स्मरण, उनके अर्चाविग्रह का दर्शन, वन्दन, गुणों का श्रवण और उनका पूजन करता है, उसके सभी पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विष्णु]]


{[[श्राद्ध]] के समय कौन-सी [[धातु]] सबसे अधिक पवित्र मानी जाती है?(हि.ध.प्र. 18)
{[[श्राद्ध]] के समय कौन-सी [[धातु]] सबसे अधिक पवित्र मानी जाती है?(हि.ध.प्र. 18)
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-[[ताँबा]]
-[[ताँबा]]
-[[लोहा]]
-[[लोहा]]
||[[चित्र:Silver.jpg|right|100px|चाँदी]]'चाँदी' [[सफ़ेद रंग]] की चमकदार [[धातु]] है। यह [[ऊष्मा]] व [[विद्युत]] की सबसे अच्छी सुचालक होती है। [[चाँदी]] का उपयोग सिक्के व [[आभूषण]] बनाने में, बर्तनों में चढ़ाने में, सिल्वर ब्रोमाइड (फ़ोटोग्राफ़ी में) बनाने में किया जाता है। चाँदी से बनी मिश्र धातुयें अत्यधिक उपयोगी होती हैं। [[भारत]] में इसक बहुत कम उत्पादन होता है। भारत में इसके प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं- [[राजस्थान]] में 'जावर माइन्स', [[कर्नाटक]] में [[चित्रदुर्ग ज़िला|चित्रदुर्ग]] तथा [[बेल्लारी ज़िला|बेल्लारी ज़िले]], [[आन्ध्र प्रदेश]] में [[कडपा ज़िला|कडपा]], [[गुंटूर ज़िला|गुंटूर]] तथा [[कुरनूल ज़िला|कुरनूल ज़िले]], [[झारखण्ड]] में [[संथाली भाषा|संथाल]] परगना तथा [[उत्तराखण्ड]] में [[अल्मोड़ा]]।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चाँदी]]
||[[चित्र:Silver.jpg|right|100px|चाँदी]]'चाँदी' [[सफ़ेद रंग]] की चमकदार [[धातु]] है। यह [[ऊष्मा]] व [[विद्युत]] की सबसे अच्छी सुचालक होती है। [[चाँदी]] का उपयोग सिक्के व [[आभूषण]] बनाने में, बर्तनों में चढ़ाने में, सिल्वर ब्रोमाइड (फ़ोटोग्राफ़ी में) बनाने में किया जाता है। चाँदी से बनी मिश्र धातुयें अत्यधिक उपयोगी होती हैं। [[भारत]] में इसक बहुत कम उत्पादन होता है। भारत में इसके प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं- [[राजस्थान]] में 'जावर माइन्स', [[कर्नाटक]] में [[चित्रदुर्ग ज़िला|चित्रदुर्ग]] तथा [[बेल्लारी ज़िला|बेल्लारी ज़िले]], [[आन्ध्र प्रदेश]] में [[कडपा ज़िला|कडपा]], [[गुंटूर ज़िला|गुंटूर]] तथा [[कुरनूल ज़िला|कुरनूल ज़िले]], [[झारखण्ड]] में [[संथाली भाषा|संथाल]] परगना तथा [[उत्तराखण्ड]] में [[अल्मोड़ा]]।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चाँदी]], [[श्राद्ध]], [[धातु]]
 
{[[श्राद्ध]] में किस पौधे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जा सकता?(हि.ध.प्र. 18)
|type="()"}
+[[केला]]
-[[आम]]
-[[तुलसी]]
-[[पीपल]]
||[[चित्र:Bananas.jpg|right|100px|केला]][[भारत]] में केले की [[कृषि]] बड़े पैमाने पर और साल भर की जा जाती है। इसकी कृषि में कम लागत में ही अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। [[केला]] एक बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक व गुणकारी [[फल]] है। यह एक ऐसा फल है, जिसको खाने पर तुरंत ही ताकत मिल जाती है। केला दुनिया के सबसे पुराने और लोकप्रिय फलों में से एक है। इसकी गिनती देश के उत्तम फलों में होती है। कई प्रकार के मांगलिक कार्यों में भी केले को विशेष स्थान दिया गया है। विदेशों में भी इसके गुणों के कारण इसे 'स्वर्ग का सेव' और 'आदम की अंजीर' नाम प्रदान किये गये हैं। केले पर हल्के [[भूरा रंग|भूरे रंग]] के दाग़ इस बात की निशानी हैं कि केले का स्टार्च पूरी तरह नैसर्गिक शक्कर में परिवर्तित हो चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केला]], [[श्राद्ध]]


