"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Bamboo-herb.jpg|right|100px|बाँस]]'बाँस' [[भारत]] के अधिकांश क्षेत्रों में उगने वाली 'ग्रामिनीई कुल' की एक अत्यंत उपयोगी घास है। यह बीजों से धीरे-धीरे उगता है। [[मिट्टी]] में आने के प्रथम [[सप्ताह]] में ही बीज उगना आरंभ कर देता है। कुछ बाँसों में वृक्ष पर दो छोटे-छोटे अंकुर निकलते हैं। [[काग़ज़]] बनाने के लिए [[बाँस]] बहुत ही उपयोगी साधन है, जिससे बहुत ही कम देखभाल के साथ साथ बहुत अधिक मात्रा में काग़ज़ बनाया जा सकता है। इस क्रिया में बहुत-सी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। फिर भी बाँस का काग़ज़ बनाना [[चीन]] एवं [[भारत]] का प्राचीन उद्योग है। [[हिन्दू धर्म]] के कई क्रियाकलापों में भी बाँस की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाँस]] | ||[[चित्र:Bamboo-herb.jpg|right|100px|बाँस]]'बाँस' [[भारत]] के अधिकांश क्षेत्रों में उगने वाली 'ग्रामिनीई कुल' की एक अत्यंत उपयोगी घास है। यह बीजों से धीरे-धीरे उगता है। [[मिट्टी]] में आने के प्रथम [[सप्ताह]] में ही बीज उगना आरंभ कर देता है। कुछ बाँसों में वृक्ष पर दो छोटे-छोटे अंकुर निकलते हैं। [[काग़ज़]] बनाने के लिए [[बाँस]] बहुत ही उपयोगी साधन है, जिससे बहुत ही कम देखभाल के साथ साथ बहुत अधिक मात्रा में काग़ज़ बनाया जा सकता है। इस क्रिया में बहुत-सी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। फिर भी बाँस का काग़ज़ बनाना [[चीन]] एवं [[भारत]] का प्राचीन उद्योग है। [[हिन्दू धर्म]] के कई क्रियाकलापों में भी बाँस की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाँस]] | ||
{ | {[[हिन्दू धर्म संस्कार|हिन्दू धर्म संस्कारों]] में दसवाँ संस्कार कौन-सा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[समावर्तन संस्कार|समावर्तन]] | ||
+ | +[[उपनयन संस्कार|उपनयन]] | ||
- | -[[विवाह संस्कार|विवाह]] | ||
- | -[[केशान्त संस्कार|केशान्त]] | ||
||[[चित्र:Upanayana-1.jpg|right|80px|उपनयन संस्कार]]हिन्दू धर्म संस्कारों में '[[उपनयन संस्कार]]' दशम संस्कार है। 'उपनयन' का अर्थ है "पास या सन्निकट ले जाना। इसी को 'यज्ञोपवीत-संस्कार' भी कहते हैं। इस संस्कार में वटुक को '[[गायत्री मंत्र]]' की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। विशेषकर अपनी-अपनी शाखा के अनुसार वेदाध्ययन किया जाता है। यह संस्कार [[ब्राह्मण]] बालक का आठवें [[वर्ष]] में, [[क्षत्रिय]] बालक का ग्यारहवें वर्ष में और [[वैश्य]] बालक का बारहवें वर्ष में होता है। कन्याओं को इस संस्कार का अधिकार नहीं दिया गया है। केवल [[विवाह संस्कार]] ही उनके लिये द्विजत्व के रूप में परिणत करने वाला संस्कार माना गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केशान्त संस्कार]] | |||
{[[विवाह]] की रस्म के दौरान दूल्हे को क्या माना जाता है?(हि.ध.प्र. 13) | {[[विवाह]] की रस्म के दौरान दूल्हे को क्या माना जाता है?(हि.ध.प्र. 13) |
08:13, 2 जून 2013 का अवतरण
कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान
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