"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Upanayana-1.jpg|right|80px|उपनयन संस्कार]]हिन्दू धर्म संस्कारों में '[[उपनयन संस्कार]]' दशम संस्कार है। 'उपनयन' का अर्थ है "पास या सन्निकट ले जाना। इसी को 'यज्ञोपवीत-संस्कार' भी कहते हैं। इस संस्कार में वटुक को '[[गायत्री मंत्र]]' की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। विशेषकर अपनी-अपनी शाखा के अनुसार वेदाध्ययन किया जाता है। यह संस्कार [[ब्राह्मण]] बालक का आठवें [[वर्ष]] में, [[क्षत्रिय]] बालक का ग्यारहवें वर्ष में और [[वैश्य]] बालक का बारहवें वर्ष में होता है। कन्याओं को इस संस्कार का अधिकार नहीं दिया गया है। केवल [[विवाह संस्कार]] ही उनके लिये द्विजत्व के रूप में परिणत करने वाला संस्कार माना गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ | ||[[चित्र:Upanayana-1.jpg|right|80px|उपनयन संस्कार]]हिन्दू धर्म संस्कारों में '[[उपनयन संस्कार]]' दशम संस्कार है। 'उपनयन' का अर्थ है "पास या सन्निकट ले जाना। इसी को 'यज्ञोपवीत-संस्कार' भी कहते हैं। इस संस्कार में वटुक को '[[गायत्री मंत्र]]' की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। विशेषकर अपनी-अपनी शाखा के अनुसार वेदाध्ययन किया जाता है। यह संस्कार [[ब्राह्मण]] बालक का आठवें [[वर्ष]] में, [[क्षत्रिय]] बालक का ग्यारहवें वर्ष में और [[वैश्य]] बालक का बारहवें वर्ष में होता है। कन्याओं को इस संस्कार का अधिकार नहीं दिया गया है। केवल [[विवाह संस्कार]] ही उनके लिये द्विजत्व के रूप में परिणत करने वाला संस्कार माना गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उपनयन संस्कार]] | ||
{[[विवाह]] की रस्म के दौरान दूल्हे को क्या माना जाता है?(हि.ध.प्र. 13) | {[[विवाह]] की रस्म के दौरान दूल्हे को क्या माना जाता है?(हि.ध.प्र. 13) |
08:18, 2 जून 2013 का अवतरण
कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान
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