{निम्नलिखित में से किस महापुरुष को 'साबरमती का संत' कहा जाता है?(भा.सं.प्र. 116)
{निम्नलिखित में से किस महापुरुष को 'साबरमती का संत' कहा जाता है?(भा.सं.प्र. 116)
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-[[बाल गंगाधर तिलक]]
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+[[महात्मा गाँधी]]
+[[महात्मा गाँधी]]
||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|महात्मा गाँधी]]'महात्मा गाँधी' को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ '[[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]]' का सशक्त नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। इनका पूरा नाम 'मोहनदास करमचंद गाँधी' था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए [[महात्मा गाँधी]] को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई थी। गाँधीजी [[भारत]] एवं '[[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]]' के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। '[[साबरमती आश्रम]]' से उनका अटूट रिश्ता था। इस आश्रम से वे आजीवन जुड़े रहे, इसीलिए उन्हें 'साबरमती का संत' की उपाधि भी मिली। गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों को खूब महत्व दिया। वह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं चाहते थे, अपितु जनता की आर्थिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति भी चाहते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गाँधी]]
||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|महात्मा गाँधी]]'महात्मा गाँधी' को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ '[[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]]' का सशक्त नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। इनका पूरा नाम 'मोहनदास करमचंद गाँधी' था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए [[महात्मा गाँधी]] को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई थी। गाँधीजी [[भारत]] एवं '[[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]]' के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। '[[साबरमती आश्रम]]' से उनका अटूट रिश्ता था। इस आश्रम से वे आजीवन जुड़े रहे, इसीलिए उन्हें 'साबरमती का संत' की उपाधि भी मिली। गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों को खूब महत्व दिया। वह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं चाहते थे, अपितु जनता की आर्थिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति भी चाहते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गाँधी]], [[गाँधी युग]]


{किस महापुरुष के नाम के पश्चात 'महाप्रभु' शब्द लगाया जाता है?(भा.सं.प्र. 116)
{किस महापुरुष के नाम के पश्चात 'महाप्रभु' शब्द लगाया जाता है?(भा.सं.प्र. 116)
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-[[काशी]]
-[[काशी]]
-[[उज्जैन]]
-[[उज्जैन]]
||[[चित्र:Sangam-Allahabad.jpg|right|100px|प्रयाग]]'प्रयाग' का आधुनिक नाम [[इलाहाबाद]] है। [[प्रयाग]] [[उत्तर प्रदेश]] का प्राचीन तीर्थस्थान है, जिसका नाम [[अश्वमेध यज्ञ|अश्वमेध]] आदि अनेक [[यज्ञ]] होने से पड़ा था। यह [[गंगा]]-[[यमुना]] के [[संगम (इलाहाबाद)|संगम]] पर स्थित है तथा यहाँ का [[स्नान]] "त्रिवेणी स्नान" कहा जाता है। [[प्रयाग]] का [[मुस्लिम]] शासन में 'इलाहाबाद' नाम कर दिया गया था, परंतु 'प्रयाग' नाम आज भी प्रचलित है। यहाँ [[उत्तर प्रदेश]] का उच्च न्यायालय और एजी कार्यालय भी है। [[रामायण]] में इलाहाबाद, प्रयाग के नाम से वर्णित है। [[ब्रह्मपुराण]] का कथन है- 'प्रकृष्टता के कारण यह 'प्रयाग' है और प्रधानता के कारण यह 'राज' शब्द अर्थात 'तीर्थराज' से युक्त है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से [[सरस्वती नदी]] भी आकर मिलती है। इलाहाबाद का उल्लेख [[भारत]] के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रयाग]]
||[[चित्र:Sangam-Allahabad.jpg|right|100px|प्रयाग]]'प्रयाग' का आधुनिक नाम [[इलाहाबाद]] है। [[प्रयाग]] [[उत्तर प्रदेश]] का प्राचीन तीर्थस्थान है, जिसका नाम [[अश्वमेध यज्ञ|अश्वमेध]] आदि अनेक [[यज्ञ]] होने से पड़ा था। यह [[गंगा]]-[[यमुना]] के [[संगम (इलाहाबाद)|संगम]] पर स्थित है तथा यहाँ का [[स्नान]] "त्रिवेणी स्नान" कहा जाता है। [[प्रयाग]] का [[मुस्लिम]] शासन में 'इलाहाबाद' नाम कर दिया गया था, परंतु 'प्रयाग' नाम आज भी प्रचलित है। यहाँ [[उत्तर प्रदेश]] का उच्च न्यायालय और एजी कार्यालय भी है। [[रामायण]] में इलाहाबाद, प्रयाग के नाम से वर्णित है। [[ब्रह्मपुराण]] का कथन है- 'प्रकृष्टता के कारण यह 'प्रयाग' है और प्रधानता के कारण यह 'राज' शब्द अर्थात 'तीर्थराज' से युक्त है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से [[सरस्वती नदी]] भी आकर मिलती है। इलाहाबाद का उल्लेख [[भारत]] के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रयाग]], [[कुम्भ मेला]], [[कल्पवास]]


