"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Palash-Flowers.jpg|right|100px|पलाश के फूल]]'पलाश वृक्ष' [[भारत]] के सुंदर फूलों वाले प्रमुख वृक्षों में से एक है। प्राचीन काल से ही इस वृक्ष के फूलों से '[[होली]]' के [[रंग]] तैयार किये जाते रहे हैं। [[ऋग्वेद]] में 'सोम', 'अश्वत्थ' तथा 'पलाश' वृक्षों की विशेष महिमा वर्णित है। कहा जाता है कि [[पलाश वृक्ष]] में सृष्टि के प्रमुख देवता- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] का निवास है। अत: पलाश का उपयोग ग्रहों की शांति हेतु भी किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में ग्रहों के दोष निवारण हेतु पलाश के वृक्ष का भी महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। [[हिन्दू धर्म]] में इस वृक्ष का धार्मिक अनुष्ठानों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। [[आयुर्वेद]] में पलाश वृक्ष के अनेक गुण बताए गए हैं और इसके पाँचों अंगों- 'तना', 'जड़', '[[फल]]', '[[फूल]]' और बीज से दवाएँ बनाने की विधियाँ दी गयी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पलाश वृक्ष]] | ||[[चित्र:Palash-Flowers.jpg|right|100px|पलाश के फूल]]'पलाश वृक्ष' [[भारत]] के सुंदर फूलों वाले प्रमुख वृक्षों में से एक है। प्राचीन काल से ही इस वृक्ष के फूलों से '[[होली]]' के [[रंग]] तैयार किये जाते रहे हैं। [[ऋग्वेद]] में 'सोम', 'अश्वत्थ' तथा 'पलाश' वृक्षों की विशेष महिमा वर्णित है। कहा जाता है कि [[पलाश वृक्ष]] में सृष्टि के प्रमुख देवता- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] का निवास है। अत: पलाश का उपयोग ग्रहों की शांति हेतु भी किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में ग्रहों के दोष निवारण हेतु पलाश के वृक्ष का भी महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। [[हिन्दू धर्म]] में इस वृक्ष का धार्मिक अनुष्ठानों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। [[आयुर्वेद]] में पलाश वृक्ष के अनेक गुण बताए गए हैं और इसके पाँचों अंगों- 'तना', 'जड़', '[[फल]]', '[[फूल]]' और बीज से दवाएँ बनाने की विधियाँ दी गयी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पलाश वृक्ष]] | ||
||[[चित्र:Bamboo-herb.jpg|right|100px|बाँस]]'बाँस' [[भारत]] के अधिकांश क्षेत्रों में उगने वाली 'ग्रामिनीई कुल' की एक अत्यंत उपयोगी घास है। यह बीजों से धीरे-धीरे उगता है। [[मिट्टी]] में आने के प्रथम [[सप्ताह]] में ही बीज उगना आरंभ कर देता है। कुछ बाँसों में वृक्ष पर दो छोटे-छोटे अंकुर निकलते हैं। [[काग़ज़]] बनाने के लिए [[बाँस]] बहुत ही उपयोगी साधन है, जिससे बहुत ही कम देखभाल के साथ साथ बहुत अधिक मात्रा में काग़ज़ बनाया जा सकता है। इस क्रिया में बहुत-सी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। फिर भी बाँस का काग़ज़ बनाना [[चीन]] एवं [[भारत]] का प्राचीन उद्योग है। [[हिन्दू धर्म]] के कई क्रियाकलापों में भी बाँस की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाँस]] | ||[[चित्र:Bamboo-herb.jpg|right|100px|बाँस]]'बाँस' [[भारत]] के अधिकांश क्षेत्रों में उगने वाली 'ग्रामिनीई कुल' की एक अत्यंत उपयोगी घास है। यह बीजों से धीरे-धीरे उगता है। [[मिट्टी]] में आने के प्रथम [[सप्ताह]] में ही बीज उगना आरंभ कर देता है। कुछ बाँसों में वृक्ष पर दो छोटे-छोटे अंकुर निकलते हैं। [[काग़ज़]] बनाने के लिए [[बाँस]] बहुत ही उपयोगी साधन है, जिससे बहुत ही कम देखभाल के साथ साथ बहुत अधिक मात्रा में काग़ज़ बनाया जा सकता है। इस क्रिया में बहुत-सी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। फिर भी बाँस का काग़ज़ बनाना [[चीन]] एवं [[भारत]] का प्राचीन उद्योग है। [[हिन्दू धर्म]] के कई क्रियाकलापों में भी बाँस की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाँस]] | ||
||[[चित्र:Bael.JPG|right| | ||[[चित्र:Bael.JPG|right|100px|बेल वृक्ष]]'बिल्व', 'बेल' या 'बेलपत्थर' विश्व के कई हिस्सों में पाया जाता है। [[भारत]] में इस वृक्ष का [[पीपल]], [[नीम]], [[आम]], [[पारिजात]] और [[पलाश वृक्ष|पलाश]] आदि वृक्षों के समान ही बहुत अधिक सम्मान है। [[हिन्दू धर्म]] में बिल्व वृक्ष भगवान [[शिव]] की अराधना का मुख्य अंग है। धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। [[बिल्व वृक्ष]] की तासीर बहुत शीतल होती है। मध्य व [[दक्षिण भारत]] में बेल वृक्ष जंगल के रूप में फैले हुए हैं और बड़ी संख्या में उगते हैं। इसके पेड़ प्राकृतिक रूप से [[भारत]] के अलावा दक्षिणी [[नेपाल]], [[श्रीलंका]], [[म्यांमार]], [[पाकिस्तान]], [[बांग्लादेश]], वियतनाम, लाओस, [[कंबोडिया]] एवं [[थाईलैंड]] में उगते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बेल वृक्ष]] | ||
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कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान
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