{निम्न में से किस राज्य में '[[जगन्नाथ रथयात्रा]]' निकाली जाती है?
{निम्न में से किस राज्य में '[[जगन्नाथ रथयात्रा]]' निकाली जाती है?
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-[[रामकृष्ण परमहंस]]
-[[रामकृष्ण परमहंस]]
+[[दयानन्द सरस्वती]]
+[[दयानन्द सरस्वती]]
||[[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|right|100px|दयानन्द सरस्वती]]'स्वामी दयानन्द सरस्वती' [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी सन्यासी थे। प्राचीन [[ऋषि|ऋषियों]] के वैदिक सिद्धांतों के पक्षपाती [[दयानन्द सरस्वती]] का जन्म [[गुजरात]] की छोटी-सी रियासत 'मोरवी' के [[टंकारा]] नामक गाँव में हुआ था। [[मूल नक्षत्र]] में पैदा होने के कारण ही इनका नाम 'मूलशंकर' रखा गया था। स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने विचारों के प्रचार के लिए [[हिन्दी भाषा]] को अपनाया। उनकी सभी रचनाएँ और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ 'सत्यार्थ प्रकाश' मूल रूप में हिन्दी भाषा में लिखा गया है। स्वामीजी का कहना था- "मेरी [[आँख]] तो उस दिन को देखने के लिए तरस रही है, जब [[कश्मीर]] से [[कन्याकुमारी]] तक सब भारतीय एक ही [[भाषा]] बोलने और समझने लग जाएँगे।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दयानन्द सरस्वती]]
||[[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|right|90px|दयानन्द सरस्वती]]'स्वामी दयानन्द सरस्वती' [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी सन्यासी थे। प्राचीन [[ऋषि|ऋषियों]] के वैदिक सिद्धांतों के पक्षपाती [[दयानन्द सरस्वती]] का जन्म [[गुजरात]] की छोटी-सी रियासत 'मोरवी' के [[टंकारा]] नामक गाँव में हुआ था। [[मूल नक्षत्र]] में पैदा होने के कारण ही इनका नाम 'मूलशंकर' रखा गया था। स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने विचारों के प्रचार के लिए [[हिन्दी भाषा]] को अपनाया। उनकी सभी रचनाएँ और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ 'सत्यार्थ प्रकाश' मूल रूप में हिन्दी भाषा में लिखा गया है। स्वामीजी का कहना था- "मेरी [[आँख]] तो उस दिन को देखने के लिए तरस रही है, जब [[कश्मीर]] से [[कन्याकुमारी]] तक सब भारतीय एक ही [[भाषा]] बोलने और समझने लग जाएँगे।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दयानन्द सरस्वती]]


{[[ब्रह्मा]] के मुख से किस देवी की उत्पत्ति मानी जाती है?
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+[[सरस्वती]]
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-[[दुर्गा]]
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||[[चित्र:Saraswati-Devi.jpg|right|100px|सरस्वती देवी]]माँ सरस्वती विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनका जन्म [[ब्रह्मा]] के मुख से माना गया है। ब्रह्मा अपनी पुत्री [[सरस्वती]] पर ही आसक्त हो गये थे। वे उसके पास गमन के लिए तत्पर हुए। इसी समय सभी प्रजापतियों ने अपने [[पिता]] ब्रह्मा को न केवल समझाया, अपितु उनके विचार की हीनता की ओर भी संकेत किया। ब्रह्मा ने लज्जावश वह शरीर त्याग दिया, जो कुहरा अथवा अंधकार के रूप में दिशाओं में व्याप्त हो गया। [[वाल्मीकि]], [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]], [[भृगु]] इत्यादि को क्रमश: [[नारायण]], [[मरीचि]] तथा [[ब्रह्मा]] आदि ने सरस्वती पूजन का बीजमन्त्र दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरस्वती]]
||[[चित्र:Saraswati-Devi.jpg|right|80px|सरस्वती देवी]]माँ सरस्वती विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनका जन्म [[ब्रह्मा]] के मुख से माना गया है। ब्रह्मा अपनी पुत्री [[सरस्वती]] पर ही आसक्त हो गये थे। वे उसके पास गमन के लिए तत्पर हुए। इसी समय सभी प्रजापतियों ने अपने [[पिता]] ब्रह्मा को न केवल समझाया, अपितु उनके विचार की हीनता की ओर भी संकेत किया। ब्रह्मा ने लज्जावश वह शरीर त्याग दिया, जो कुहरा अथवा अंधकार के रूप में दिशाओं में व्याप्त हो गया। [[वाल्मीकि]], [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]], [[भृगु]] इत्यादि को क्रमश: [[नारायण]], [[मरीचि]] तथा [[ब्रह्मा]] आदि ने सरस्वती पूजन का बीजमन्त्र दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरस्वती]]
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07:59, 2 जून 2013 का अवतरण

कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान

1 श्राद्ध में किस पौधे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जा सकता?(हि.ध.प्र. 18)

केला
आम
तुलसी
पीपल

2 प्रसव से पूर्व पहले एवं सर्वप्रमुख संस्कार को क्या कहा जाता है?(हि.ध.प्र. 7)

गर्भाधान
पुंसवन
सीमंतोन्नयन
जातकर्म

3 देवकी के सप्तम गर्भ को संकर्षण द्वारा रोहिणी के गर्भ में किसने पहुँचाया था?

योगमाया
अम्बिका
वाग्देवी
उमा

4 'सीमंतोन्नयन संस्कार' का क्या अर्थ है?(हि.ध.प्र. 8)

सास द्वारा गर्भवती बहू के बाल खोलना।
पति द्वारा गर्भवती पत्नी के बाल खोलना।
ननद द्वारा गर्भवती भाभी के बाल खोलना।
पति और सास की उपस्थिति में गर्भवती महिला द्वारा स्वयं बाल खोलना।

5 ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ब्रह्मचारी लड़के क्रमश: किस पेड़ का दंड (डंडा) लेकर चलते हैं?(हि.ध.प्र. 12)

बेल, पलाश, बाँस
बाँस, बेल, पलाश
पलाश, बाँस, बेल
पलाश, बेल, बाँस

6 वैदिक परम्परा के अनुसार जनेऊ में कितने धागे होने चाहिए?(हि.ध.प्र. 13)

व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 86 गुना।
व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 96 गुना।
व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 101 गुना।
व्यक्ति की तर्जनी उँगली की चौड़ाई से 51 गुना।

7 विवाह की रस्म के दौरान दूल्हे को क्या माना जाता है?(हि.ध.प्र. 13)

ब्रह्मा
शिव या महेश
विष्णु
राम

8 श्राद्ध के समय कौन-सी धातु सबसे अधिक पवित्र मानी जाती है?(हि.ध.प्र. 18)

चाँदी
स्वर्ण
ताँबा
लोहा

9 निम्नलिखित में से किस महापुरुष को 'साबरमती का संत' कहा जाता है?(भा.सं.प्र. 116)

लाला लाजपत राय
पण्डित जवाहरलाल नेहरू
बाल गंगाधर तिलक
महात्मा गाँधी

10 किस महापुरुष के नाम के पश्चात 'महाप्रभु' शब्द लगाया जाता है?(भा.सं.प्र. 116)

विद्यासागर
कबीर
चैतन्य
सूरदास

11 निम्नलिखित में से कौन-सा नगर 'तीर्थराज' के नाम से प्रसिद्ध है?(भा.सं.प्र. 117)

मथुरा
प्रयाग
काशी
उज्जैन

12 निम्न में से किस राज्य में 'जगन्नाथ रथयात्रा' निकाली जाती है?

उड़ीसा
मध्य प्रदेश
राजस्थान
महाराष्ट्र

14 निम्नलिखित में से 'मूलशंकर' किसके बचपन का नाम था?

राजा राममोहन राय
मध्वाचार्य
रामकृष्ण परमहंस
दयानन्द सरस्वती

15 ब्रह्मा के मुख से किस देवी की उत्पत्ति मानी जाती है?

महालक्ष्मी
पार्वती
सरस्वती
दुर्गा